- विजय माल्या की प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका खारिज
- भारत आने से बचने के लिए अपना सकता है कोई कानून दांवपेंच
लंदन हाई कोर्ट ने विजय माल्या को भारत भेजे जाने का रास्ता साफ कर दिया है. लंदन हाई कोर्ट के फैसले के बाद विजय माल्या ने कहा कि मैं स्वाभाविक रूप से इस फैसले से निराश हूं. मैं अपने वकील की सलाह पर आगे भी कानूनी प्रकिया जारी रखूंगा. माल्या ने कहा कि मैं मीडिया नैरेटिव से भी निराश हूं जो कहा गया है कि मुझे 9,000 करोड़ की धोखाधड़ी के मुकदमे का जरूर सामना करना चाहिए.
बता दें कि हजारों करोड़ रुपये की हेरा फेरी कर भारतीय बैंकों को चूना लगाने वाला विजय माल्या हिंदुस्तान ना आने के लिए कोई भी रास्ता छोड़ना नहीं चाहेगा. सूत्रों की मानें तो विजय माल्या के पास लंदन हाई कोर्ट से मिले झटके के बाद शायद ही कोई रास्ता रह गया है, लेकिन वो प्रत्यर्पण से बचने के लिए कई ऐसे कानूनी दांवपेंच अपना सकता है, जिससे कि वो भारत आना टाल सके. इसमें एक तरीका लंदन सुप्रीम कोर्ट के सामने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करना हो सकता है.
लंदन में SC केवल संवैधानिक मामलों को देखता है
‘आजतक’ को मिली जानकारी के अनुसार, क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) के मार्क्स समर्स ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंडिया (सीबीआई) के बताया है कि बहुत कम संभावना है कि ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट विजय माल्या की अपील को स्वीकार करेगी, भले ही वह याचिका दायर करे. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों का कहना है कि लंदन में सुप्रीम कोर्ट केवल संवैधानिक मामलों को देखता है और सुप्रीम कोर्ट के लिए प्रत्यर्पण से जुड़े मुद्दे को सुनना आम बात नहीं है. इसी कारण से जब बुकी संजीव चावला को भारत में प्रत्यर्पित किया जा रहा था, तो उनके पास सुप्रीम कोर्ट के सामने अपील करने का कोई विकल्प नहीं था.
अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया सट्टेबाज संजीव चावला के प्रत्यर्पण के समान होगी. कोर्ट से ऑर्डर आने के बाद 12 फरवरी, 2020 को चावला को हीथ्रो हवाई अड्डे पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया था. क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को चावला की कस्टडी दी गई और उसे दिल्ली लाया गया.
सोमवार को लंदन हाई कोर्ट ने ऑर्डर पास किया कि विजय माल्या ने भारतीय बैंकों को धोखा दिया है और उसे भारत में प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए. माल्या पर भारतीय बैंकों को 11,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाने का आरोप है.