नई दिल्ली. कोरोनो वायरस (Coronavirus) के कारण देश में 25 मार्च से लॉकडाउन (Lockdown) जारी है. इस कारण देश की ज्यादातर सड़कें खाली हैं. जरूरी सुविधाओं के अंतर्गत आने वाली चंद गाड़ियां ही सड़कों पर दिख रही हैं. इसके बावजूद इस दौरान 42 मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. ये मजदूर लॉकडाउन के दौरान अपने घर लौट रहे थे.
सेव लाइफ फाउंडेशन (Save Life Foundation) की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के बाद भी कई सड़क दुर्घटनाएं (Road Accidents) हुईं. इस रिपोर्ट के मुताबिक 24 मार्च से 3 मई के बीच देशभर में सड़क हादसों में 140 लोगों की मौत हो गई. इनमें से 30% मौतें मजदूरों की थीं, जो पैदल चलकर या बसों और ट्रकों में छिपकर अपने घर लौट रहे थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 मजदूरों की ट्रकों और तेज रफ्तार कारों की टक्कर लगने से मौत हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के पहले दो चरण में देश में 600 सड़क हादसे हुए. इन हादसों में 42 मजदरों के अलावा 17 ऐसे व्यक्तियों की भी मौत हुई, जो जरूरी काम में लगे हुए थे. सेव लाइफ फाउंडेशन के सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा, ‘मौत के इन आंकड़ों को न्यूनतम ही माना जाना चाहिए क्योंकि कई राज्यों ने हमारे सवालों के जवाब नहीं दिए. हो सकता है कि इस कारण कुछ मौत के आंकड़े हम इसमें शामिल नहीं कर पाए हों.’
सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें पंजाब में हुईं. इसके बाद केरल, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, असम, राजस्थान और तमिलनाडु में लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई. पीयूष तिवारी ने कहा, ‘भारत हर साल सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें झेलता है. लॉकडाउन के दौरान इसमें कमी आई है. लेकिन 600 हादसों में 140 मौत यह दर्शाती हैं कि यह अब भी बहुत ज्यादा है. हमारी सरकारों के पास मौका है कि वे लॉकडाउन के दौरान सड़कों में इंजीनियरिंग फॉल्ट को ढूंढ़कर उसे सही कर सकें.’