25 मार्च को देश में कोरोना मरीजों के लिए 70 अस्पताल थे, आज 900 से ज्यादा हैं, वेंटिलेटर्स की संख्या भी 14 हजार से बढ़कर 50 हजार हुई
लॉकडाउन के एक महीने में सरकार ने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया, लेकिन जरूरत के हिसाब से यह अब भी काफी कम एक महीने में टेस्टिंग में 10 गुना का इजाफा हुआ, पहले तीन से चार हजार लोगों की टेस्टिंग होती थी, अब रोज 35 हजार की टेस्टिंग
नई दिल्ली. कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए आज से ठीक एक महीने पहले यानी 25 मार्च से देशभर में 21 दिनों का लॉकडाउन शुरू हुआ था। तब देश में तेजी से संक्रमण फैलने लगा था। 603 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके थे। 43 मरीज ठीक हो चुके थे, जबकि 11 लोग दम तोड़ चुके थे। तब देश में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ 70 कोविड-19 डेडिकेटेड अस्पताल थे। पीपीई किट, एन-95 मास्क, वेंटिलेटर की संख्या जरूरत के हिसाब से काफी कम थी। इस एक महीने में इन सब में बढ़ोतरी देखने को मिली है। कोविड-19 अस्पतालों की संख्या 70 से बढ़कर 900 हो गई है। अब हर रोज 25 हजार पीपीई किट तैयार हो रहे हैं। वेंटिलेटर्स की संख्या 14 हजार से बढ़कर 50 हजार के करीब पहुंच चुकी है। हालांकि, जरूरत के हिसाब से अभी भी ये काफी कम है। पढ़ें, लॉकडाउन के इस एक महीने में देश में कोरोना का ग्राफ कैसे बढ़ा और सरकार ने क्या तैयारियां की?
लॉकडाउन के समय हर 5 दिन में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही थी
स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि लॉकडाउन शुरू होने पर संक्रमितों की संख्या बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। 24 से 30 मार्च के बीच 1251 लोग पॉजिटिव पाए गए थे। संक्रमितों के डबल होने की दर 5.2 थी। मतलब हर पांच दिन में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही थी। लॉकडाउन के दूसरे हफ्ते यानी 31 मार्च से 6 अप्रैल के बीच इसमें और तेजी देखी गई। 4.2 के डबलिंग रेट के साथ 4421 केस सामने आए।
तीसरे हफ्ते (7-13 अप्रैल) से डबलिंग रेट में गिरावट दर्ज की गई। उस बीच 10,363 मामले आए और डबलिंग रेट 6.0 रहा। चौथे हफ्ते डबलिंग रेट बढ़कर 6 से बढ़कर 8.6 दिन हो गया। अब पांचवें हफ्ते हर 10 दिन में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने पिछले दिनों यह दावा किया था कि अगर उस दौरान लॉकडाउन और बाकी जरूरी कदम नहीं उठाए गए होते तो 15 अप्रैल तक देश में संक्रमितों की संख्या 8 लाख हो गई होती। वहीं, शुक्रवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि लॉकडाउन का फैसला वक्त पर ना लिया गया होता तो आज 23 हजार की जगह 73 हजार संक्रमित हो सकते थे।
118 लैब में हर दिन 3 हजार टेस्टिंग होती थी, अब 360 लैब में 30 से 35 हजार जांचें होती हैं
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार 25 मार्च तक देश में 118 लैब थे। हर दिन तीन हजार से चार हजार टेस्ट हुआ करते थे। काउंसिल के रिसर्च मैनेजमेंट, पॉलिसी, प्लानिंग एंड कोआर्डिनेशन सेल के हेड डॉ. रजनी कांत बताते हैं कि अब 360 लैब हो चुके हैं। इनमें 87 प्राइवेट लैब्स हैं। इन लैब्स में हर रोज अब 30 से 35 हजार लोगों का कोरोना टेस्ट हो रहा है। मतलब इस एक महीने में टेस्टिंग क्षमता में 10 गुना की बढ़ोतरी हुई है। डॉ. रजनी कहते हैं कि लैब की संख्या में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है।
3.34 लाख पीपीई किट थीं, अब बढ़कर 50 लाख हो गई
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 30 मार्च तक देशभर के अस्पतालों में 3.34 लाख पीपीई किट भेजे जा चुके थे। उस दौरान 11 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स किट बनाने का काम शुरू कर चुकी थीं। केंद्र सरकार ने 21 लाख अतिरिक्त किट का ऑर्डर भी दिया था। लॉकडाउन के इस एक महीने में करीब 70 लाख पीपीई किट देशभर के अस्पतालों में बांटी जा चुकी हैं। टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की निगरानी में देश की 30 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी पीपीई किट तैयार करने लगी हैं। हर रोज करीब 25 हजार किट तैयार हो रहे हैं।
80 लाख एन-95 मास्क भी तैयार
25 मार्च तक देश के अलग-अलग अस्पतालों में 11.95 लाख एन-95 मास्क स्टॉक में थे। उस दौरान दो कंपनियां इसे तैयार कर रहीं थीं। 30 मार्च तक 6 लाख 60 हजार अतिरिक्त मास्क अस्पतालों में केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए। इस एक माह के लॉकडाउन में एन-95 मास्क के उत्पादन में भी तेजी दिखी। अब तक 80 लाख से ज्यादा एन-95 मास्क तैयार हो चुके हैं। देश की कई कंपनियां इसे तैयार करने में जुटी हैं।
वेंटिलेटर की संख्या 14 हजार से बढ़कर 50 हजार हुई
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 25 मार्च तक देश के अलग-अलग अस्पतालों में 14 हजार वेंटिलेटर्स थे। सरकार ने उस दौरान 10 हजार वेंटिलेटर नोएडा की एक कंपनी और 30 हजार वेंटिलेटर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को तैयार करने का ऑर्डर दिया था। चीन से भी 10 हजार वेंटिलेटर मंगवाए गए थे। इसके अलावा कई अन्य निजी क्षेत्र की कंपनियों ने भी मैन्युफैक्चिरिंग शुरू कर दी थी। इन सबकी मदद से आज देश के अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या 14 हजार से बढ़कर 50 हजार के करीब हो गई है।