राहत वाली खबर-‘धूप में मर गया कोरोना’, US सरकार ने कहा- प्रयोग के अंतिम नतीजे आने बाकी

प्रयोग के विवरण में जिक्र किया गया है- 'दिन की रोशनी में बाहरी वस्तुओं की सतह से कोरोना संक्रमण का खतरा कम पाया गया,' वहीं 'धूप में वायरस जल्दी ही खत्म हो गया.' हालांकि, इस बात का भी जिक्र किया गया है कि जिस जगह पर ह्यूमिडिटी कम रहती है, वहां संक्रमण के खतरे कम करने के लिए अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है.

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अमेरिकी सरकार के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के एक प्रयोग में पता चला है कि धूप से कोरोना वायरस ‘बहुत जल्द’ खत्म हो गया. हालांकि, प्रयोग का ये शुरुआती परिणाम है. विभाग ने कहा है कि प्रयोग के अंतिम नतीजे आने बाकी हैं. याहू न्यूज ने प्रयोग से जुड़े कुछ विवरण हासिल किए हैं जिससे ये बात सामने आई है. इससे पहले भी साइंटिस्ट ये मानते रहे हैं कि अधिक तापमान में कोरोना वायरस का प्रभाव कम हो सकता है या फिर खत्म हो सकता है. हालांकि, आधिकारिक रूप से अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है.

  • अमेरिकी सरकार के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के प्रयोग में ये देखा गया कि उच्च तापमान और अधिक ह्यूमिडिटी में कोरोना वायरस अधिक देर तक नहीं टिकता.
  • प्रयोग के विवरण में जिक्र किया गया है- ‘दिन की रोशनी में बाहरी वस्तुओं की सतह से कोरोना संक्रमण का खतरा कम पाया गया,’ वहीं ‘धूप में वायरस जल्दी ही खत्म हो गया.’ हालांकि, इस बात का भी जिक्र किया गया है कि जिस जगह पर ह्यूमिडिटी कम रहती है, वहां संक्रमण के खतरे कम करने के लिए अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है.
  • अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के एक प्रवक्ता ने डेली मेल से कहा कि विभाग कोरोना के खिलाफ लड़ाई में काम कर रहा है. हालांकि, विभाग की नीति की वजह वे लीक हुए डॉक्युमेंट के संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे. वहीं, कुछ ही दिन पहले फ्रांस के Aix-Marseille यूनिवर्सिटी में किए गए एक प्रयोग में पाया गया था कि 60 डिग्री सेल्सियस तापमान में वायरस का प्रभाव कुछ कम जरूर होता है, लेकिन अधिक तापमान में भी वे संक्रमण फैलाने में सक्षम रहते हैं.
कोरोना के खतरे के साथ ही जीना होगा, वैक्सीन की गारंटी नहीं- WHO एक्सपर्ट

इंसानियत को निकट भविष्य में कोरोना वायरस के खतरे के साथ ही जीना होगा. ये चेतावनी दी है लंदन के इंपेरियल कॉलेज में ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर और कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दूत डेविड नैबारो ने. theguardian.com की रिपोर्ट के मुताबिक, नैबारो ने कहा है कि सफलतापूर्वक वैक्सीन तैयार कर लेने की कोई गारंटी नहीं है.

  • ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर के मुताबिक, नए माहौल में इंसानों को सामंजस्य स्थापित करना होगा. उन्होंने कहा कि लोगों को यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि निश्चित तौर से जल्द ही कोरोना वायरस की वैक्सीन बन जाएगी.
  • डेविड नैबारो ने कहा- ‘हर वायरस के खिलाफ अनिवार्य तौर से आप एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन नहीं बना पाते हैं. कुछ वायरस की वैक्सीन तैयार करना काफी मुश्किल होता है. इसलिए वायरस के खतरे के बीच ही हमें अपनी जिंदगी जीने के लिए नए तरीके तलाश करने पड़ेंगे.’
  • संक्रामक रोगों के एक्सपर्ट ने कहा- ‘इसका मतलब है कि जिन लोगों में रोग के लक्षण हैं उन्हें आइसोलेट करना होगा और उनके संपर्क में आए लोगों को भी. बुजुर्गों की रक्षा करनी होगी. बीमारी का इलाज करने वाले हॉस्पिटल की क्षमता बढ़ानी होगी. हम सभी के लिए यह एक ‘न्यू नॉर्मल’ होगा. ‘

इससे पहले WHO के एक अधिकारी ने यह भी कहा था कि इस बात के ठोस सबूत नहीं हैं कि एक बार कोरोना से संक्रमित होने के बाद लोग इस बीमारी से इम्यून हो जाते हैं. WHO के इमरजेंसीज प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइक रयान ने कहा- ‘किसी भी व्यक्ति को ये पता नहीं है कि जिन लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज हैं वे पूरी तरह बीमारी से सुरक्षित हैं.’

बता दें कि दक्षिण कोरिया में 100 से अधिक कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद उनमें दोबारा संक्रमण की पुष्टि हुई थी. इसके बाद हेल्थ विभाग ने मामले की जांच के आदेश दे दिए थे.

 

 

 

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