दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स ने बेरोजगारी कम करने के लिए लिया कड़ा फैसला, देगी 75 हजार लोगों को नौकरी

लॉकडाउन ने हजारों लोगों की नौकरियों को मुश्किल में डाल दिया है. लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (E-Commerce Company Amazon) ने बड़ी हायरिंग (Hiring) करने का फैसला किया है. अमेजन ने कहा कि वह 75 हजार भर्तियां करेगी.

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नई दिल्ली. कोरोना महामारी का कहर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. जिस वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लगा है. और इस लॉकडाउन ने हजारों लोगों की नौकरियों को मुश्किल में डाल दिया है. लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (E-Commerce Company Amazon) ने बड़ी हायरिंग (Hiring) करने का फैसला किया है. अमेजन ने कहा कि वह 75 हजार भर्तियां करेगी. ये भर्तियां वेयरहाउस स्टाफ से लेकर डिलिवरी ड्राइवर्स तक की होंगी. अमेजन का कहना है कि उसने से फैसला लॉकडाउन की वजह से लिया है.

बढ़ रही ऑनलाइन चीजों की डिमांड
रॉयटर्स के मुताबिक 75 हजार भर्तियों के बारे में बताते हुए कंपनी ने कहा है कि अमेरिका में कोरोनावायरस के कारण लोग घरों में कैद हैं, जिसकी वजह से ऑनलाइन ऑर्डर की डिमांड बढ़ती जा रही है. लंबे समय तक क्वारंटीन रहने की आशंका को देखते हुए दुकानों के शेल्फ खाली होते जा रहे हैं. कंपनियों की कोशिश है कि वे खाने-पीने और हेल्थ प्रॉडक्ट्स का स्टॉक बनाए रखें. साथ ही स्टोर में काम करने वाले और डिलिवरी स्टाफ की भी जरूरत है, जिसे देखते हुए अमेजन ने हायरिंग का फैसला किया है.

वेयरहाउसों में होगा कोरोना से बचने के तमाम इंतजाम
अमेजन के लिए हायरिंग एक बड़ा और मुश्किल काम है. अमेजन उन कंपनियों में से एक है जहां के वेयरहाउस स्टाफ में कोरोनावारयस के कई केस पाए गए हैं. कंपनी का कहना है कि वह अब वह अमेरिका और यूरोप के अपने सभी वेयरहाउसों में टेंपरेचर चेक करने और मास्क का पूरा इंतजाम रखेगी. हालांकि कुछ चुने हुए अधिकारियों ने कंपनी को अपने वेयरहाउस बंद करने को कहा है.

बढ़ सकती है सैलरी
बेरोजगारी की बढ़ती दर को देखते हुए अमेजन ने गैप को भरने का फैसला किया है. नए कर्मियों को आकर्षित करने के लिए कंपनी ने 15 डॉलर प्रति घंटे की मिनिमम वेज में 2 डॉलर का इजाफा करने का फैसला किया है, जो अप्रैल में लागू होगा. कंपनी ने कहा कि पहले दिए ऐडवर्टाइजमेंट की 100000 भर्तियां वह कर चुकी है और ये 75 हजार उसके इतर हैं. अमेजन का कहना है कि लह वैश्विक स्तर पर सैलरी बढ़ाने पर करीब 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा खर्च कर सकती है. बीते साल यह आँकड़ा 35 करोड़ डॉलर का था.

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