Ramayan के ‘मेघनाद’ से जब राजेश खन्ना होने लगे थे इनसिक्योर, हैंडसम विजय अरोड़ा की दीवानी थीं फीमेल फैंस

Ramayan के मेघनाद विजय अरोड़ा ने छोटे पर्दे पर अपना करियर 1986 की सीरीज़ विक्रम और बेताल से शुरू किया था मगर लोकप्रियता रामायण से मिली।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान डीडी नेशनल पर रामानंद सागर की रामायण का पुन: प्रसारण किया जा रहा है। इस पौराणिक धारावाहिक को दोबारा प्रसारण में भी ज़बर्दस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। 1987 में पहली बार प्रसारित हुई रामायण में ऐसे कई कलाकारों ने काम किया था, जिनकी फ़िल्मी पर्दे पर भी गहरी छाप रही है। हालांकि वक़्त के साथ तालमेल ना बिठा पाने के कारण यह एक्टर बाद में गुमनाम हो गये थे।

ऐसे ही ज़बर्दस्त कलाकार विजय अरोड़ा हैं, जिन्होंने रामायण में रावण के बेटे इंद्रजीत यानि मेघनाद का अहम किरदार निभाया था। रामायण में रावण के किरदार में गुजराती मनोरंजन इंडस्ट्री के वेटरन अरविंद त्रिवेदी थे। सत्तर और अस्सी के दौर में विजय अरोड़ा कई महत्वपूर्ण हिंदी फ़िल्मों में बतौर नायक और सह कलाकार नज़र आये थे।

फ़िल्म इंस्टीट्यूट के गोल्ड मेडलिस्ट 

विजय अरोड़ा ने फ़िल्मों में आने से पहले बाक़ायदा इसकी पढ़ाई की थी। उन्होंने पुणे के फ़िल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया से 1971 में ग्रेजुएशन किया था।  हैंडसम विजय ने 1972 की फ़िल्म ज़रूरत से रीना रॉय के साथ डेब्यू किया था। रीना की भी यह पहली फ़िल्म थी। उस दौर की वेटरन एक्टर आशा पारेख के साथ वो राखी और हथकड़ी में नज़र आये। मगर, उनके स्टारडम को परवाज़ 1973 में आयी यादों की बारात से मिली, जिसमें उनकी जोड़ी जीनत अमान के साथ बनी। फ़िल्म के मुख्य हीरो धर्मेंद्र थे। इस फ़िल्म ने उनकी फीमेल फैंस में ज़बर्दस्त इजाफ़ा किया था।

राजेश खन्ना को हुई इनसिक्योरिटी

सत्तर के दौर में जब विजय ने अपना करियर शुरू किया था, उस वक़्त राजेश खन्ना हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के साथ दिलों पर भी राज कर रहे थे। कहा जाता है कि यादों की बारात के बाद विजय की बढ़ती लोकप्रियता ने राजेश खन्ना को भी इनसिक्योर कर दिया था। इसके बाद विजय ने फागुन, एक मुट्ठी आसमान, इंसाफ़, 36 घंटे, रोटी जैसी फ़िल्मों में काम किया। संयोग से रोटी में लीड रोल राजेश खन्ना ने निभाया था।

रामायण ने दिलाई ज़बर्दस्त लोकप्रियता

विजय अरोड़ा ने छोटे पर्दे पर अपना करियर 1986 की सीरीज़ विक्रम और बेताल से शुरू किया था। मगर, उन्हें लोकप्रियता 1987 में आयी रामयाण से मिली। विजय ने इंद्रजीत का किरदार निभाया, जो ज़्यादा लम्बा नहीं था, मगर अपनी अदाकारी से उन्होंने इस किरदार में भी गहरी छाप छोड़ी थी। इस किरदार को निभाते वक़्त विजय की उम्र 43 साल के आसपास थी। 2007 में स्टमक कैंसर से उनका निधन हो गया था।

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