कोरोना वायरस खतरे के खिलाफ जंग में अस्पताल के योद्धाओं को मिला सीआरपीएफ योद्धाओं का साथ
25 मार्च के बाद जब देशभर में लॉकडाउन की घोषणा हुई तब इस अस्पताल ने सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर बेंगलुरु फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन से संपर्क साधा. इस ग्रुप सेंटर के टेलर और सिलाई करने वाले लोग अस्पताल गए.
युद्ध के वक्त जब एक योद्धा दूसरे योद्धा की मदद करता है तो दुश्मन से लड़ने की तैयारी और ज्यादा पुख्ता होती है. कोरोना वायरस खतरे के मद्देनजर ऐसे ही लड़ाई जंग के मैदान में तैनात होने वाले योद्धा अस्पताल के योद्धाओं की मदद कर लड़ रहे हैं. बेंगलुरु में रीजनल सीआरपीएफ फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन वहां के अस्पताल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पिछले 10 दिनों से पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट और मास्क बना रहा है. इसके अलावा ये लोग अस्पताल को अन्य जरूरत का भी सामान मुहैया करवा रहे हैं
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर बेंगलुरु में पिछले दस दिनों से सीआरपीएफ दर्जियों और सीआरपीएफ कर्मियों के परिजनों की टीम लगातार इसी तरीके से काम कर रही है.15 से 20 लोगों की यह टीम रोजाना करीब 20 पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट ड्रेस तैयार और 40 मास्क तैयार करती है. फिर इन्हें ले जाया जाता है बेंगलुरु के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज अस्पताल में इस किट और मास्क का इस्तेमाल उस अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी करते हैं इसके अलावा बंगलुरू के अन्य अस्पतालों को भी उपलब्धता के हिसाब से यह अस्पताल ये किट सप्लाई करता है. इस पूरी प्रक्रिया में सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना वायरस खतरे के मद्देनजर सारे एहतियात बरते जाते हैं.
डाक्टर आभा सक्सेना जो कि अध्यक्ष हैं बेंगलुरु रीजनल सीआरपीएफ फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन की उनका कहना है कि लगातार उनकी संस्था कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी हुई है और जैसे ही कोरोनावायरस खतरे की बात सामने आई तो उन्होंने तुरंत इस तरीके का सेटअप तैयार किया उन्हीं संसाधनों की मदद से जो उनके पास मौजूद थे.
निम्हांस बेंगलुरु के उन पांच अस्पतालों में से एक है जिसको कोरोनावायरस इलाज के लिए तैयार किया गया है और मौजूदा समय में भी कुछ कोरोनावायरस संक्रमण लक्षण के मरीज यहां पर भर्ती हैं. 25 मार्च के बाद जब देशभर में लॉकडाउन की घोषणा हुई तब इस अस्पताल ने सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर बेंगलुरु फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन से संपर्क साधा. इस ग्रुप सेंटर के टेलर और सिलाई करने वाले लोग अस्पताल गए. वहां डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि किस तरीके से यह किट उनकी जरूरत के हिसाब से बनानी है और उसका प्रशिक्षण दिया. इस किट का कपड़ा भी अस्पताल की ओर से ही इनको मुहैया करवाया जाता है. जिसके बाद यह अपने ग्रुप सेंटर में इसको ले जाते आते हैं और यह किट बनाई जाती है.
बपवन कुमार, हेड कांस्टेबल टेलर का कहना है कि हमें बकायदा अस्पताल में प्रशिक्षण दिया गया उसके बाद हम यह बना रहे हैं.. जबकि रेणुका और किरण जो कि बंगलुरु सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में तैनात सीआरपीएफ कर्मियों की पत्नी हैं उनके मुताबिक डॉक्टरों की देखरेख में हमें हर बारीकी से जुड़ी ट्रेनिंग मिली थी और हमने ये काम शुरू किया.
इसी तरीके से मास्क को भी बनाने का काम इस ग्रुप सेंटर में किया जाता है.. यह मीडियम क्वालिटी पीपीई किट है जिसकी बाजार में कीमत 2200 रुपए तक की है. लेकिन कपड़ा मिलने के बाद इस यूनिट के संचालन के लिए सीआरपीएफ फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से कोई पैसा नहीं लिया जाता. आने वाले दिनों में सीआरपीएफ फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन की योजना है कि वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से बनाई गई. इस अनोखी यूनिट की क्षमता और बढ़ाई जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा अस्पतालों में यह किट और मास्क सप्लाई कर सकें.