पाकिस्तान से आए हिंदू डॉक्टरों की सरकार से अपील- हमें भी कोरोना के मरीजों के इलाज करने का दें मौका

इन डॉक्टरों को भारत में तब तक प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं है जब तक वे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) द्वारा निर्धारित परीक्षा पास नहीं कर लेते.

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  • प्रवासी पाकिस्तानी हिंदू डॉक्टरों के एक ग्रुप ने भारत सरकार से की अपील- कोरोन के खिलाफ जारी जंग में उन्हें डॉक्टर्स की टीम में शामिल करें।
  • मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) द्वारा आयोजित होने वाली ब्रिज परीक्षा में भाग लेने की प्रवासी पाकिस्तानी हिंदू डॉक्टरों को नहीं है इजाजत।

जोधपुर. पाकिस्तान (Pakistan) के अलग-अलग मेडिकल कालेजों से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले प्रवासी हिंदू चिकित्सकों (Migrated Pakistani Hindu ) के एक समूह ने सरकार से यहां कोरोना वायरस (Coronavirus) का मुकाबला कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के साथ काम करने की इजाजत देने की मांग की है.

इसलिए नहीं मिल रहा है मौका
इन डॉक्टरों को भारत में तब तक कार्य (प्रैक्टिस) करने की इजाजत नहीं है जब तक वे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) द्वारा निर्धारित परीक्षा पास नहीं कर लेते. विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले चिकित्सकों के लिए भारत में कार्य करने के लिए यह परीक्षा पास करना अनिवार्य है.

कोरोना के खिलाफ जंग में होना है शामिल

इन चिकित्सकों ने वर्तमान में कोरोना महामारी की स्थितियों के मद्देनजर सरकार से परीक्षा नियम से छूट प्रदान कर उन्हें कोरोना के खिलाफ जारी भारत की जंग में सहयोग करने देने की अपील की है.एक ऐसे ही डाक्टर हैं एम एल जांगिड़ जो 20 साल पहले भारत आये थे और जिनके पास कराची के सिंध मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री है. वह बताते हैं कि भारतीय चिकित्सा परिषद से अनिवार्य परीक्षा की अनुमति नहीं मिलने के बाद वह और उनके जैसे 300 अन्य डॉक्टर भारत में प्रैक्टिस करने में समर्थ नहीं है क्योंकि विदेश से एमबीबीए की डिग्री हासिल कर चुके केवल भारतीय नागरिक ही यह परीक्षा दे सकते हैं.जांगिड़ ने कहा, ‘ यदि भारत सरकार इस मामले को गंभीरता से लेती है और हमें योग्य मेडिकल डॉक्टर के रूप में अनुमति देती है तो हम कोविड-19 से निपटने में कुछ मददगार हो सकते हैं.’

‘अब मुश्किल है परीक्षा में पास होना’
एक अन्य ऐसी ही डॉक्टर हैं अनिला शारदा जो 2007 में भारत आयी और उनके पास पाकिस्तान के हैदराबाद के एक मेडिकल कॉलेज की डिग्री है.उन्होंने कहा, ‘ भारत आने के बाद हमें भारत की नागरिकता हासिल करने में कम से कम 11 साल लग गये और उसके बाद हमें भारत में प्रैक्टिस की अर्हता हासिल करने के लिए एमसीआई की परीक्षा में शामिल होना था जो एक कठिन कार्य है. हममें से ज्यादातर उम्र या अन्य कारकों से यह परीक्षा नहीं दे पाये.’

सरकार से अपील
सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा ने सरकार का पत्र लिखकर उनका ध्यान पाक हिंदू शरणार्थी परिवारों के इन 300 से अधिक एमबीबीएस डॉक्टरों की ओर उसका ध्यान आकृष्ट किया है जो 2000के बाद भारत आये थे.सोढा ने कहा, ‘ हम पिछले कुछ सालों से गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा कानून एवं न्याय मंत्रालय के सामने यह मुद्दा उठा चुके हैं.’ उन्होंने कहा कि वैसे तो सभी पक्ष सैद्धांतिक रूपसे राजी हैं लेकिन उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने की इजाजत संबंधी अंतिम कदम उठाया जाना अभी बाकी है.

‘कोरोना के खिलाफ मदद करना चाहते हैं’
पाकिस्तानी हिंदू डॉक्टर एमएल जांगिड़, जो 20 साल पहले भारत आए थे, उनके पास कराची के सिंध मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री है। लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की अनिवार्य परीक्षा में भआग लेने की अनुमति के अभाव में वह और उनके जैसे 300-अन्य लोग भारत में अभ्यास करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अगर भारत सरकार, मामले को गंभीरता से लेती है और हमें डॉक्टरों के रूप में काम करने की अनुमति देती है, तो हम इस COVID-19 महामारी से निपटने में कुछ मदद कर सकते हैं,”

उम्र और अन्य वजह से नहीं ले पाते MCI की परीक्षा में भाग
2007 में पाकिस्तान से भारत आने वालीं एक अन्य डॉक्टर अनिला शारदा बताती हैं कि उनके पास पाकिस्तान के हैदराबाद के एक मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की डिग्री है। शारदा ने कहा, “भारत आने के बाद हमें भारत की नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल लगते हैं। इसके बाद हम भारत में तब प्रैक्टिस कर सकते हैं जब हम एमसीआई द्वारा आयोजित परीक्षा में भाग लेते हैं और उसे पास करते हैं। यह हम जैसों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। हम में से अधिकांश उम्र और अन्य वजहों से इस परीक्षा में भाग नहीं ले पाते हैं।”

गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के समक्ष उठाया है मुद्दा
इस मुद्दे पर सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा कि हमने भारत सरकार को लिखा है कि वो, पाक हिंदू शरणार्थी परिवारों से संबंधित 300 से अधिक एमबीबीएस डॉक्टरों के इस समूह पर अपना ध्यान आकर्षित करें, जो 2000 के बाद भारत पहुंचे हैं। सोढ़ा ने कहा कि हमने गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सामने पहले ही यह मामला उठाया है। लेकिन उन्हें भारत में अभ्यास करने की अनुमति देने के लिए अंतिमकदम उठाया जाना बाकी है। सोढ़ा ने कहा, “अगर संकट के इस समय में इन पाक हिंदू शरणार्थी डॉक्टरों को समय पर अनुमति मिल जाती है, तो वे लोगों का जीवन बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।”

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