डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स पर हमला अब गैर-जमानती अपराध होगा, 7 साल तक की सजा और 5 लाख तक जुर्माना देना होगा

कैबिनेट की बैठक में 123 साल पुराने महामारी कानून में संशोधन का फैसला लिया गया हेल्थ वर्कर्स पर हमला हुआ तो जांच अधिकारी को 30 दिन में जांच पूरी करनी होगी

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नई दिल्ली. सरकार ने कोरोनावायरस के मरीजों की मदद में लगे डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स पर बढ़ते हमलों को देखते हुए 123 साल पुराने में कानून में ऑर्डिनेंस के जरिए बदलाव किया है। सरकार ने कहा है कि इस बारे में सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है। डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स पर किसी ने हमला किया और गुनहगार पाया गया तो अधिकतम 7 साल की सजा होगी। 5 लाख जुर्माना भी लगेगा। इस अपराध को अब गैर-जमानती भी बना दिया गया है। चूंकि अभी संसद नहीं चल रही, इसलिए इस कानून में बदलाव के लिए कैबिनेट ने ऑर्डिनेंस को मंजूरी दी है। ऑर्डिनेंस 6 महीने के लिए होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अगुआई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कानून में बदलाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा- महामारी कानून 1897 में बदलाव किए गए हैं। अभी आईपीसी, सीआरपीसी, एनएसए, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट है। लेकिन यह मांग थी कि पूरे देश के लिए भी कानून बने ताकि कोरोना से लड़ाई में शामिल डॉक्टर्स-हेल्थ वर्कर्स के लिए नियम कड़े किए जाएं।

स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला हुआ तो अध्यादेश इस तरह काम करेगा
अपराध किस तरह का माना जाएगा?
इस तरह का अपराध संज्ञेय होगा। संज्ञेय यानी बिना वॉरंट के गिरफ्तारी हो सकती है। बिना अदालत की मंजूरी के जांच शुरू हो सकती है। अपराध गैर-जमानती भी होगा। गैर-जमानती यानी जमानत सिर्फ अदालत से ही मिलेगी।

जांच कैसे हाेगी?
जांच अधिकारी को 30 दिन के भीतर जांच पूरी करनी होगी। एक साल में फैसला आएगा।

सजा कैसे तय होगी?
डॉक्टर्स-हेल्थ वर्कर्स पर हमले के दोषी पाए गए तो 3 महीने से 5 साल तक की सजा होगी। 50 हजार से 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर हमले में गंभीर चोट आई है तो 6 महीने से 7 साल तक की सजा और एक लाख से 5 लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
अगर संपत्ति का नुकसान हुआ तो क्या होगा?
अगर डॉक्टरों-हेल्थ वर्कर्स की गाड़ी और क्लीनिक का नुकसान होता है तो उसकी मार्केट वैल्यू का दोगुना हमला करने वालों से वसूला जाएगा।

क्या अध्यादेश सिर्फ हमलों तक सीमित रहेगा?
नहीं। अगर किसी हेल्थ वर्कर को उसका मकान मालिक या पड़ोसी इसलिए परेशान करता है कि उसके कामकाज की वजह से उसमें कोरोना का संक्रमण होने का खतरा है तो भी इस अध्यादेश के जरिए बदले हुए कानून को लागू किया जा सकता है।

अध्यादेश से फायदा किसे होगा?
डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स, आशा कार्यकर्ताओं को फायदा होगा जो अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना से निपटने में सेवाएं दे रहे हैं।

देश में 723 कोविड अस्पताल, इनमें 2 लाख आईसोलेशन बेड
जावड़ेकर ने कहा- कोरोनावायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर किसी भी तरह का हमला अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये लोगों की जान बचाने लिए लगातार अपना काम कर रहे हैं और लोग इन्हें ही संक्रमण फैलाने वाला समझ रहे हैं। मोदी सरकार ने संक्रमण का पहला केस आने से पहले ही इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं। तीन महीने के भीतर देश में 723 नए कोविड अस्पताल बनाए गए हैं। इनमें 2 लाख आईसोलेशन बेड हैं। इनमें 24 हजार आईसीयू बेड और 12990 वेटिंलेटर हैं। मौजूदा समय में पीपीई किट के 77 डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरर हैं। हमने इस किट के एक करोड़ 87 लाख ऑर्डर दिए हैं। मौजूदा समय में एन-95 मास्क 25 लाख हैं और ढाई करोड़ का हमने ऑर्डर दिया है। ये मास्क मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर और देखरेख में लगी हेल्थ टीम के काम आता है।

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