Covid-19 : मुंबई में न हों न्यूयॉर्क जैसे हालात, महाराष्ट्र सरकार झुग्गी बस्तियों में बांटेगी ये दवा

देश में कोरोना वायरस (Covid-19) से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य महाराष्ट्र ही है. covid19india.org के मुताबिक, राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1982 हो गई है, जबकि इस वायरस से 150 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

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मुंबई. कोरोना वायरस के संक्रमितों के इलाज के लिए अब तक कोई दवा या वैक्सीन ईजाद नहीं की जा सकी है, लेकिन इसके इलाज में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) यानी HCQ काफी हद तक कारगर साबित हो रही है. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के स्लम एरिया में इस दवा को बांटने का फैसला किया है, ताकि घनी बस्तियों में कोरोना वायरस (Covid-19) के संक्रमण को फैलने में रोका जा सके.

देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य महाराष्ट्र ही है. covid19india.org के मुताबिक, राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1982 हो गई है, जबकि इस वायरस से 150 लोगों की मौत भी हो चुकी है. मुंबई स्थित एशिया के सबसे बड़े स्लम एरिया धारावी में हर दिन कोरोना के नए मरीज मिल रहे हैं. अब तक यहां संक्रमितों की संख्या 47 हो गई है और 5 लोगों की जान भी जा चुकी है. ऐसे में साफ है कि आगे जाकर स्थिति कितनी भयावह हो सकती है. ऐसे में उद्धव ठाकरे सरकार ने फैसला लिया है कि धारावी से क्वारेंटाइन किए गए कोरोना संदिग्धों को HCQ टैबलेट दी जाएगी.

अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, धारावी में ठाकरे सरकार का ये प्लान सामाजिक-जनसांख्यिकीय आधार पर है. अगर चीजें योजना के अनुसार चलती हैं, तो ऐसा पहली बार होगा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का इस्तेमाल किसी समुदाय में कोरोनो वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किया जाएगा.

महाराष्ट्र के स्वास्थय मंत्री राजेश टोपे ने इस बात की पुष्टि भी की है. उन्होंने कहा, ‘हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन अमेरिका में कोरोना वायरस के कुछ संक्रमितों को भी ये दवा दी गई है. उसके सकारात्मक नतीजे भी मिले हैं. लिहाजा राज्य सरकार ने भी धारावी जैसे स्लम एरिया में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के इस्तेमाल की योजना बनाई है, जहां कोरोना वायरस के फैलने का सबसे ज्यादा खतरा है.’

हालांकि, राजेश टोपे ने ये भी साफ किया कि पूरे धारावी एरिया में ये दवा नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा, ‘इस दवा की अभी बहुत मांग है. ऐसे में हम रिसोर्स को इस तरह बर्बाद नहीं कर सकते. ये दवा देने के लिए स्लम एरिया के लोगों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाएगा. जैसे हाई रिस्क कैटेगरी, क्वारेंटाइन कैटेगरी और ऐसे लोग जो संक्रमित के संपर्क में आए हैं. सिर्फ उन्हें ही ये दवा दी जाएगी.’ सरकार फिलहाल ऐसे लोगों की पहचान करने में जुटी है.

क्या है हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वाइन?
Hydroxychloroquine एक एंटी-मलेरिया ड्रग है. डोनाल्ड ट्रंप ने इसे लेकर एक ट्वीट भी किया था कि azithromycin, एक एंटीबायोटिक के साथ मिलाने पर यह दवा, दवा के इतिहास में गेम-चेंजर साबित हो सकती है. इसके बाद कई देशों ने भारत को इस दवा का ऑर्डर दिया है.

भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (ICMR) के महानिदेशक ने भी कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध या पुष्ट मामलों में देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के इस्तेमाल की सिफ़ारिश की है. कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस दवा की ज़ोरदार वकालत की है, जबकि एफ़डीए ने अभी तक इस पर कोरोना की पक्की दवाई होने की मोहर नहीं लगाई है.

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