Coronavirus: भारत बायोटेक 4 महीने में शुरू करेगा वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल, नाक में सिर्फ एक बूंद डालना काफी- रिपोर्ट

हैदराबाद की वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) देश में एनिमल ट्रायल और जीन सिंथेसिस सुविधा न होने के चलते इस टीके का एनिमल ट्रायल अमेरिका में करा रहा है. इसके लिए दुनिया के सबसे प्रसिद्ध जापानी वायरोलॉजिस्ट योशीहीरो कवाओका और अमेरिका के विस्कॉन्सिन मेडिसन यूनिवर्सिटी के साथ गठजोड़ किया है.

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नई दिल्ली. भारत समेत दुनियाभर के देश कोरोना वायरस (Coronavirus) से जूझ रहे हैं. अमेरिका और चीन में इस वायरस का टीका सबसे पहले विकसित करने की होड़ के बीच खबर है कि हैदराबाद की वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) अगले चार महीने में विकसित किए गए वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर देगा. अभी इसका एनिमल ट्रायल चल रहा है. 2020 खत्म होने से पहले यह टीका इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो सकता है.

The Wall Street Journal की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी से लड़ने के लिए दुनियाभर के साइंटिस्ट और फार्मास्युटिकल कंपनियां वैक्सीन विकसित करने में जुटी हैं. मौजूदा समय में कोविड-19 के लिए 140 से ज्यादा दवाएं और वैक्सीन तैयार की जा चुकी हैं, जो अभी प्रयोगात्मक स्तर पर ही हैं. इनमें से 11 दवाओं का अलग-अलग स्टेज पर क्लिनिक ट्रायल चल रहा है. भारत बायोटेक इस टीके की टेस्टिंग विस्कॉन्सिन-मैडिसन एंड वैक्सीन डेवलपर फ्लुजन यूनिवर्सिटी के सहयोग से अमेरिका में भी करा रहा है.

वही, हैदराबाद की कंपनी ‘भारत बायोटेक’ ने यह टीका नेजल ड्रॉप के रूप में तैयार किया है. यानी टीके की केवल एक बूंद नाक में डालनी होगी. कोरोफ्लू नाम का यह टीका कोरोना के साथ फ्लू का भी इलाज करेगा. भारत बायोटेक के सीएमडी व विज्ञानी डॉ. कृष्णा एला ने बताया कि कोविड-19 का वायरस नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और फेफड़ों में पहुंचकर उसे संक्रमित करता है, इसलिए टीका देने के लिए भी नाक का रास्ता चुना गया, ताकि यह वायरस पर तेज व गहरा असर कर सके.

पहले कंपनी ने तीन से छह महीने तक चलने वाले एनिमल ट्रायल में सेफ्टी साबित हुई, तो इसका ह्यूमन ट्रायल करने की बात कही थी. हालांकि, हाल ही में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि वो हफ्ते के अंत तक अपने टीके के लिए ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की उम्मीद कर रहा है. जिसके बाद भारत बायोटेक ने भी चार महीने के अंदर अपने टीके का ह्यूमन ट्रायल करने की बात कही.

देश में एनिमल ट्रायल और जीन सिंथेसिस सुविधा न होने के चलते इस टीके का एनिमल ट्रायल अमेरिका में कराना पड़ रहा है. इसके लिए दुनिया के सबसे प्रसिद्ध जापानी वायरोलॉजिस्ट योशीहीरो कवाओका और अमेरिका के विस्कॉन्सिन मेडिसन यूनिवर्सिटी के साथ गठजोड़ किया है. योशीहीरो फ्लू वैक्सीन के वर्ल्ड अथारिटी हैं और यूनिवर्सिटी की इंफ्लूएंजा रिसर्च लैब में एनिमल ट्रायल के लिए हाईलेवल बायोसेफ्टी फैसिलिटी मौजूद है.

एक बॉटल में 10-20 बूंदें ही होंगी
कंपनी ने तय किया है कि इसे मल्टी डोज वैक्सीन के रूप में तैयार किया जाएगा. यानी एक ही बोटल (बाइल) में 10 या 20 बूंदें होगी, ताकि इनका रखरखाव और डिलीवरी में आसानी हो. कंपनी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में जहां आंगनबाड़ी या आशा वर्कर काम करते हैं, वे इंजेक्शन नहीं दे सकते, ऐसे में इस टीके को देने की सरल विधि होना जरूरी है. नाक में केवल एक बूंद डालने का टीका होगा तो उसकी डिलीवरी बहुत आसान होगी.

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