किसानों के लिए मोदी सरकार ने उठाया बड़ा कदम, लॉकडाउन में सही दाम दिलाएगा MISP, जानिए इसके बारे में सबकुछ
लॉकडाउन के दौरान कई जगहों पर किसानों को फलों और सब्जियों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. ऐसे उत्पादकों को राहत देने के लिए मोदी सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (MISP) लागू कर दी है.
नई दिल्ली. कोविड-19 (COVID-19) लॉकडाउन के दौरान ट्रकों की आवाजाही बंद होने की वजह से कई राज्यों में वे किसान परेशान हैं जिन्होंने जल्दी खराब होने वाली सब्जियों और फलों की खेती की है. उन्हें या तो औने-पौने दाम पर अपना उत्पाद बेचना पड़ रहा है या फिर वे उसे फेंकने पर मजबूर हैं. ऐसे किसानों को राहत देने की कोशिश शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान बाजार हस्तक्षेप योजना (MISP-Market Intervention Price Scheme) प्रभावी कर दी है. ताकि किसानों को अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर न होना पड़े.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक इस योजना के तहत जल्दी खराब होने वाली कृषि एवं बागवानी वस्तुओं की कीमतें गिरने पर उसकी खरीद (Procurement) राज्य सरकार द्वारा की जा सकती है. केंद्र सरकार राज्यों को नुकसान की 50 फीसदी भरपाई करेगी. पूर्वोत्तर के मामले में यह 75 फीसदी तक होगी. इस बारे में कृषि मंत्रालय ने राज्यों सरकारों को पत्र भेजा है.
इसलिए उठाया गया कदम
क्या है बाजार हस्तक्षेप योजना
यह योजना कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद सिस्टम की तरह ही काम करती है. लेकिन यह एक अस्थायी तंत्र है. इसका इस्तेमाल बागवानी उत्पादों की कीमतों में आई कमी के दौरान विपरीत स्थिति से बचाने के लिए किया जाता है.
इसे दूसरी तरह भी समझ सकते हैं. MISP बाजार मूल्य में गिरावट की स्थिति में खराब होने वाले खाद्यान्नों और बागवानी वस्तुओं की खरीद के लिए राज्य सरकारों के अनुरोध पर लागू की जाने वाली एक मूल्य समर्थन प्रणाली (Price support system) है.
आमतौर पर यह स्कीम तब लागू की जाती है जब सामान्य वर्ष की तुलना में उत्पादन कम से कम 10 फीसदी ज्यादा हो. या पिछले सामान्य वर्ष की तुलना में 10 की कमी. लेकिन इस बार इसे लॉकडाउन के चलते लागू किया जा रहा है. सरकार इसमें राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED-Agriculture Cooperative Marketing Federation of India) की मदद लेती है.
जल्दी खराब होने वाले कृषि एवं बागवानी उत्पाद को राज्य सरकार खरीद सकती है