कोविड 19 वैक्सीन में भारत निभाने जा रहा है बड़ी भूमिका, वायरस के खिलाफ टीका बनाने की दौड़ में अग्रणी भारत
दुनिया भर में कोरोना वायरस के खिलाफ टीका बनाने की दौड़ चल रही है. भारत भी इसमें शामिल है, लेकिन दुनिया में वैक्सीन चाहे कहीं भी बने, भारत के सहयोग से बने या नहीं, लेकिन इसके उत्पादन के लिए भारत की तरफ दुनिया को देखना ही होगा. जानिए कि कैसे वैक्सीन के विकास और उत्पादन में भारत का अहम रोल होगा.
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के एक संस्थान ने कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ अपनी वैक्सीन (Vaccine) के मानवीय परीक्षण शुरू कर दिए हैं. अस्ल में, पूरी दुनिया में कोविड 19 (Covid 19) संक्रमण के खिलाफ कारगर टीका खोजने की होड़ शुरू हो चुकी है और वैक्सीन चाहे कहीं भी बने, भारत (India) की बड़ी भूमिका होगी ही.
कोविड 19 के खिलाफ वैक्सीन को लेकर अमेरिका (USA) से भी कई तरह की खबरें आप तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन अब आपको जानना चाहिए कि भारत का फार्मा उद्योग (Pharma Industry) किस तरह सक्रिय है. साथ ही यह भी जानने लायक है कि भारत के फार्मा उद्योग की क्षमता किस तरह दुनिया में कहीं भी बनने वाली वैक्सीन के लिए उपयोगी ही साबित होगी.
वैक्सीन पर साझा काम जारी
भारत की रसायन और फार्मा कंपनियां अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों की संस्थाओं के साथ मिलकर वैक्सीन पर काम कर रही हैं. अमेरिकी मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा भी कि कोरोना वायरस के खिलाफ भारत और अमेरिका मिलकर काम कर रहे हैं. पिछले तीन दशकों से दोनों देश मिलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आधिकारिक टीका विकास कार्यक्रम चला रहे हैं. दोनों देश मिलकर डेंगू, इन्फ्लुएंज़ा और टीबी जैसे रोगों के खिलाफ टीकों पर काम कर चुके हैं.
कितना अहम है भारत का फार्मा उद्योग?
दुनिया भर को सप्लाई के लिए जेनेरिक दवाओं और टीकों के उत्पादन की कम से कम छह बड़ी कंपनियां भारत में हैं. यहां आधा दर्जन से ज़्यादा टीके विकसित किए जाते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस वक्त भारत का सिरम इंस्टिट्यूट उन चुनिंदा संस्थाओं में है, जो कोविड 19 के खिलाफ टीका विकसित करने में जुटी हैं. यह भी गौरतलब है कि भारत पोलियो, मेनिनजाइटिस, निमोनिया, रोटावायरस, बीसीजी और रुबेला आदि के खिलाफ टीके भारत की ये कंपनियां बनाती हैं.
दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता है सिरम
दुनिया भर में डोज़ के उत्पादन और बिक्री के लिहाज़ से सिरम इंस्टिट्यूट दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता है. हर साल करीब 15 लाख डोज़ की डील करती है, जिसके पुणे में दो मुख्य प्लांट हैं और नीदरलैंड व चेक गणराज्य में इसके प्लांट हैं. साथ ही, 53 साल पुरानी इस कंपनी में करीब 7 हज़ार कर्मचारी काम करते हैं. यह कंपनी 165 देशों को करीब 20 टीकों का निर्यात करती है. इस कंपनी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम कीमतों पर दवाएं मुहैया कराती है.
सितंबर तक शुरू हो सकते हैं ह्यूमन ट्रायल
भारत की इस कंपनी ने अमेरिकी बायोटेक कंपनी के साथ मिलकर कोविड 19 की वैक्सीन पर काम किया है. सिरम के सीईओ आदार पूनावाला के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि अप्रैल में चूहों पर वैक्सीन का परीक्षण किए जाने के बाद सितंबर में इसका मानवीय परीक्षण शुरू किया जाएगा.
ऑक्सफोर्ड के साथ भी है सहयोग
भारत की इस कंपनी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ भी पार्टनरशिप की है. हालांकि ऑक्सफोर्ड ने अपनी निजी वैक्सीन के मानवीय परीक्षण पिछले दिनों ही शुरू किए.
भारत का सहयोग चाहेगा ऑक्सफोर्ड
अगर ऑक्सफोर्ड की निजी वैक्सीन को कामयाबी मिलती है तो उम्मीद की जा रही है कि सितंबर तक इसके लाखों करोड़ों डोज़ की दरकार होगी. ऐसे में, फिर भारतीय कंपनी की ओर निगाहें रहेंगी. पूनावाला कह चुके हैं कि यह इकलौती कंपनी है जिसके पास 4 से 5 करोड़ डोज़ उत्पादन की अतिरिक्त क्षमता है. गौरतलब है कि पूरी दुनिया में सप्लाई के लिए किसी भी वैक्सीन के करोड़ों डोज़ की दरकार होने ही वाली है.
अन्य कंपनियां भी हैं दौड़ में
भारत की अन्य फार्मा कंपनियां भी कोरोना वायरस टीके के विकास की दौड़ में हैं. हैदराबाद बेस्ड भारत बायोटेक ने अमेरिकी कंपनियों के साथ करार किया है. वहीं, ज़ायडस कैडिला, बायोलॉजिकल ई, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स और मिनवाज़ जैसी अन्य कई कंपनियां भी टीकों के विकास पर काम कर रही हैं.