कोरोना वायरस: चीन की कंपनी की सफाई- किट में कोई खराबी नहीं, टाइमिंग के चलते नतीजों में दिख रहा है अंतर
इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने सोमवार को राज्य सरकारों से कहा कि चीन की दो कंपनियों वॉन्डफो और Zhuhai Livzon Diagnostics के रैपिड किट का इस्तेमाल तुंरत बंद किया जाए
चेन्नई. कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए रैपिड टेस्ट किट को गेम चेंजर के तौर पर देखा जा रहा था. लेकिन अब इसमें सही नतीजे न आने के बाद रोक लगा दी गई है. इस बीच इस किट को बनाने वाली चीन की एक कंपनी वॉन्डफो बायोटेक (Wondfo Biotech) ने सफाई दी है. कंपनी ने कहा है कि उनकी किट में कोई खराबी नहीं है और टेस्ट की टाइमिंग के चलते नतीजों में अंतर दिख रहा है. कंपनी ने ये भी कहा कि उन्हें पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से इसे बनाने का अप्रूवल था.
कंपनी की सफाई
सीएनन न्यूज़ 18 को बयान जारी करते हुए कंपनी ने कहा कि वो सरकार के फैसले से हैरान और दुखी है. बता दें कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण पर नजर रखने के लिए रैपिड किट टेस्ट की शुरूआत की थी, लेकिन सोमवार को खराब नतीजे आने के चलते इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई. इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने सोमवार को राज्य सरकारों से कहा कि चीन की दो कंपनियों वॉन्डफो और Zhuhai Livzon Diagnostics के रैपिड किट का इस्तेमाल तुंरत बंद करें. जबकि 10 दिन पहले ही इसके इस्तेमाल कि इजाजत दी गई थी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस बीच मेडिकल एक्सपर्ट सुमंत रमण का कहना है कि ये समझ से बाहर है कि अलग-अलग समय और परिस्थितियों में इसके परिणामों के लिए रैपिड टेस्ट किट का परीक्षण भारत में क्यों नहीं किया गया. उन्होंने ये भी कहा का कि हो सकता है कि किट की एक खेप में खराबी हो. लेकिन अब NIV पुणे को इसका जवाब देना चाहिए
कीमत पर सवाल
इस बीच भारत सरकार ने कहा है कि उन्हें किट पर कोई नुकसान नहीं हुआ है. इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि अभी की स्थिति को देखते हुए कोविड-19 टेस्ट किट 400 रुपये से ज्यादा के रेट पर नहीं बेची जानी चाहिए. आपको बता दें कि चीन से मंगाकर कोविड रैपिड जांच की पांच लाख किट IMRC को 145 फीसदी के मुनाफे पर बेची गई.