गेहूं से खरीद के लिए पंजाब के 26,600 करोड़ के कैश क्रेडिट लिमिट को मंजूरी मिली, मंडियों में किसानों को समय पर होगा भुगतान

कर्फ्यू/लॉकडाउन के कारण पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को फिर से गति मिलने की उम्मीद है। गेहूं खरीद से पंजाब को राहत मिलेगी। पंजाब देश में सर्वाधिक अनाज की सप्लाई देने वाला राज्य है। लाकडाउन के कारण देश भर में अनाज की आपूर्ति में गति आने के साथ जरूरतमंद दूसरे देेशों को अनाज की सप्लाई देने के काम में गति मिल सकेगी। इस साल सरकार ने गेहूं को निर्यात करने की योजना भी बना रखी है।

चंडीगढ़ [Jagran]। पंजाब में गेहूं की खरीद कर्फ्यू के कारण 27 दिन से अर्थव्यवस्था के जाम पहियों में ग्रीस का काम कर सकती है। गेहूं खरीद के लिए 26,600 करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) को मंजूरी मिली गई है। इसमें से अप्रैल में 22,800 करोड़ रुपये इस्तेमाल किए जाने हैं, जबकि शेष राशि का इस्तेमाल मई में होगा।

बीस अप्रैल के बाद कुछ उद्योगों और कारोबार को चलाने में छूट मिलने की संभावना है, जिसमें यह राशि निश्चित रूप से बड़ा सहयोग करेगी। अहम बात यह है कि यह राशि अधिकांश राज्यों के पास नहीं होगी, क्योंकि गेहूं की पैदावार बहुत कम राज्यों में पंजाब जैसे बड़े पैमाने पर होती है। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो शेष राज्यों के ज्यादातर किसानों के पास केवल अपनी जरूरत के आसपास ही गेहूं होता है। ऐसे में उनके पास यह राशि नहीं आती। पंजाब में गेहूं की पैदावार लगभग 185 लाख मीट्रिक टन होती है। इसमें से 50 लाख मीट्रिक टन अपनी खपत के लिए रखकर किसान 135 लाख टन मंडियों में ले आते हैं। यानी किसानों के पास यह पैसा खर्च करने के लिए होगा, जो वह अपनी अगली फसल की तैयारी, अपने रोजाना के खर्च आदि को पूरा करने पर लगा सकेंगे।

वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने वित्तीय संसाधन जुटाने और खर्च कम करने के लिए मीटिंग बुलाई थी। मीटिंग में उन्होंने भी कहा था कि इस समय गेहूं की खरीद सरकार के लिए अर्थव्यवस्था को फिर से चलाने में अनुकूल परिस्थिति पैदा करेगी। यदि किसानों व खेतिहर मजदूरों के पास पैसा होगा तो वे इसे खाने-पीने की वस्तुओं, कपड़ा, बीज, दवाएं आदि लेने पर खर्च करेंगे। यही अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए काफी होगा। आज जब देश भर में इंडस्ट्री बंद पड़ी है तो किसानों और मजदूरों के हाथों में पूरे महीने में आना वाला पैसा अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार को हर रोज लगभग 175 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। देशभर में लॉकडाउन के कारण आवाजाही लगभग बंद है। पेट्रोल, डीजल से आने वाला जीएसटी लगभग बंद है। इसी तरह स्टांप ड्यूटी, बसों से आने वाला पैसेंजर टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि से भी सरकार को हाथ धोना पड़ रहा है। बीस अप्रैल के बाद ग्रीन जोन में यदि इंडस्ट्री चलती है तो उससे भी आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।

चौथे दिन 2.49 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद

पंजाब में गेहूं खरीद के चौथे दिन शनिवार को 2,49,686 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई। इसमें सरकारी एजेंसियों की ओर से 2,52,904 और आढ़तियों से 3218 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है। पंजाब के खाद्य एवं सिविल सप्लाई विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में 2,52,904 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद सरकारी एजेंसियों ने की है।

पनग्रेन ने 60,849 मीट्रिक टन, मार्कफेड ने 68,570 मीट्रिक टन और पनसप ने 50,878 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा है। पंजाब स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरर्पोरेशन ने 35,214 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा। केंद्र सरकार की एजेंसी एफसीआइ ने 20,556 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा। इसके अलावा पनग्रेन ने पंजाब में सार्वजनिक वितरण के लिए 16,837 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है। खरीद प्रक्रिया के चौथे दिन अब तक राज्य में कुल 4,37,103 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। खरीद की अदायगी भी शुरू कर दी गई है।

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