‘कोरोना संकट देश को अधिक आत्मनिर्भर बनाने, दुनिया की अगुवाई करने का भी अवसर’

नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य डॉ. वी के सारस्वत ने कहा कि इस संकट का एक महत्वपूर्ण सबक है कि हमें सप्लाई चेन के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.

नई दिल्ली. नीति आयोग के सदस्य और जाने माने रक्षा वैज्ञानिक डॉ. वी के सारस्वत ने कहा है कि कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी  ने भारत के लिए विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक आत्मनिर्भर बनने और दुनिया की अगुवाई करने का एक अवसर भी दिया है और इसके लिए ‘मेक इन इंडिया’  कार्यक्रम में सुधार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस संकट का एक महत्वपूर्ण सबक है कि हमें सप्लाई चेन के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.

सारस्वत ने एक अभूतपूर्व वैश्विक संकट का कारण बनी कोविड-19 महामारी और संभावनाओं पर ‘भाषा’ के साथ विस्तार से बातचीत में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों को कामकाज शुरू करने के लिये विशेष सहायता पैकेज और सस्ते लोन की व्यवस्था को बहुत जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि इन इकाइयों के चालू होने से रोजी-रोजगार के अवसर फिर सुधरेंगे.

प्रतिष्ठित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के महानिदेशक रह चुके सारस्वत ने कहा कि चीन से निकलकर वियतनाम, कंबोडिया और बांग्लादेश जैसे बाजारों की ओर जा रही कंपनियों को भारत में आकर्षित करने की रणनीति अपनायी जानी चाहिए और इसके लिए नीतियों में आवश्यक सुधार किया जाना चाहिए. उन्होंने ‘जान और जहान, दोनों का ख्याल’ रखने की जरूरत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन पर जोर देते हुए कहा कि इस वायरस का टीका विकसित होने तक हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा और प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली का महत्व समझना होगा.

सभी देशों के साथ व्यापार करना चाहिए
डॉ. सारस्वत ने फोन पर हुई इस बातचीत में कहा, इस संकट से दुनिया का लगभग हर देश प्रभावित है. पर यह हमारे लिये एक अवसर है और इसके लिये हमें दुनिया के अन्य देशों की जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्पादन का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है. सारस्वत ने कहा, इस संकट ने सिखाया है कि हमें आपूर्ति श्रृंखला के लिये एक देश पर निर्भर नहीं रहना चहिए बल्कि सभी देशों के साथ व्यापार करना चाहिए. ज्यादा-से-ज्यादा जरूरी सामान यहां बनाये जाने की जरूरत है. इसके लिये हमें मेक इन इंडिया में भी बदलाव लाना होगा. हमें इसके तहत देश में बन सकने वाले सामानों को संरक्षण देने की जरूरत है. इस प्रकार के कदम से उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.

चीन से निकलने वाली कंपनियों को आकर्षित करने की जरूरत
एक सवाल के जवाब में सारस्वत ने कहा, चीन से अन्य देशों की कंपनियां अब बाहर निकल रही हैं. हमें इसका लाभ उठाना चाहिए. हमें अपनी नीतियां ऐसी बनानी चाहिए कि जो कंपनियां वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया या बांग्लादेश जा रही हैं, वे यहां आने के लिये तत्पर हों. इसके लिये उन्हें सस्ती जमीन, नियमन, कामकाज की सुगमता आदि उपलब्ध कराने की जरूरत है. साथ ही बिजली, परिवहन जैसी लागतों में भी कमी करने की जरूरत है. इससे ये कंपनियां यहां आने के लिये प्रोत्साहित होंगी और देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी.

MSMEs को राहत पैकेज देने की जरूरत
बढ़ती बेरोजगारी और कई कंपनियों में वेतन कटौती से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, कई कंपनियों खासकर छोटी इकाइयों का कामकाज कोरोना वायरस संकट के कारण लंबे समय से बंद है. इससे रोजगार पर असर पड़ा है. अब रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये जरूरी है कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSMEs) एवं छोटे कारोबारी अपना कामकाज शुरू करें. लेकिन इसमें समस्या परिचालन खर्च की है यानी कारखाना शुरू करने तथा वेतन देने के लिये जो पैसा होना चाहिए, नहीं हैं.

सारस्वत ने कहा, ऐसे में आवश्यक है कि सरकार इनके लिये विशेष पैकेज दे ताकि बैंकों से इन्हें सस्ता दीर्घकालीन कर्ज मिल सके और वे अपना कामकाज शुरू कर सकें. संभवत: सरकार इस पर काम भी कर रही है. इससे फिर से लोगों को रोजगार मिलेगा और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी. यह सही है कि सरकार के कहने के बाद भी कई कारोबारी हैं जिन्होंने अपने कर्मचारियों को पैसा नहीं दिया है. जैसे ही कर्मचारी लौटते हैं और काम शुरू होता है, उन्हें पैसा देना शुरू कर देना चाहिए.

सभी को अनुशासन के साथ आगे बढ़ना होगा
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जो आर्थिक प्रभाव पड़ा है, वह चिंताजनक है. हमें इससे निपटने के लिये अनुशासन यानी सामाजिक दूरी और स्वच्छता का पालन करते हुए कामकाज शुरू करने की जरूरत है. सरकार छोटे दुकानों को खोलने की अनुमति देकर इसी दिशा में कदम उठा रही है. उन्होंने कहा, यह समस्या कोई जल्दी समाप्त नहीं हो रही. जबतक कोई दवा या टीका नहीं बन जाता है या हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इस वायरस को झेलने में मजबूत नहीं हो जाती, तबतक इस संकट से छुटकारा नहीं मिलेगा. ऐसे में जान और जहान दोनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए उद्योग के साथ सभी को अनुशासन के साथ आगे बढ़ना होगा और जीवनचर्या उसी के हिसाब से रखनी होगी.

कोरोना वायरस संकट के बीच पर्यावरण स्तर में सुधार से जुड़े एक सवाल के जवाब में सारस्वत ने कहा, इस संकट ने सिखाया है कि हम जरूरत के हिसाब से ही रहें, अनुशासन में रहें. ओजोन परत में छिद्र पिछले डेढ़-दो महीने में ठीक हो गया है. इससे साफ है कि प्रदूषण का कारण बेलगाम औद्योगिक गतिविधियां, वाहन और उपभोक्तावाद है. इस समय वायु गुणवत्ता दिल्ली की बेहतर है. कोरोना वायरस संकट ने हमें प्रकृति के साथ तालमेल में रहना सिखाया है. हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी. लोग पहले पैदल चलते थे, अब चलना ही नहीं चाहते. उपभोक्तावाद कम करना होगा. हिंदुस्तानी संस्कृति भी यही कहती है. उतना ही खाना और सामानों का उपयोग करना चाहिए जितनी शरीर को जरूरत हो.

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