आजादी के बाद COVID-19 सबसे बड़ी चुनौती, वायरस के बाद की ​प्लानिंग पर काम करे सरकार: रघुराम राजन

पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने एक ब्लॉग लिखा है. रघुराम राजन ने इस ब्लॉग का टाइटल 'हाल के दिनों में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती' रखा है, जिसमें उन्होंने कुछ संभावित कदम के बारे में जानकारी दी है ताकि अर्थिक संकट से निपटा जा सके.

0 1,000,397

नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की हालत पर पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने एक ब्लाग लिखा है. रघुराम राजन ने इस ब्लॉग का टाइटल ‘हाल के दिनों में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती’ रखा है, जिसमें उन्होंने कुछ संभावित कदम के बारे में जानकारी दी है ताकि अर्थिक संकट से निपटा जा सके. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह संकट ​की स्थिति है.

नौकरियों पर खतरा

उन्होंने लिखा, ‘अर्थव्यवस्था के नजरिए से बात करूं तो भारत के सामने आजादी के बाद सबसे बड़ी चुनौती है.’ पिछले सप्ताह सामने आए एक रिपोर्ट के मुताबिक COVID-19 की वजह से भारत में 13.6 करोड़ नौकरियों पर जोखिम है.

2008 वित्तीय संकट से बिल्कुल अलग है यह दौर
राजन ने कहा, ‘2008-09 वित्तीय संकट के दौर में डिमांड को बड़ा झटका लगा था, लेकिन तब कर्मचारी काम पर जाते थे. इसके बाद आने वाले सालों में कंपनियों ने जबरदस्त ग्रोथ दिखाई थी. हमारा वित्तीय सिस्टम मजबूत था और सरकारी वित्त भी बेहतर स्थिति में था.’

अर्थव्यवस्था रिस्टार्ट करने के लिए हो प्लानिंग
उन्होंने सरकार से इस महमारी के खत्म होने के बाद की प्लानिंग के लिए आग्रह करते हुए कहा, ‘अगर वायरस को हरा नहीं सके तो लॉकडाउन के बाद की प्लानिंग पर काम करना होगा. देशव्यापी स्तर पर अधिक दिनों के लिए लॉकडाउन करना बेहद कठिन है. ऐसे में इस बात पर विचार करना चाहिए कि आने वाले दिनों में हम कैसे कुछ ग​​तिविधियों को शुरू कर सकते हैं.’ अर्थव्यवस्था को रिस्टार्ट करने के लिए राजन ने सुझाव दिया कि वर्कप्लेस के नजदीकी स्वस्थ्य युवाओं को हॉस्टल में रखा जा सकता है.

सप्लाई चेन के लिए उठाए जाएं प्रभावी कदम
राजन ने लिखा, ‘चूंकि उत्पादों की सप्लाई चेन सुनिश्चित करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग को सबसे पहले एक्टिवेट करना होगा, ऐसे में इस बात की प्लानिंग की जानी चाहिए कि कैसे यह पूरा सप्लाई चेन फिर से काम करेगा. इसके लिए प्रशासनिक ढांचे को बेहद जल्दी और प्रभावी तरीके से प्लानिंग करनी होगी. इस बारे में अभी से ही विचार करना होगा.’

यह भी पढ़ें: जल्द हो सकता है दूसरे राहत पैकेज का ऐलान! एक्शन में PMO और वित्त मंत्रालय

गरीब और सैलरीड क्लास पर तुरंत ध्यान देने को लेकर उन्होंने कहा, ‘डायरेक्ट ट्रांसफर अधिकतर लोगों तक पहुंच सकती है लेकिन सभी तक नहीं. कई लोगों ने इस बारे में कहा है. इसके अलावा ट्रांसफर की जाने वाली रकम हाउसहोल्ड के लिए पर्याप्त नहीं है. हमने पहले भी ऐसा नहीं करने के प्रभाव झेला हैं. यह प्रवासी मजदरों का मूवमेंट था. ऐसे में इस तरह के एक और कदम से लोग लॉकडाउन को नकार सकते हैं, ताकि वो अपनी जीविका चला सकें.’

राजकोषीय घाटे पर भी जताई चिंता
उन्होंने भारत के राजकोषीय घाटे पर भी चिंता व्य​क्त की. उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए ​सीमित राजकोषीय संसाधन वाकई में चिंता का विषय है. हालांकि, वर्तमान परिस्थिति में सबसे अधिक जरूरी चीजों पर इसके इस्तेमााल को वरीयता दी जानी चाहिए. भारत जैसे दायलु राष्ट्र के तौर पर यही सबसे बेहतर होगा. साथ ही कोविड-19 से लड़ने के लिए भी यही उचित कदम होगा. ‘

भारत के बजट की कमी पर बात करे हुए राजन ने कहा, ‘अमेरिका या यूरोपीय देश रेटिंग्स डाउनग्रेड की डर से अपनी GDP का 10 फीसदी या अधिक खर्च कर सकते हैं. भारत के साथ ऐसा नहीं है. इस संकट की स्थिति से पहले ही राजकोषीय घाटा अधिक था आगे भी अधिक व्यय करना होगा.’ रेटिंग्स डाउनग्रेड और निवेशकों का कॉन्फिडेंस गिरने से एक्सचेंज रेट लुढ़केगा और लंबी अवधि वाली ब्याज दरों में इजाफा होगा. इससे वित्तीय संस्थानों को भी भारी नुकसान होगा. ऐसे में हमें कम जरूरी वाले व्यय में देरी करनी होगी. जरूरी व्यय को वरीयता देनी होगी.

MSME पर क्या कहा?
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSME) को लेकर उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ साल के दौरान कई MSME कमजोर हो चुके हैं. उनके पास अब सर्वाइव करने के लिए संसाधन की कमी होगी. हमारे सीमित संसाधन में इन सबको सपोर्ट करना मुश्किल होगा. इनमें से कुछ घरों में चलने वाले उद्योग हैं जिन्हें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से सपोर्ट मिल सकता है. इस समस्या पर हमें इनो​वेटिव तरीके से सोचना होगा.’

RBI को अब लिक्विडिटी से आगे सोचना होगा
‘भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी की व्यवस्था कर दी है लेकिन अब उसे इससे भी आगे के कदम उठाने होंगे. जैसे- मजबूत गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं (NBFC) को उसे उच्च क्वालिटी के कोलेटरल पर कर्ज देना चाहिए. हालांकि, अधिक लि​क्विडिटी कर्ज से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं करेगा. बेरोजगारी बढ़ने के साथ NPA में इजाफा होगा. इसमें रिटेल लोन के जरिए भी बढ़ोतरी होगी. RBI को डिविडेंट पेमेंट पर वित्तीय संस्थानों पर मोरे​टोरियम लाना चाहिए, ताकि वो पूंजीगत रिजर्व तैयार कर सकें.’रघुराम राजन ने अपने इस ब्लॉग के अंत में लिखा, ‘यह कहा जाता है कि किसी संकट की स्थिति में ही भारत रिफॉर्म लाता है.’

Leave A Reply

Your email address will not be published.