- ओपीडी बंद होने से मरीज इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पताल में जा रहे हैं, जिससे वहां दवाब बड़ रहा है
- कैप्टन बोले- यह भी एक किस्म का भगोड़ापन है फौज में ऐसा करने वालों को गोली मारने का आदेश होता है
जालंधर. पंजाब में 23 मार्च से कर्फ्यू की घोषणा के बाद से 7500 निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम्स में 85 फीसदी अस्पतालों की ओपीडी बंद है। इस कारण गायनी, अस्थमा, ऑर्थो और किडनी जैसे अन्य मरीजों को काफी परेशानी हो रही है, जो सरकारी अस्पतालों में जा रहे हैं। जिससे इन अस्पतालों में कई गुना दबाव बढ़ रहा है। वहीं, पंजाब मेडिकल एसोसिएशन के प्रधान डॉ. नवजोत दहिया का कहना है कि उनकी तरफ से प्राइवेट अस्पतालों को ओपीडी बंद करने के कोई निर्देश नहीं हैं।
अस्पतालों के इस रवैये को लेकर सीएम ने भी सख्त कार्रवाई की बात कही है। डॉक्टर नरेश बाठला का कहना है कि इस समय मौसम में बदलाव आ रहा है। जिस व्यक्ति को भी हल्का बुखार, खांसी और जुकाम हो रहा है, वह खुद को कोरोना से ग्रस्त समझ रहा है। लेकिन समय पर डॉक्टरी सलाह न मिलने से मरीज परेशान हो रहे हैं। वहीं, सरकारी अस्पताल में डॉक्टर का कहना है कि 50% ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जिनको अस्पताल आने की जरूरत नहीं है।
पहले इमरजेंसी में फीस जमा करवाओ, फिर होगा चेकअप
सूबे में 7500 से अधिक निजी अस्पताल हैं और आईएमए के 8000 एलौपेथिक डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं। इनमें 2500 के करीब सरकारी डॉक्टर हैं। हालांकि, हर अस्पताल की इमरजेंसी चालू है और इमरजेंसी फीस 500 से अधिक है। मरीज से इमरजेंसी फीस लेकर ही डॉक्टर अपनी ओपीडी में उनका चेकअप कर रहे हैं।
गेट से सिक्योरिटी गार्ड वापस लौटा रहे मरीजों को
हालात यह हैं कि निजी अस्पताल के डॉक्टर पिछले 15 दिन से अपने पुराने मरीजों को देख रहे हैं। अगर अस्पताल में नया मरीज आ रहा है तो सिक्योरिटी गार्ड डॉक्टर न होने का हवाला दे वापस भेज रहे हैं। अस्पताल में उनको ही दाखिल कर रहे हैं, जो रेफर होकर आ रहे हैं।
कई डीसी ने बंद करने के दिए हैं ऑर्डर
कुछ जिलों में डीसी और एसडीएम के निर्देशों पर निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद हैं। एेसे में अगर प्रशासन के निर्देशों को डॉक्टर न मानें तो क्या करें?-डॉ. नवजोत दहिया, आईएमए, प्रधान पंजाब
कैप्टन की चेतावनी- ओपीडी नहीं खोली तो लाइसेंस मैं रद्द करवाऊंगा
सीएम कैप्टन ने कहा कि शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ निजी अस्पताल अपनी ओपीडी बंद कर गए हैं। यह गलत है। संकट की घड़ी में डॉक्टर की ड्यूटी सामने आना होती है, छिपना नहीं। अगर इन्होंने ओपीडी नहीं खोलीं तो इनके अस्पतालों का लाइसेंस मैं ही कैंसिल करवाऊंगा। अस्पताल ही इस समय ऐसा करने लगे तो सूबा कैसे चलेगा। मैं इससे सहमत नहीं हूं। मुझे अभी नहीं पता कि किन-किन अस्पतालों ने ऐसा किया है। मेरे पास रिपोर्ट आ गई है। हेल्थ विभाग को चैकिंग करने को कहा है। यह एक किस्म का भगोड़ापन है। यदि फौज में ऐसे कोई भागता है तो उसे गोली मारने का हुक्म होता है। यह भी वैसा ही है। यदि आप मैदान से भागेंगे तो मुश्किलें आएंगी। अगर इन्होंने ओपीडी नहीं खोली तो लाइसेंस रद्द कर अस्पताल भी नहीं चलने देंगे। – सीएम अमरिंदर, एक इंटरव्यू के दौरान
कई कर्मचारियों ने खुद दी अस्पताल बंद होने की जानकारी
सूबे के कुछ प्राइवेट व बड़े अस्पतालों ने अपनी ओपीडी बंद कर कर्मियों को काम पर आने से मना कर दिया है। कुछ अस्पतालों के कर्मियों ने वीडियो में बताया है कि ओपीडी बंद हो गई है तो कुछ अस्पताल के ही बंद होने और नौकरी पर आने से मना करने की बात कर रहे है।