रोजमर्रा की चीजों के बढ़ते दामों को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने दिया ये आदेश

केंद्र सरकार (Government of India) ने जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग (Black marketing) पर रोक लगाने के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश देते हुए एसेंशियल कमोडिटी एक्ट (Essential Commodity act) लागू करने को कहा है.

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नई दिल्ली. कोरोना महामारी (Coronavirus Covid-19) के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown in India) में कई लोगों ने रोजमर्रा (FMCG) के समानों की जमाखोरी शुरू कर दी है. इसीलिए केंद्र सरकार (Government of India) ने जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग (Black marketing) पर रोक लगाने के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश देते हुए एसेंशियल कमोडिटी एक्ट (Essential Commodity act) लागू करने को कहा है. आपको बता दें कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद आटा, दाल (Pulses), बेसन और खाने के तेल (Edible Oil) के दाम के सप्लाई बाधित होने से इनकी कीमतों में इजाफा हो गया है. गेहूं के आटे का भाव बीते एक हफ्ते में पांच रुपये किलो बढ़ गया है, जबकि बेसन के दाम में 10-12 रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है. खाने के तेल के दाम में पांच रुपये प्रति किलो तक का इजाफा हुआ है.

  • केंद्र सरकार ने राज्यों को दिए निर्देश – 

गृह सचिव ने राज्यों के मुख्य सचिवों को चिट्ठी लिखी है. जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने को कहा है.राज्यों को एसेंशियल कमोडिटी एक्ट लागू करने के निर्देश दिए है.

  • हो सकती है 7 साल की सज़ा-

लॉक डाउन के चलते कुछ वस्तुओं की सप्लाई में कमी देखी गई है. लिहाजा कुछ कमोडिटीज के दाम बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकार ने स्टॉक लिमिट लगाने, कीमतें तय करने के विकल्प खुले रखने के निर्देश दिए हैं. एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के तहत जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी करने वालों को 7 साल की सजा हो सकती है

  • क्यों महंगी हो रही हैं रोजमर्रा की चीज़े-

लॉकडाउन का आटा, दाल, खाने के तेल की सप्लाई पर असर हो रहा है. मजदूरों की कमी से जरूरी चीजों की सप्लाई पर असर पड़ रहा है. मजदूरों की कमी से खाने के तेलों की प्रोसेसिंग 40 फीसदी घटी है. फ्लोर मिल्स भी 40-50 फीसदी की क्षमता पर काम कर रही हैं. सप्लाई कम होने से फ्लोर मिल्स के कामकाज पर असर पड़ा है. देश की करीब 70 फीसदी दाल मिलों में कामकाज ठप है. मजदूरों की कमी से रबी फसलों की कटाई पर असर पड़ा है. मंडियां बंद होने से भी खाने-पीने की सप्लाई पर असर पड़ा है.

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