लॉकडाउन में भूखा था परिवार, मजदूर ने 2500 में मोबाइल बेचकर खरीदा राशन, फिर लगा ली फांसी

लॉकडाउन (Lockdown) की सबसे ज्यादा मार जरूरतमंदों और प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है. सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसे कई गांव और इलाके हैं, जहां राशन नहीं पहुंच पा रहा है.

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नई दिल्ली. देश में जानलेवा कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले हर दिन बढ़ते जा रहे हैं. इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन (Lockdown) को 3 मई तक बढ़ा दिया है. लॉकडाउन की वजह से काम-धंधे बंद है. इसकी सबसे ज्यादा मार जरूरतमंदों और प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है. सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसे कई गांव और इलाके हैं, जहां राशन नहीं पहुंच पा रहा है. इससे तंग आकर मजदूरों के आत्महत्या के मामले में सामने आने लगे हैं.

हरियाणा के गुरुग्राम में रोजी-रोटी के लिए बिहार से आए एक मजदूर ने गुरुवार दोपहर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 35 वर्षीय छबु मंडल बिहार के रहने वाले थे. गुरुग्राम में वह काफी समय से पेंटर का काम करते थे. उनके परिवार में मां-पिता, पत्नी और चार बच्चे हैं. सबसे छोटा बच्चा पांच महीने का है.

लॉकडाउन की वजह से काम मिलना बंद हो गया. धीरे-धीरे परिवार को खाने के लाले पड़ने लगे. गुरुवार सुबह राशन खरीदने के लिए छबु मंडल ने अपना मोबाइल बेच दिया. मोबाइल के एवज में 2500 रुपये मिले, इससे उन्होंने घर का कुछ राशन और एक पोर्टेबल फैन खरीदा. इसके बाद शाम को ही घर के पीछे फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली.

रिपोर्ट के मुताबिक, छबु मंडल गुरुग्राम में डीएलएफ फेज-5 के पीछे सरस्वती कुंज में बनी झुग्गियों में रहते थे. परिवार बुधवार से भूखा था. ऐसे में जब घर में राशन आया, तो पत्नी पूनम तुरंत खाना बनाने जुट गई. खाना बनाने से पहले वह नहाने के लिए बाथरूम गई थी. जबकि, बच्चे दादा-दादी के साथ घर के बाहर खेल रहे थे. बताया जा रहा है कि इसी दौरान मंडल ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और साड़ी का फंदा बनाकर फांसी लगा ली. परिवार की स्थिति ऐसी थी कि अंतिम संस्कार तक के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे. पड़ोसियों की मदद से ही छबु मंडल का अंतिम संस्कार हुआ.

मजदूर की पत्नी बताती है, ‘वो लॉकडाउन की वजह से बहुत परेशान हो गए थे. हमारे पास खाने-पीने का सामान नहीं था. न काम था और न पैसा. हम पूरी तरह से सरकार द्वारा बांटे जा रहे मुफ्त खाने पर निर्भर थे. लेकिन ये भी रोज नहीं मिल पा रहा था.’

वहीं, गुरुग्राम के पुलिस अधिकारी का कहना है कि मजदूर मानसिक रूप से परेशान था, जिसके चलते उसने ये कदम उठाया. गुरुग्राम सेक्टर 53 पुलिस स्टेशन के SHO बताते हैं, ‘हमें मामले के बारे में दोपहर बाद सूचना मिली. मृतक प्रवासी मजदूर था और कई दिनों से मानसिक तौर पर परेशान था. पोस्टमार्टम के बाद लाश को परिवार के हवाले कर दिया गया है. परिवार इस मामले में आगे कोई जांच नहीं चाहता. लिहाजा कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई है.’

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