चीन में ‘डॉग मीट’ पर बैन, लेकिन अब भी ये 10 देश शौक से खा रहे हैं कुत्ते का मांस

कोरोना वायरस (coronavirus) का केंद्र रहे चीन (China) ने हाल ही में कुत्ते का मांस (ban on dog meat) बैन कर दिया है. वहीं दुनिया के कई देशों में अब भी इसका मांस बड़े शौक से खाया-खिलाया जाता है.

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दिसंबर में चीन के हुबई प्रांत से शुरू हुए कोरोना संक्रमण की चपेट में दुनिया के लगभग 185 देश आ चुके हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि हुबई के वुहान शहर में पशु बाजार से ये खतरनाक वायरस फैला. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी लेकिन चीन के कृषि मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाते हुए कुत्तों की खरीद-फरोख्त पर रोक लग दी.

वहां पर कुत्ते अब पालतू पशुओं की श्रेणी में आ गए हैं और सिर्फ आधिकारिक कारणों से ही उन्हें पालने और व्यापार की अनुमति मिल सकेगी. आंकड़ों के अनुसार हर साल चीन में लगभग 20 मिलियन कुत्तों का मांस खाया जाता है. यहां तक कि इस देश में डॉग मीट फेस्टिवल भी होता है, जिसमें ज्यादा स्वाद के लिए कुत्तों को जिंदा ही उबलते पानी में डाल दिया जाता रहा है. माना जा रहा है कि अब इस नए कदम से चीन के खाने की आदतों में बड़ा बदलाव आ सकता है. वैसे चीन के अलावा दूसरे देश भी कुत्तों के मांस के शौकीन हैं.

दक्षिण कोरिया में इसका मांस इतना कॉमन है कि इसे उन्होंने अपना नाम दे दिया है- Gaegogi. Humane Society के अनुसार कोरिया में 17000 से ज्यादा फार्म हैं, जहां इंसानों के खाने के लिहाज से जानवरों का पालन होता है. कुत्ते इनमें से एक हैं.

चीन के अलावा दूसरे देश भी कुत्तों के मांस के शौकीन हैं

वियनताम भी मांस का शौकीन देश है. यहां हर साल लगभग 50 लाख कुत्ते पकाकर खाए जाते हैं. यहां तक कि मांग के अनुसार बिक्री न होने के कारण पड़ोसी देशों जैसे थाइलैंड और कंबोडिया से भी अवैध ढंग से डॉग मीट मंगाया जाता है. Asia Canine Protection Alliance (Acpa) ने इस तस्करी पर चेताते हुए कहा भी है कि कुत्ते खाने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे रेबीज. लेकिन इससे शौकीनों पर कोई असर नहीं हुआ.

हनीमूनर्स का स्वर्ग माने जाने वाले स्विटजरलैंड में भी कुत्तों का मांस काफी पसंद किया जाता है. आंकड़ों के अनुसार लगभग 3 प्रतिशत स्विस कुत्तों का मांस खाते हैं. यहां तक कि क्रिसमस के दौरान ये प्रैक्टिस काफी कॉमन है. आमतौर पर कृषक, जिनके पास ज्यादा कुत्ते या कोई भी पालतू जानवर हो जाता है, वे इन्हें पकाकर दावत दे देते हैं.

पश्चिमी अफ्रीका के देश Burkina Faso में भी डॉग मीट मुख्य भोजन की तरह लिया जाता है. आमतौर पर परिवार दावतों के दौरान कुत्ते की अलग-अलग तरह की डिश तैयार करते हैं. हर खानदान की कुत्तों को पकाने की एक खास रेसिपी होती है, जिसे उस परिवार की सीक्रेट रेसिपी भी कहते हैं. वैसे यहां के रेस्त्रां में कुत्तों का मांस नहीं परोसा जाता है.

घाना के लोग कुत्ते के मांस में आध्यात्मिक ताकत देखते हैं और ईश्वर से जुड़ने के लिए इसे खाने पर जोर देते हैं. मानते हैं कि कुत्तों का मांस न सिर्फ आत्मा को, बल्कि शरीर को भी तंदुरुस्त रखता है. यहां पर कई तरीकों से नमकीन के साथ मीठी डिश बनाकर भी दी जाती है.

थाइलैंड में मानते हैं कि पकाने के दौरान कुत्ते को जितना टॉर्चर किया जाए, उसका मांस उतना ही स्वादिष्ट और जर्म-फ्री होता है. ये भी पारंपरिक तौर पर डॉग मीट खाते और खिलाते हैं. सैलानियों को भी किस्म-किस्म का मांस परोसा जाता है.

चीन में हालांकि ये मांस अब बैन हुआ है लेकिन अब तक इसे खूब चाव से खाया जाता रहा था. यहां तक कि चीन के लोग इस मांस को ‘Mutton of the Earth’ कहते हैं. इतिहासकारों के अनुसार चीन में 7,000 से भी ज्यादा सालों से कुत्ते का मांस खाया जा रहा है. कुत्तों को पकाने के अलग-अलग तरीकों के अलावा एक तरीका यहां खासा क्रूर है, इसे pressed dog रेसिपी कहते हैं, जिसके तहत कुत्तों की स्किन निकालकर उसे पीटकर फिर रातभर मैरिनेट करते हैं और फिर पकाते हैं.

कैमरून में डॉग मीट खाना एक तरह से खेल है. यहां सड़कों पर फिर रहे कुत्तों को खाया जाता है, न कि खाने के लिहाज से उन्हें पालते हैं. सड़कों पर कुत्तों को बाकायदा शिकार करने की तर्ज पर दौड़ा-दौड़ाकर पकड़ा जाता है और फिर पकाया जाता है. कैमरून की कई प्रजातियों में ये जवान लड़कों का खेल माना जाता है.

  • ऐसा कहा जाता है कि भारत के भी नागालैंड में डॉग मीट एक आम भोजन है. आंकड़ों के अनुसार हल साल देश के इसी हिस्से में 30,000 से ज्यादा कुत्तों को खाया जाता है. वैसे भारत में कुत्ते पालतू पशु की श्रेणी में आते हैं और उन्हें खाए जाने पर बैन लगा हुआ है.
  • इंडोनेशिया में कुत्ते के मांस की एक खास डिश का नाम है Rica-rica. वैसे इस डिश में कुत्ते के अलावा दूसरे कई जानवरों का मांस भी मिलाया जाता है. Rica-rica waung डिश में सिर्फ छोटे और नर्म कुत्तों का मांस पकाते हैं. वैसे इस देश में भी कसाई के पास कुत्ते खरीदने की बजाए शौकीन खुद शिकार करते और काटते हैं.
  • किंगडम ऑफ टोंगा में पोर्क, बीफ के साथ-साथ कुत्ते का मांस भी मुख्य भोजन में आता है. वैसे कुत्ते के मांस का यहां कोई स्पेसिफिक नाम नहीं है, बल्कि इसे सिर्फ मीट कहते हैं. यहां के लोगों की मान्यता है कि जिन कुत्तों का कोई मालिक नहीं होता, खुद ऊपरवाला चाहता है कि उनका सही इस्तेमाल हो सके और इसलिए उन्हें पकाकर खाया जाना चाहिए.

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