नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया है कि मास्क और सेनेटाइजर के कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. दिल्ली विश्वविद्यालय के दो छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कालाबाजारी होने की बात बताई थी और लोगों को मास्क और सैनिटाइजर मुफ्त बांटने की मांग की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मुफ्त बांटने वाली मांग को ठुकरा दिया लेकिन सरकार को निर्देश दिया कि कालाबाजारी पर लगाम लगाई जाए. गौरतलब है कि सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर का रेट तय कर दिया है. जो भी इससे मंहगा बेचेगा उस पर कार्रवाई होगी.
मोदी सरकार (Modi Government) ने शुक्रवार को एन-95 मास्क (Mask) सहित सभी प्रकार के मास्क और सेनिटाइजर को अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में लाने की घोषणा की थी. यह कदम कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर लिया गया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Consumers Affairs Ministry) ने कहा है कि जून 2020 तक मास्क और सेनिटाइजर अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में आने के बाद कालाबाजारी पर लगाम लगेगा.
केंद्र पहले दे चुका ये निर्देश
केंद्र सरकार का कहना है कि इसके पीछे मास्क और सेनिटाइजर वाजिब कीमत पर उपलब्ध कराना और जमाखोरी रोकना मुख्य मकसद है. अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में आने के बाद मास्क और सेनिटाइजर का कोई भी आदमी जमाखोरी करता है या कालाबाजारी करता है तो पकड़े जाने पर उसको सात साल की सजा के साथ दंड भी भुगतने होंगे.
इन दोनों वस्तुओं के संबंध में राज्य सरकार भी अपने शासकीय आदेश जारी कर सकता है. राज्य सरकार भी आवश्यक वस्तु अधिनियिम के तहत स्वयं के आदेश जारी कर सकते हैं. साथ राज्य सरकार अपने यहां के परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई भी कर सकते हैं. केंद्र सरकार ने 1972 और 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को पहले से ही कार्रवाई के लिए अधिकृत कर रखा है.