कश्मीर पर PAK का साथ देने वाले तुर्की और मलेशिया ने भी मांगी मोदी से मदद

दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों समेत दुनिया के करीब 30 देशों ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर बैन हटाने की मांग की थी.

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भारत ने जब कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो मलेशिया और तुर्की दो ऐसे देश थे जिन्होंने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया. अब जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है तो इन देशों को भी भारत में उम्मीद नजर आ रही है. इस उम्मीद की वजह है- एंटी-मलेरिया ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन.

ये दवा सुपरपावर अमेरिका से लेकर तीसरी दुनिया के देश ब्राजील तक ने भारत से मांगी. अब इस कड़ी में पाकिस्तान को अपना सच्चा दोस्त बताने वाले मुस्लिम बाहुल्य देश मलेशिया और तुर्की का नाम भी जुड़ गया है.

भारत ने हाल ही में 13 देशों के लिए कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति की. शुरुआत में भारत ने कहा था कि वह नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को जरूरी ड्रग भेजेगा क्योंकि ये पड़ोसी देश दवाइयों के लिए पूरी तरह से भारत पर ही निर्भर हैं.

दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों समेत दुनिया के करीब 30 देशों ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर बैन हटाने की मांग की थी.

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक एंटी मलेरिया ड्रग है जिसे आर्थराइटिस या लूपस जैसी बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, कुछ चीनी और फ्रांसीसी शोधकर्ताओं के हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के कोरोना के इलाज में असरदार होने की बात कही तो दुनिया भर के देशों में इस ड्रग को पाने की होड़ मच गई. इस दवा की बढ़ती जरूरत के बीच भारत ने आंशिक तौर पर इसके निर्यात से बैन हटा लिया. अमेरिका, इजरायल, ब्राजील और यूएई समेत कई देशों ने भारत के इस कदम की जमकर सराहना की. ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सानारो ने तो इसकी तुलना संजीवनी बूटी से कर दी.

कश्मीर से अनुच्छेद 370 को कई प्रावधानों को निष्प्रभावी करने और नागरिकता कानून को लेकर मलेशिया और तुर्की ने तीखी आलोचना की थी. भारत की नीतियों की आलोचना में इन देशों ने पाकिस्तान का साथ दिया जिससे आपसी रिश्तों पर भी बुरा असर पड़ा. स्पुतनिक न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अब मलेशिया और तुर्की भारत सरकार से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन भेजने के लिए अनुरोध कर रहे हैं.

मलेशिया की सरकार ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की एक खेप मिलने की पुष्टि की है और उसने दूसरी खेप भेजने का भी अनुरोध किया है. इससे पहले, मलेशिया के एक मंत्री ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बताया था कि नरेंद्र मोदी सरकार मलेशिया को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई करने के लिए मान गई है. विश्लेषकों का कहना है कि भारत सरकार से दवा के लिए अनुरोध करना मलेशिया और तुर्की के लिए शर्मसार करने वाला है.

तुर्की ने फरवरी महीने में दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने दिल्ली हिंसा को मुस्लिमों का नरसंहार तक करार दे दिया था. तुर्की की इस टिप्पणी को विदेश मंत्रालय ने गैर-जरूरी करार देते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया था. वहीं, मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में भारत पर कश्मीर पर बलपूर्वक कब्जा करने का आरोप लगाया था. इस टिप्पणी को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई और मलेशिया से खाद्य तेल के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.

भारत दुनिया में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. दुनिया की कुल सप्लाई में भारत की हिस्सेदारी 70 फीसदी के करीब है. अमेरिका जैसे विकसित देशों में मलेरिया के मामले ना होने की वजह से वहां इस ड्रग का उत्पादन भी नहीं होता है. महामारी के इस चरण में गेमचेंजर कही जा रही दवा के उत्पादन की वजह से भारत ने बाकी देशों से बढ़त हासिल कर ली है. इससे दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्तों भी मजबूत हो रहे हैं.

 

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