चडीगढ़. केंद्र सरकार ने शराब के ठेके खोल कर खजाना बढ़ाने की पंजाब सरकार की उम्मीदों को रोक लगा दी है। केंद्र ने कहा है कि पंजाब में न तो शराब के ठेके खुलेंगे और न ही होम डिलवरी संभव हो सकेगी। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र के इस फ़ैसले पर सख़्त प्रतिक्रया ज़ाहिर करते कहा कि शराब की बंद बोतल से कोरोना कैसे फैलता है, समझ से परे है।
मुख्य मंत्री ने इस के जवाब में कहा है कि एक तरफ केंद्र ने सब्जियाँ और फल बेचने की आज्ञा दे दी है जिसपर थूका जा सकता है और कोरोना का प्रसार हो सकता है। दूसरे तरफ शराब की सीलबंद बोतलों को बेचने पर पाबंदी है। यह तर्क समझ से परे है। सिर्फ पंजाब ही नहीं सभी राज्य सरकार को इसका नुक्सान होगा। पंजाब को सीधा 6200 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ेगा। पहले ही केंद्र पंजाब को 4400 करोड़ जीएसटी का बकाया नहीं दे रही है। वही वेतन व अन्य खर्चों के लिए दस हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की कमी है, इस को कौन पूरा करेगा?
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिख कर राज्य की बुरी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए शराब के ठेके खोलने की आज्ञा माँगी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव अशीश कुमार सिंह ने पंजाब के अतिरिक्त गृह सचिव सतीश चंद्र को एक पत्र में लिखा है कि न तो शराब के ठेके खुलेंगे और न ही शराब की हम डिल्वरी संभव हो सकेगी।
केंद्र ने 15 अप्रैल को जारी हिदायतों का भी हवाला दिया है, जिसमें साफ लिखा है कि जनतक स्थानों पर शराब नहीं बेची जाएगी। ज़िक्रयोग्य बात है कि कैप्टन ने केंद्र को एक पत्र लिखते कहा था कि अप्रैल में शराब के ठेकों की नीलामी से राज्य को 521 करोड़ रुपए आने की उम्मीद थी, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहां है।
पंजाब सरकार 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू करके राज्य के शराब के ठेकों की नीलामी करती है। यह इकठ्ठा किये जाने वाले कुल खजाने का 10 प्रतीशत होने का अनुमान होता है। इस महीने पंजाब को 521 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद थी। राज सरकार का कहना है कि कर्फ़्यू और तालाबन्दी के कारण सभी कारोबार बंद होने के कारण अनुमानित सरकारी खजाने में प्राप्तियाँ और खर्चों में 3000 करोड़ की कमी आई है। सरकार को केंद्र की तरफ से कोई मुआवज़ा भी नहीं मिल रहा है।