कोरोना: 20 दिन में जांच किट के चार ऑर्डर दिए, मिली एक भी नहीं

हर बार निकला टेंडर: कंपनी से करार के बाद भी नहीं पहुंच पा रही खेप समय पर मिले जांच किट तो ही एक दिन में हम कर सकेंगे एक लाख लोगों की जांच अमेरिका पहुंची एंटीबॉडी किट्स का कोई हिसाब ही नहीं 300 करोड़ कीमत की 50 लाख किट्स की तत्काल जरूरत

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कोरोना वायरस की जांच में तेजी पर शुरुआत से ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन अब सरकार रोज एक लाख जांच करने की घोषणा कर चुकी है, तो एंटीबॉडी किट्स नहीं मिल रहीं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) 20 दिन में चार बार टेंडर और पांच कंपनियों से करार करके 31 लाख किट्स का ऑर्डर दे चुका है।

हर ऑर्डर में भारत की शर्त थी कि किट्स सप्ताह भर में मिलनी शुरू हो जाए। ऐसा हुआ नहीं, बार-बार आदेश  के बाद भी एक भी जांच किट नहीं मिली है। जांच को लेकर देश आज भी लॉकडाउन से पहले वाली स्थिति में हैं। हर रोज 219 प्रयोगशालाओं में औसतन 15.7 हजार जांच की जा रही हैं।

अब तक दो लाख सैंपल जांच तक पहुंच चुके हैं। प्रति 10 लाख की आबादी पर भारत में 133 लोगों की जांच हो रही है। अन्य देशों में ये आंकड़ा कई गुना ज्यादा है। देश के 354 में से 101 में 250 से ज्यादा क्लस्टर बन चुके हैं। हर क्लस्टर में जांच जरूरी है।

ऐसे में सरकार ने 300 करोड़ रुपये का बजट 50 लाख जांच किट्स के लिए तय किया है। आईसीएमआर सूत्रों का कहना है कि अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में ही हर दिन लाख से ज्यादा जांच संभव हो सकेंगी। वो भी तब, जब पर्याप्त जांच किट्स की सप्लाई मिल सके।

आईसीएमआर ने रविवार को एक और टेंडर निकाला, जिसमें शर्त है कि अगर किट गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरी तो वापस कर दिया जाएगा। अगर चीन की कंपनी टेंडर में भाग लेती है, तो उसे चीन के नेशनल मेडिकल प्रोडक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की मंजूरी लेनी होगी।

जांच बढ़ाने को बदले थे नियम

आईसीएमआर ने 9 अप्रैल को ही जांच प्रक्रिया बढ़ाई थी। पहले विदेश से आने वाले या उनके संपर्क में आने वालों की कोरोना जांच की जा रही थी। फिर विदेश से आने वाले या उनसे संपर्क में आने वालों के अलावा स्वास्थ्य कर्मचारी, संक्रमित के संपर्क में आने वालों की जांच होने लगीं।

फिलहाल क्लस्टर जोन (हॉटस्पॉट) को भी  शामिल कर दिया गया है। ऐसा करने के बाद से ही पिछले चार दिन में कोरोना वायरस की प्रतिदिन औसत जांच 15 हजार से ज्यादा हुई है जबकि इससे पहले तक प्रतिदिन 10 के औसत से ही जांच चल रही थीं।

अगले छह हफ्ते तक टेस्ट किट का स्टॉक : आईसीएमआर

आईसीएमआर के डॉ. रमन आर. गंगाखेड़कर ने सोमवार को बताया कि परिषद के पास अगले 6 सप्ताह के लिए टेस्टिंग का भंडार है। रोज 2000 सैंपल कलेक्ट हो रहे हैं। 1980 सैंपल की जांच रविवार को हुई है। अब तक 2,06,212 टेस्ट किए हैं। चीन से जांच किट की पहली खेप 15 अप्रैल को भारत आएगी।
पीपीई किट के कारण डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों के संक्रमित होने के दावे पर उन्होंने जवाब दिया-यह कहना उचित नहीं होगा कि डॉक्टर पीपीई की वजह से संक्रमित हुए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि जीआईएस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है। सीएसआईआर के साथ अनुसंधान को गति दी जा रही है। अस्पतालों की लिस्ट इसलिए नहीं जारी की, ताकि किसी विशेष अस्पताल में भीड़ न जुटे।

ऑर्डर पर ऑर्डर

28 मार्च: पांच लाख किट्स का ऑर्डर। 7 अप्रैल से मिलनी थीं।
अप्रैल : 10 लाख किट्स का ऑर्डर। 1.25 लाख किट्स 8 अप्रैल से आनी थीं।
सात अप्रैल : एक लाख किट 9 अप्रैल से मिलनी थीं। तीनों की किट्स नहीं मिलीं।

3 दिन में 2 टेंडर, सप्लाई एक भी नहीं

25 मार्च को 10 लाख एंटीबॉडीज जांच किट्स का टेंडर निकाला। शर्त थी कि पहले सप्ताह से सप्लाई चाहिए, लेकिन किसी कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। 28 मार्च को फिर टेंडर निकाला। किट्स थे पांच लाख और शर्त वही कि पहले सप्ताह से डिलीवरी चाहिए। कंपनी के साथ करार भी हुआ। 9 अप्रैल को पहली खेप मिलनी थी लेकिन माल अमेरिका चला गया। बता रहे हैं कि गलती एक्सपोर्टर की है।

फिर लाखों किट्स का टेंडर

आईसीएमआर ने 12 अप्रैल को टेंडर निकाला। इसमें वायरल ट्रांसमिशन मीडिया (वीटीएम) 52.25 लाख, रियल टाइम पीसीआर काम्बो किट 25 लाख, आरएनए एक्सट्रैक्शन किट 30 लाख और 45 लाख एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट किट्स का टेंडर मांगा है। शर्त है कि सप्लाई 1 मई से मिलनी चाहिए। 14 अप्रैल की दोपहर 2 बजे तक टेंडर मांगे हैं।

…इसलिए जरूरी रैपिड टेस्ट

आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक बताते हैं कि भारत में जांच में तेजी लाने का समय है। इसके लिए रैपिड टेस्ट किट चाहिए, जो आधे घंटे में ही पता कर सकती है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। अभी लैब टेस्टिंग में चार से पांच घंटे प्रति सैंपल में लग रहे हैं। लेकिन किट्स मिली नहीं, इसलिए लैब पर फोकस है। अब देश के सभी सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों को भी नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है।

 

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