दुनिया का सबसे शातिर वायरस है कोरोना, वैज्ञानिक ने दी चेतावनी
इंडिया टुडे के ई-कॉन्क्लेव की सीरीज में प्रसिद्ध वैज्ञानिक और बायोटेक्नोलॉजी इन्वेस्टर पीटर कोलचिनस्की ने कोरोना वायरस के बारे में कई जरूरी जानकारियां दीं और ये भी बताया कि वैक्सीन का इंतजार कब खत्म होगा.
कोरोना वायरस के तूफान ने पूरी दुनिया में हलचल मचा रखी है. कोरोना वायरस की महामारी के डर से पूरी दुनिया थम सी गई है. दुनिया भर के देशों में कई दिनों से लॉकडाउन लागू है और लोग घरों में कैद हैं. इस खतरनाक वायरस से लड़ाई में अब लोगों को सिर्फ एक ही उम्मीद नजर आ रही है. वो है- कोरोना वायरस की वैक्सीन. इंडिया टुडे के ई-कॉन्क्लेव की सीरीज में प्रसिद्ध वैज्ञानिक और बायोटेक्नोलॉजी इन्वेस्टर पीटर कोलचिनस्की ने कोरोना वायरस के बारे में कई जरूरी जानकारियां दीं और ये भी बताया कि वैक्सीन का इंतजार कब खत्म होगा.
एविल जीनियस है कोरोना वायरस?
साइंटिस्ट पीटर ने कहा, कोई भी वायरस अच्छा या बुरा नहीं होता है, ये प्रकृति का हिस्सा है. लेकिन ये वायरस पूरी दुनिया का दुश्मन बन गया है. कोरोना वायरस को दूसरे वायरसों की तुलना में जीनियस कहा जा सकता है. इस वायरस ने खुद में ऐसे बदलाव किए हैं जिसकी वजह से ये सार्स-1 से ज्यादा खतरनाक बन गया है. ये वायरस चुपचाप इंसानों को संक्रमित कर रहा है और उनके रेस्पिरेटरी एरिया में जाकर अपनी संख्या बढ़ा रहा है.
कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण ही नहीं दिखते हैं जिसकी वजह से संक्रमित लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करने का काम मुश्किल हो गया है. सार्स-1 और कोरोना वायरस के बीच ये एक छोटा सा फर्क है लेकिन ये छोटा सा फर्क ही घातक साबित हो रहा है.
जब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में लक्षण दिखते हैं, तब तक यह अपना संक्रमण दूसरों में भी फैलाना शुरू कर देता है. कुछ लोगों में इसके बेहद हल्के लक्षण ही नजर आते हैं जिसकी वजह से ये पकड़ में आने से बच जाता है.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से वायरोलॉजी विषय में पीएचडी कर चुके वायरोलॉजिस्ट पीटर ने बताया कि साल के अंत तक स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है. बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस की वैक्सीन का उत्पादन अगले साल की पहली तिमाही में होने की संभावना है. उसी वक्त, आम लोगों को वैक्सीन मुहैया हो सकेगी.
शरीर के दूसरे अंगों पर भी डाल रहा बुरा असर
एक्सपर्ट ने बताया कि कोरोना वायरस शरीर के श्वसन तंत्र के अलावा कई अंगों पर भी बुरा असर डाल रहा है. ये लीवर, किडनी और हार्ट समेत शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए ये जरूरी है कि लोग सिर्फ इस बात पर ध्यान ना दें कि कितनी मौतें हो रही हैं बल्कि ये भी देखें कि कितने लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. ये वायरस बहुत जल्दी अपना जेनेटिक रूप नहीं बदलता है, इसे ऐसा करने में दिक्कत होती है. ये वायरस कोई भी गलती नहीं करना चाहता है.