COVID-19: कोरोना से जंग में ऐसे लिखी गई भीलवाड़ा मॉडल की पटकथा, ये 4 कदम रहे अहम

कोरोना (COVID-19) संक्रमण को फैलने से रोकने में सफलता की राह पर बढ़ते जा रहे भीलवाड़ा (Bhilwara) ने इसके लिए 4 अलग-अलग मोर्चों पर लड़ाई लड़ी है. आज भीलवाड़ा देश में कोरोना से जंग के मामले में रोल मॉडल बनकर उभर रहा है.

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भीलवाड़ा. कोरोना (COVID-19) संक्रमण को फैलने से रोकने में सफलता की राह पर बढ़ते जा रहे भीलवाड़ा (Bhilwara) ने इसके लिए 4 अलग-अलग मोर्चों पर लड़ाई लड़ी है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम में देशभर रोल मॉडल के रूप में उभर रहे भीलवाड़ा में इसके लिए प्रशासन ने एकजुट होकर हर वो कदम उठाया जो इसकी चेन का ब्रेक कर सके. भीलवाड़ा के लीडर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने इसके लिए सभी संसाधनों का बेहतर उपयोग कर टीम भावना से कार्य करते हुए देश में कोरोना के हॉटस्पॉट बनने जा रहे इस शहर में उसके कदम लगभग रोक से दिए हैं. आज भीलवाड़ा देश में कोरोना से जंग के मामले में रोल मॉडल बनकर उभर रहा है.

ये चार कदम रहे अहम

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम रहा कर्फ्यू लगाकर लोगों को घरों में रोकना. इसके लिए प्रशासन ने जिले की सीमाएं सील की. इसके जरिये राज्य के अन्य जिलों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के नीमच को भी सुरक्षित रखा. दूसराअहम कदम रहा जिला अस्पताल में प्रदेश की राजधानी जयपुर के स्तर की इलाज की व्यवस्था मुहैया कराना. तीसरा कदम दवाओं की सप्लाई चेन को मेंटेन करना और चौथे कदम के तौर पर दिहाड़ी मजदूरों के साथ-साथ आम नागरिकों के लिए खाद्य सामग्री की समुचित सप्लाई की व्यवस्था करना. भीलवाड़ा प्रशासन ने ये 4 कदम उठाकर कोरोना के कदम थाम दिए और आधी लड़ाई जीत ली. उसके बाद घर घर किए गए सर्वे और डेटा सकंलन के साथ लगातार बरती जा रही एहतियात से अब वह धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है.

ये टीम रही अग्रिम मोर्चे पर
इन चारों मोर्चों पर जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़, सीएमएचओ डॉ. मुस्ताक खान, पुलिस अधीक्षक हरेंद्र महावर, अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन राकेश कुमार और नगर विकास न्यास के सचिव नितेंद्रपाल सिंह ने अपने जिले के सेनापति राजेंद्र भट्ट को कभी शिकायत का मौका नहीं दिया. इस टीम की मेहनत का ही यह परिणाम है कि भीलवाड़ा कोरोना की जंग में देश में रोल मॉडल बनने की ओर अग्रसर है. एक दिन पहले ही रविवार को भारत सरकार के कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गौबा ने भी भीलवाड़ा के प्रयासों को सराहते हुए राज्यों के मुख्य सचिवों की वीसी में अन्य जिलों को भी यह मॉडल अपनाने की सलाह दी.

एक निजी अस्पताल से हुई थी संक्रमण की शुरुआत
भीलवाड़ा में मिले सभी 27 पॉजिटिव मरीज शहर के बांगड़ हॉस्पिटल से ही संबंधित थे. यानी इस संक्रमण का केन्द्र एक निजी अस्पताल ही था, लेकिन इसे ग्रामीण क्षेत्रों और पड़ोसी जिलों में रोकना बेहद जरूरी था. बांगड़ अस्पताल में इलाज करवाने आए लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करना बेहद कठिन काम था. लेकिन जिला कलेक्टर ने गांव के स्तर पर सर्वे के लिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन राकेश कुमार को यह कमान सौंपी. महज 7 दिन में जिले में 22 लाख से अधिक लोगों का सर्वे कर लिया गया जिससे जिले की स्पष्ट तस्वीर उभर कर सामने आ गई.

6 हजार कर्मचारियों ने एक साथ फील्ड में झौंकी ताकत
उल्लेखनीय है कि गत 20 मार्च को एक डॉक्टर में कोराना संक्रमण की पुष्टि के साथ ही भीलवाड़ा शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. यही इस लड़ाई के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. उसके बाद सर्वे के काम में न केवल चिकित्सा विभाग बल्कि पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, शिक्षा और कृषि विभाग तीन तीन कर्मचारियों की टीम बनाकर 1948 टीमों के माध्यम से 6 हजार कर्मचारियों ने एक साथ अपनी ताकत फील्ड में झौंककर पूरा डेटा तैयार किया. वहीं कोरोना के संदिग्ध मरीजों को शहर की 20 से अधिक होटलों और रिसॉर्ट में लाकर क्‍वारंटाइन किया गया.

25 में से 17 की रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है
जिले में कुल संक्रमित 27 रोगियों में से अभी 2 की मौत हो चुकी है. शेष 25 में से 17 की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है. इन 17 में से 11 को संक्रमण मुक्त होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया है. इस सप्ताह 4 और मरीजों को डिस्चार्ज करने की तैयारी चल रही है. संक्रमण को जिले से खत्म करने के लिए आगामी 13 अप्रेल की रात 12 बजे तक के लिए महा-कर्फ्यू लगाया हुआ है.

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