जानिए, आखिर यूपी के वित्‍त मंत्री ने क्‍यों कहना पड़ा, जिंदगी बचाने के लिए शराब बेचना है जरूरी

उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वित्‍त मंत्री सुरेश खन्‍ना (Suresh Khanna) ने कहा है कि शराब लोगों की लाइफ स्‍टाइल और फूड हैबिट्स में शामिल हो चुकी है और लोगों की इन आदतों को आसानी से नहीं बदला जा सकता है.

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लखनऊ. उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में लॉकडाउन 3.0 (Lockdown 3.0) लागू होने के बाद शराब की ब्रिकी को इजाजत क्‍यों की गई, इस सवाल का जवाब खुद प्रदेश के वित्‍त मंत्री सुरेश खन्‍ना ने दिया है. उन्‍होंने अपने जवाब में कहा है कि लोगों की जिंदगी बचाने के लिए सरकार को शराब की दुकाने खोलने की इजाजत देनी पड़ी. उन्‍होंने कई उदाहरणों के साथ अपने इस तर्क को समझाते हुए कहा है कि सरकार के इस कदम से न केवल लोगों की जिंदगी को बचाने का काम किया जा रहा है, बिल्‍क मुश्किल के इस समय में सरकार को आर्थिक मदद भी मिल रही है.

वित्‍तमंत्री सुरेश खन्‍ना के अनुसार, लॉकडाउन लागू होने के साथ ही प्रदेश में शराबी की ब्रिकी पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई थी. चूंकि, शराब लोगों की लाइफ स्‍टाइल और फूड हैबिट्स में शामिल हो चुकी है और लोगों की इन आदतों को आसानी से नहीं बदला जा सकता है. लिहाजा, सूबे में शराब बंदी के बाद लोगों ने शराब के वैकल्पिक साधनों को तलाशना शुरू कर दिया है. गाजियाबाद के मोदी नगर का उदाहरण देते हुए वित्‍त मंत्री ने बताया कि शराब न मिलने की वजह से तीन युवकों ने सैनिटाइजर पी लिया, जिसके चलते तीनों युवकों की मौत हो गई. कानपुर की एक घटना का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने बताया कि अवैध शराब पीने के चलते वहां तीन युवकों की मृत्‍यु हो गई.

लोगों की आदतों का फायदा उठाने में लगे लोग

उन्‍होंने बताया कि लोगों की इसी कमजोरी का फायद उठाने के लिए सूबे में बड़े पैमाने पर अवैध शराब बनाने का गोरखधंधा भी शुरू हो गया. उन्‍होंने बताया कि सिर्फ लॉकडाउन पीरियड के दौरान, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 80 हजार लीटर से अधिक अवैध शराब बरामद की थी. उन्‍होंने बताया कि बताया कि उत्‍तर प्रदेश पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्‍त टीम ने महज 45 दिनों के भीतर अवैध शराब बनाने वाली 499 भट्टियों को न केवल खोजा है, बल्कि उन्‍हें नष्‍ट भी किया है. इसके अलावा, मई के पहले सप्‍ताह तक पुलिस और आबकारी विभाग ने अवैध शराब के गोरखधंधे से जुड़े 3627 लोगों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया है. इतना ही नहीं, इस मामले में उत्‍तर प्रदेश पुलिस ने 3526 एफआईआर दर्ज कर चुकी है.

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