भारत में 24 जांच में एक कोरोना पॉजिटिव, अमेरिका-ब्रिटेन की हालत ज्यादा खराब: ICMR
CoronaVirus: देश में अभी तक 2 लाख 90 हजार 401 लोगों की जांच की गई. इसमें से 30,043 टेस्ट बुधवार को किए गए. इसमें से 26,331 टेस्ट ICMR लैब और 3,712 टेस्ट प्राइवेट लैब में हुए.
नई दिल्ली. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद/आईसीएमआर (ICMR) के डॉ रमन आर गंगाखेडकर ने गुरुवार शाम को नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश में अब तक 2 लाख 90 हजार 401 लोगों की जांच की गई. इसमें से 30,043 टेस्ट बुधवार को किए गए. इसमें से 26,331 टेस्ट ICMR लैब और 3,712 टेस्ट प्राइवेट लैब में हुए. हमारे पास 8 हफ्ते तक टेस्ट के लिए पर्याप्त किट मौजूद है.
#WATCH In Japan, to find one positive case, 11.7 persons are tested. In Italy that number is 6.7, in US it's 5.3, in UK it's 3.4. Here in India, we do 24 tests for one positive case: Dr. Raman R Gangakhedkar, Indian Council of Medical Research (ICMR). pic.twitter.com/bLHDYOIr7r
— ANI (@ANI) April 16, 2020
अमेरिका में 5.3 टेस्ट में एक पॉजिटिव, ब्रिटेन में तो 3.4 पर एक
डॉक्टर रमन ने कहा कि भारत में जब हम 24 लोगों की जांच कर रहे हैं तब कोरोना पॉजिटिव एक मरीज निकल रहा है. जबकि जापान में यह आंकड़ा 11.7 जांच में एक पॉजिटिव का, इटली में 6.7 जांच पर एक पॉजिटिव का और अमेरिका में यह 5.3 लोगों की जांच पर एक पॉजिटिव मरीज का है. जबकि ब्रिटेन में 3.4 लोगों की जांच पर एक कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ रहा है.
हमारे पास पर्याप्त किट मौजूद: ICMR
हर क्षेत्र में एंटीबॉडी टेस्ट के इस्तेमाल का फायदा नहीं. हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों में ही इसके इस्तेमाल से फायदा होगा. उन्होंने कहा कि रैपिड कोविड-19 टेस्ट किट का इस्तेमाल प्रारंभिक निदान के लिए नहीं होगा. बल्कि इसका उपयोग निगरानी के उद्देश्य के लिए किया जाता है.
मास्क पहनने संबंधी नियम का सख्ती से पालन हो: MHA
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने सरकार की गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर मास्क पहनना और सामाजिक मेलजोल से दूर रहना अनिवार्य करने जैसे कुछ नियमों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. पांच या इससे अधिक लोग एक स्थान पर एकत्र नहीं होने चाहिए, सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर थूका नहीं जाए.
मंत्रालय ने कहा कि बुजुर्गों, अस्वस्थ और छोटे बच्चों वाले लोगों को घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. कोविड-19 लॉकडाउन को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए शराब, गुटखा, तंबाकू की बिक्री पर सख्त पाबंदी लगाई जानी चाहिए. कार्यस्थलों पर शरीर के तापमान की जांच और सैनेटाइजर का इस्तेमाल अनिवार्य होना चाहिए.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उद्योगों को चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है.
मेघालय के पहले कोरोना पॉजिटिव / जो डॉक्टर कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे थे, उन्हीं की मौत के बाद लोगों ने उनका दाह संस्कार नहीं होने दिया; दो दिन बाद शव दफनाया गया
शिलॉन्ग. लंबे विवाद के बाद आखिरकार गुरुवार को मेघालय में कोरोना से मरनेवाले पहले मरीज का अंतिम संस्कार पूरा हुआ। डॉक्टर जॉन एल सायलो शिलॉन्ग के बीथेनी हॉस्पिटल के डायरेक्टर थे और वह राज्य के पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज भी थे।
सोमवार को डॉ. सायलो की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई और मंगलवार को देर रात 2 बजे के करीब उनकी मौत हो गई। बुधवार को जब उनका शव जलाया जाना था तो शमशान के आसपास रहनेवाले लोग घरों से बाहर निकल आए और विरोध करने लगे। उन्हें डर था कि अंतिम संस्कार से जो धुआं निकलेगा उससे आसपास रहनेवालों को संक्रमण हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक, किसी भी संक्रमित व्यक्ति की मौत होने पर उसके शव को जलाया ही जाना चाहिए। डॉ सायलो के मामले में भी स्थानीय प्रशासन यही करनेवाला था और जलाने के बाद अस्थियां ताबूत में रखकर उसे क्रिश्चियन परंपरा के मुताबिक डॉ सायलो के फॉर्म हाउस में दफनाना था। लेकिन स्थानीय लोगों के विवाद के बाद ऐसा हो नहीं सका। सरकार और स्थानीय प्रशासन के मनाने के बाद गुरुवार को म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों ने उन्हें ईसाईयों के कब्रिस्तान में दफनाया।
सायलो 69 साल के थे और उन्हें अस्थमा और डायबिटीज थी। सायलो के अलावा उनके परिवार के 6 और लोग भी पॉजिटिव आए हैं। ये सभी शिलॉन्ग में हैं, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। हालांकि ये कौन है इसका खुलासा नहीं किया गया है।
सायलो शिलॉन्ग और गुवाहाटी-शिलॉन्ग के बीच नॉन्गपॉ में 2 अस्पताल चलाते थे और लगातार मरीजों का इलाज कर रहे थे। आशंका जताई गई है कि इन सभी को सायलो के दामाद के जरिए कोरोना संक्रमण हुआ है, जो एयर इंडिया में पायलट हैं। न्यूयॉर्क में फंसे भारतीयों को लाने के लिए जो फ्लाइटें चलाईं गईं थीं, उनमें बतौर पायलट वे भी शामिल थे।
वह 17 मार्च को दिल्ली से इम्फॉल आए थे और फिर 20 मार्च को फिर दिल्ली लौट गए थे। उन्हें इसी दिन इटली में फंसे भारतीयों को लेने विमान लेकर जाना था, लेकिन उनकी जगह कोई और चला गया। 24 मार्च को वह शिलॉन्ग आ गए। उन्होंने क्वारंटाइन पूरा करने का दावा किया और दो बार उनका कोरोना टेस्ट निगेटिव आया। फिलहाल उनका तीसरा टेस्ट होना है।
फिलहाल शिलॉन्ग प्रशासन ने संक्रमण का सोर्स पता करने 2000 लोगों की लिस्ट बनाई है और उनके टेस्ट किए जा रहे हैं। टेस्ट के लिए नमूने गुवाहाटी और बरपाटा मेडिकल कॉलेज में भेजे जा रहे हैं। टेस्ट उन मरीजों के भी हो रहे हैं, जिनका इलाज डॉ सायलो कर रहे थे।