कोरोना से चारधाम में बदली परंपरा / पहली बार सिर्फ 15-16 लोगों की मौजूदगी में केदारनाथ के कपाट खुले, पहली पूजा प्रधानमंत्री मोदी के नाम से की गई

पिछले साल 32 लाख लोगों ने की थी चारधाम यात्रा, कपाट खुलने के दौरान 3 हजार श्रद्धालुओं ने केदारनाथ के दर्शन किए थे कोराेना के कारण ऊखीमठ से चली पालकी 2 दिन में ही केदारनाथ पहुंच गई, सर्दियों में ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होती है केदारनाथ की पूजा

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देहरादून. केदारनाथ धाम के पट बुधवार सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खुले। उत्तराखंड में मौजूद यह 1000 साल पुराना मंदिर हर साल सर्दियों के छह महीने बंद रहता है। इस बार कपाट खुलने के दौरान 15-16 लोग ही मौजूद रहे। पिछले साल कपाट खुलने के दिन 3 हजार लोगों ने केदारनाथ के दर्शन किए थे। केदारनाथ मंदिर के रावल कपाट खुलने के दौरान मौजूद नहीं थे, वे क्वारैंटाइन हैं।

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट खुलने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया।

विधि-विधान के साथ बाबा केदार के पट खोलने की तैयारी में पुरोहित।
ये डोली ले जाने वाले रांसी गांव के शिव सिंह रावत हैं, जो बर्फीले पानी में स्नान कर दर्शन हेतु जा रहे हैं। उनका नियम है- बर्फ कितनी भी हो, भगवान केदारनाथ जी को नंगे पैर ले जाना और लाना और ठंडे पानी से ही स्नान करना। भगवान की डोली ले जाने का अधिकार रांसी गांव के निवासिओं के ही पास है।

आज सबसे पहले मुख्य पुजारी ने भगवान केदारनाथ की डोली की पूजा की और भोग लगाया। उसके बाद मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर के कपाट खोले गए। फिर डोली ने मंदिर में प्रवेश किया। इसके बाद पुजारियों ने मंदिर की सफाई की, भगवान की पूजा की और भोग लगाया।

मंत्रोच्चार के साथ खोले गए बाबा केदार के कपाट।

मंदिर और यात्रा से जुड़ी कई परंपराओं को इस बार बदलना पड़ा
हर बार इस पूजा और भोग के बाद मंदिर को दर्शन के लिए खोला जाता है। लेकिन इस बार दर्शन के लिए यात्रियों के यहां आने पर मनाही है। कोरोना के चलते इस इलाके में भी प्रशासन ने भीड़ जमा होने पर पाबंदी लगा रखी है। यही वजह थी कि मंदिर और यात्रा से जुड़ी कई परंपराओं को इस बार बदलना पड़ा। केदारनाथ मंदिर के रावल कपाट खुलने के दौरान मौजूद नहीं थे। वह 19 अप्रैल को महाराष्ट्र से उत्तराखंड पहुंचे और ऊखीमठ में 14 दिन के क्वारैंटाइन में हैं। रावल 3 मई को केदारनाथ पहुंचेंगे।

मंदिर को 5 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी दीं शुभकामनाएं

यात्रा होगी या नहीं, इस पर फैसला अब तक नहीं हो सका
वहीं, ऊखीमठ से केदारनाथ की डोली इस बार दो दिन में ही पहुंच गई और उसे गाड़ी में लाया गया। यह दूसरा मौका है जब डोली गाड़ी में आई है, इससे पहले देश में इमरजेंसी के वक्त ऐसा किया गया था। कोरोना की वजह से देशभर में जारी लॉकडाउन का प्रभाव चारधाम यात्रा पर भी पड़ा है। यात्रा होगी या नहीं इस पर फैसला अब तक नहीं हो सका है। पिछले साल 32 लाख लोगों ने चारधाम यात्रा की थी।

देशभर में कोरोना के चलते लॉकडाउन है, लिहाजा कपाट खुलने के दौरान इस इस बार 15-16 लोग ही रहे।

15 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट

कपाट खुलने की तारीख को लेकर भी विवाद हुआ था और सरकार ने इसे आगे बढ़ाने को कहा था, लेकिन रावल और हकहकूकधारियों की एक बैठक में पहले से तय तारीख पर ही पट खोलने का फैसला लिया गया। वहीं, बद्रीनाथ के कपाट पहले 30 तारीख को खुलने थे, जिसे अब बदलकर 15 मई कर दिया गया है।

केदारनाथ मंदिर जाने के लिए सीढ़ियों से बर्फ हटाकर रास्ता बनाया गया।

12 ज्योतिर्लिंगों में यह सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना मंदिर है

मंदिर के पट हर साल वैशाख महीने यानी मार्च-अप्रैल में खोले जाते हैं। करीब 6 महीने तक यहां दर्शन और यात्रा चलती है। इसके बाद कार्तिक माह यानी अक्टूबर-नवंबर में फिर कपाट बंद हो जाते हैं। कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ की डोली ऊखीमठ ले जाई जाती है, जहां ओंकारेश्वर मंदिर में उनकी पूजा होती है। 12 ज्योतिर्लिंगों में यह सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना मंदिर है, जिसे आदि शंकराचार्य ने बनवाया था।

आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में केदारनाथ मंदिर बनवाया था।

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