नई दिल्ली. देश के सबसे बड़ी सरकारी बैंक एसबीआई (SBI-State Bank of India) ने लॉकडाउन (SBI reduces lending rates by 15 bps) के बीच अपने ग्राहकों को तोहफा देते हुए ब्याज दरें घटाने का ऐलान किया है. बैंक ने ब्याज दरों में 0.15 फीसदी की कटौती की है. इस कटौती के बाद ब्याज दरें 7.40 फीसदी से घटकर 7.25 फीसदी पर आ गई है. नई दरें 10 मई से लागू होंगी. यह बैंक द्वारा MCLR में लगातार 12वीं और वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी कटौती है. आपको बता दें कि इससे पहले अप्रैल में SBI ने ब्याज दरों में 0.35 फीसदी की कटौती की थी.
ग्राहकों हर महीने होगा 255 रुपये का फायदा- SBI के इस फैसले के बाद अगर किसी ने MCLR पर आधारित 25 लाख रुपये का होम लोन 30 साल के लिए लिया है. तो हर महीने 255 रुपये की बचत होगी.
कम हो जाएगी EMI लेकिन एफडी पर मिलेगा कम मुनाफा-इस फैसले के बाद MCLR पर आधारित लोन पर EMI घट जाएंगी. आपको बता दें कि RBI ने कोरोना वायरस के बीच अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मार्च में रेपो रेट 0.75 फीसदी तक घटाई. SBI ने एफडी की ब्याज दरों में भी कटौती का ऐलान किया है. 3 साल की एफडी पर दरें 0.20 फीसदी तक कम हो गई है.
अप्रैल, 2016 से ही बैंक नए फॉर्मूले के तहत मार्जिनल कॉस्ट से लेंडिंग रेट तय कर रहे हैं. साथ ही बैंकों को हर महीने एमसीएलआर की जानकारी देनी होती है. आरबीआई द्वारा जारी इस नियम से बैंकों को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलने और इकोनॉमिक ग्रोथ में भी इसका लाभ मिलने की उम्मीद थी.
एमसीएलआर फॉर्मूले का फायदा नए कस्टमर के साथ ही पुराने कस्टमर को भी मिलता है. जिस कस्टमर ने एमसीएलआर बदलने से पहले लोन लिया है और उसका लोन लेंडिंग रेट फॉर्मूले से जुड़ा हुआ है, तो एमसीएलआर घटने के साथ ही उसकी ईएमआई कम हो जाती है.
MCLR-मार्जिनल का मतलब होता है अलग से या अतिरिक्त. जब भी बैंक लेंडिंग रेट तय करते हैं, तो वे बदली हुई स्थितियों में खर्च और मार्जिनल कॉस्ट को भी कैलकुलेट करते हैं. बैंकों के स्तर पर ग्राहकों को डिपॉजिट पर दिए जाने वाली ब्याज दर शामिल होती है. MCLR को तय करने के लिए चार फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है. इसमें फंड का अतिरिक्त चार्ज भी शामिल होता है. निगेटिव कैरी ऑन CRR भी शामिल होता है. साथ ही, ऑपरेशन कॉस्ट औक टेन्योर प्रीमियम शामिल होता है.