ICMR टेस्टिंग डेटा हर दिन होने वाले टेस्ट की संख्या में बढ़ोतरी और नए केस में मजबूत को-रिलेशन (0.98) दिखाता है. ये बताता है कि अगर टेस्ट की संख्या बढ़ाई जाए तो केस की संख्या भी बढ़ सकती है.

भारत में पहला केस जनवरी के आखिरी हफ्ते में सामने आया था. उसके बाद 4 लाख लोगों (कुल आबादी का 0.02 फीसदी) के टेस्ट किए जा चुके हैं और 20 अप्रैल तक 17,000 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं.

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टेस्टिंग के अन्य पैमाने जैसे कि ‘टेस्ट्स पर मिलियन’ (TPM) दिखाते हैं कि भारत अधिक लोगों का टेस्ट नहीं कर रहा है. ऐसी स्थिति में विशेषज्ञ, ऐसे संक्रमित लोगों जिनमें लक्षण नहीं दिख रहे हैं, को चुनिंदा टेस्टिंग प्रक्रिया से बाहर रखे जाने पर चिंता जाहिर कर रहे हैं.

भारत ने टेस्टिंग के ट्रेसिंग और टारगेटेड सिस्टम को अपनाया है. इसमें बिना लक्षण वाले लोग करीब करीब टेस्टिंग प्रक्रिया से बाहर हैं. ये लोग मेडिकल सिस्टम में आए बिना ही COVID-19 की वजह से दम तोड़ सकते हैं. इसका मतलब ये है कि उनका कभी टेस्ट ही नहीं हुआ.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेडरोस अधानोम गेबरिएसस ने चेताया है, “आप वायरस से नहीं लड़ सकते अगर आप को ये न पता हो कि वो है कहां.’’