मई ने दिए खतरनाक संकेत, भारत में 2 सप्ताह में चरम पर पहुंच सकता है Covid-19
कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले एक मई से तेजी से बढ़े हैं. इसके कई कारण हैं. कुछ राज्यों ने अपने यहां की रिपोर्ट देरी से दी. देश में टेस्ट ज्यादा होने लगे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हुआ है और कोरोना धीरे-धीरे चरम की ओर बढ़ रहा है.
नई दिल्ली. भारत में कोरोनो वायरस (Coronavirus) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. देशभर में दो से पांच मई के बीच कोरोना के 12,235 नए केस आए हैं. कोविड-19 ने इन चार दिनों में 452 लोगों की जान ली है. यानी 2-5 मई के बीच औसतन रोज 3059 नए केस सामने आए और 113 लोगों की मौत हुई. देश में अब तक कुल 52,952 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 1,783 लोगों की मौत हो चुकी है.
चार-पांच मई को 24 घंटे के दौरान कोविड-19 (Covid-19) के 3,875 केस आए और इस दौरान 194 लोगों की मौत हुई. यह एक दिन में भारत में सबसे अधिक केस और सबसे अधिक मौत का आंकड़ा है. 26 से 30 अप्रैल के बीच कोरोना वायरस के केस 24.08% की रफ्तार से बढ़े. जबकि, एक से पांच मई के बीच यह रफ्तार 34.07% रही. इससे भी चिंताजनक बात यह रही कि इस दौरान मरने वालों की संख्या 28% से 38% पहुंच गई. कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में 27% इन चार दिनों में ही हुई.
पिछले सप्ताह दो अहम बढ़ोतरी देखने को मिली. लॉकडाउन-2 खत्म होने के दो दिन पहले एक मई को कोरोना वायरस के मामले 9% की रफ्तार से बढ़े. लॉकडाउन-2 खत्म होने के एक दिन बाद चार मई को भी कोरोना के मामले 9% की गति से ही बढ़े.
पिछले कुछ दिनों में कुछ राज्यों से कोरोना के केस और मौत में खतरनाक वृद्धि हुई है. मुंबई ने मंगलवार को 635 नए मामले दर्ज किए. इससे शहर में कुल कोरोना पॉजिटिव केस 9,758 पहुंच गए. महाराष्ट्र के 36 में से 34 जिले वायरस से प्रभावित हैं. राज्य में देश में सबसे के अधिक मामले (16,758) हैं. तमिलनाडु में बुधवार को 771 मामले सामने आए. यह राज्य में 24 घंटे में सबसे बड़ी संख्या है. गुजरात में मंगलवार को 441 और दिल्ली में बुधवार 428 मामले दर्ज किए गए. पंजाब में पिछले कुछ दिनों में तेजी से केस बढ़े हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के एपिडमियोलॉजिस्ट डॉ. बेन काउलिंग कहते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद एशियाई देशों में कोविड-19 तेजी से फैल सकता है. इसके दो कारण हैं. पहला, लोग लॉकडाउन खत्म होने के बाद बाहर निकलेंगे तो एकदूसरे के संपर्क में आएंगे. दूसरा, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यात्री भी अपने साथ वायरस फैला सकते हैं.
भारत ने देश की इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन के तीसरे चरण में कई रियायतें दीं, जो 17 मई तक रहेंगी. इनमें शराब की दुकानें खोलना शामिल है, जिसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग बुरी तरह टूटती नजर आई. इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में निजी कार्यालयों में 33% कर्मचारियों की मौजूदगी को अनुमति दी गई है. हजारों प्रवासी मजदूर और छात्रों को उनके गांवों ले जाने के लिए ट्रेन चलाई जा रही है. विदेश से भी हजारों लोगों को लाया जा रहा है. ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में ऐसी कई गतिविधियों की अनुमति है, जो रेड ज़ोन में प्रतिबंधित है.
क्या इन कारणों से कोरोना के मामलों और मौतों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है? इसका जवाब यह है कि ऐसा नहीं लगता. प्रतिबंधों के हटने के एक सप्ताह बाद ही इसका असर दिख सकता है. यानी, लॉकडाउन 2 के बाद का असर 10 मई के आसपास पता चलेगा.
तो फिर पिछले चार-पांच दिनों में अचानक क्या हुआ है? केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि कुछ राज्यों ने सोमवार को पुराने आंकड़े जारी किए. जबकि कुछ राज्यों ने समय पर कोविड -19 मामलों की रिपोर्टिंग नहीं की. कोरोना के मामलों की समय पर रिपोर्टिंग और मैनेजमेंट जरूरी है. लेकिन कुछ राज्यों की रिपोर्ट में अंतराल पाया गया है. लगातार दबाव के बाद उन राज्यों ने रिपोर्ट पूरी की और कोरोना के मामलों की संख्या में अचानक उछाल आ गया.
कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि टेस्ट की संख्या में वृद्धि के कारण मामलों और मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है? पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा, ‘जैसे-जैसे टेस्ट की संख्या बढ़ती है, कोरोना के पॉजिटिव मामलों की पहचान भी ज्यादा सामने आएगी. हमें यह देखने की ज़रूरत है कि नए टेस्ट के अनुपात में नए मामलों की संख्या बढ़ती है या नहीं.’ इसलिए अभी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि टेस्टमें वृद्धि के कारण मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है
मई के आखिर में चरम पर हो सकता है कोरोना
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोविड-19 अभी तक चरम पर नहीं है और यही कोरोना के मामलों और मौतों की संख्या में अचानक वृद्धि का एक कारण हो सकता है. मिशिगन यूनिवर्सिटी में बायोस्टैटिस्टिक्स के अध्यक्ष प्रोफेसर भ्रामर मुखर्जी मानते हैं कि कोरोना मई के आखिर में भारत में अपने चरम पर हो सकता है. हालांकि, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर टी जैकब जॉन का मानना है कि लॉकडाउन के कारण कोरोना का चरम जून-जुलाई तक के लिए टल गया है.
अब लॉकडाउन-3 में मिले छूट का असर दिखने लगेगा
एक मई से कोरोना के मामलों और मौत तेजी से बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. कुछ राज्यों ने अपने यहां की रिपोर्ट देरी से दी. देश में टेस्ट ज्यादा होने लगे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और धीरे-धीरे कोरोना का अपने चरम की ओर बढ़ना. भारत को अगले सप्ताह कोरोना के मामलों में बड़ा उछाल देखने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि तब लॉकडाउन-3 में मिले छूट का असर दिखने लगेगा. हालांकि भारत ने कोविड-19 से लड़ाई में अब तक अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन सबसे कठिन परीक्षा अगले कुछ हफ्तों में हो सकती है.