पंजाब /ग्रामीणों ने नहीं करने दिया पद्मश्री रागी निर्मल सिंह का अंतिम संस्कार, खालसा के सम्पर्क में आए तीन लोगों की प्रिलिमनरी रिपोर्ट आई पॉजिटिव

मूल रूप से जालंधर जिले के गांव लोहियां से ताल्लुक रखते हैं निर्मल सिंह, गांव के अलावा अमृतसर में भी है रिहाइश कोरोना के संक्रमण के चलते गुरुवार तड़केगुरु नानक देव अस्पताल में ली आखिरी सांस, वेरका में की थी प्रशासन ने अंत्येष्टि की तैयारी हालांकि, बाद में फतेहगढ़ के शुक्रचक गांव में पंचायती जमीन पर उनका अंतिम संस्कार किया गया

अमृतसर. अमृतसर में गुरुवार को पद्मश्री से सम्मानित श्री हरिमंदिर साहिब के पूर्व हुजूरी रागी भाई निर्मल सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर ग्रामीण और प्रशासन आमने-सामने हो गए। मंगलवार को यहां भर्ती कराए जाने के बाद बुधवार शाम को उन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई और गुरुवार तड़के उन्होंने आखिरी सांस ली। अब उनके अंतिम संस्कार को रोकने के लिए सभी जातियों के लोगों ने अपने-अपने घाट की सुरक्षा के लिए पहरा बिठा दिया है। लोगों का कहना है कि दाहसंस्कार से उड़ने वाली राख गांवों में गिरेगी, जिससे उन्हें भी संक्रमण हो सकता है। पंजाब में यह कोरोना संक्रमण से बीते 14 दिन में पांचवीं मौत है, वहीं राज्य के विभिन्न इलाकों पर कोरोना का खतरा और गहरा गया है, क्योंकि निर्मल सिंह ने बीते दिनों पंजाब में कई जगह धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया है। हालांकि, बाद में फतेहगढ़ के शुक्रचक गांव में पंचायती जमीन पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। वही पद्मश्री ज्ञानी निर्मल सिंह खालसा के सम्पर्क में आए तीन लोगों की प्रिलिमनरी रिपोर्ट  पॉजिटिव आई है।

 

फतेहगढ़ के शुक्रचक गांव में पंचायत की जमीन पर निर्मल रागी का अंतिम संस्कार किया गया।

निर्मल सिंह मूल रूप से जालंधर जिले के गांव लोहियां से ताल्लुक रखते हैं। उनका परिवार भी यहीं रहता है। हालांकि अमृतसर में तरनतारन रोड पर भी उनकके परिवार की रिहाइश है। इसका कारण है उनका सिख पंथ के प्रमुख प्रचारकों में होना। निर्मल सिंह खालसा 1979 में अमृतसर स्थित श्री हरिमंदिर साहिब के हुजूरी रागी बने थे। 2009 में वह पद्मश्री सम्मान भी हासिल कर चुके हैं। उन्हें पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के सभी 31 रागों का ज्ञान बताया जाता है। वह राज्य में पांचवें ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने कोरोना के संक्रमण के चलतेदम तोड़ दिया।

20 मार्च को नेगेटिव आई थी रिपोर्ट
जानकारी मिली है कि निर्मल सिंह खालसा पहले से ही दमे से ग्रसित थे। कई दिन से तबीयत खराब होने के चलते 20 मार्च को चंडीगढ़ से लौटते ही वह गुरु नानक देव अस्पताल में जांच कराने गए थे। वहां डॉक्टरों ने उन्हें घर भेज दिया। 28 मार्च को फिर तबीयत बिगड़ी तो वह वल्ला में एसजीपीसी के गुरु रामदास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस और रिसर्च में 2 दिन भर्ती रहे। वहां से 30 मार्च को जीएनडीएच पहुंचे जहां सबसे पहले जनरल वार्ड में उनका ट्रीटमेंट हुआ। मंगलवार रात उन्हें आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया और बुधवार सुबह उनकी रिपोर्ट पॉजीटिव आ गई। गुरुवार सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।

14 दिन पहले दम तोड़ चुके रागी बलदेव से मिलती है कहानी

खालसा का केस कुछ हद तक नवांशहर के बलदेव सिंह से मिलता-जुलता है। बलदेव सिंह भी कई आयोजनों में शामिल हुए और उनके संपर्क में आने वाले लगभग डेढ़ दर्जन लोग कोरोना पॉजीटिव मिले थे। बलदेव सिंह का केस कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का पंजाब का पहला केस था। उधर अमृतसर के सेहत अधिकारी अभी तक पता नहीं लगा पाए हैं कि निर्मल सिंह खालसा को संक्रमण किस से हुआ? और संक्रमित होने के बाद कौन-कौन उनके संपर्क में आया? सेहत महकमे के अफसरों के पसीने इसलिए छूट रहे हैं।

एक ओर अमृतसर की सिविल सर्जन डॉ. प्रभदीप कौर जौहल के मुताबिक पता चला है कि वह नवंबर में ब्रिटेन गए थे तो हाल ही में 3 मार्च को उनके घर पर अमेरिका से कुछ मेहमान आए थे। दूसरी ओर सवाल उठता है कि अगर 20 मार्च को रिपोर्ट नेगेटिव आई थी तो फिर 12 दिन बाद बुधवार को निर्मल सिंह खालसा की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव कैसे आ गई? खालसा को किसके संपर्क में आने से कोरोना हुआ? आखिर वह शख्स कहां का था?

इस तर्क पर हुआ विरोध
गुरवार शाम को अमृतसर के जिला प्रशासन ने ज्ञानी निर्मल सिंह का अंतिम संस्कार करने के लिए वेरका स्थित श्मशान घाट पर तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन भनक लगते ही ग्रामीणों ने वहां इकट्ठा होकर विरोध करना शुरू कर दिया। वेरका में सभी जातियों के अलग-अलग लगभग छह श्मशान घाट हैं, जिन पर लोगों नेपहरा बिठा दिया। लोगों का कहना है कि दाह संस्कार से उड़ने वाली राख गांवों में गिरेगी, जिससे उन्हें भी कोरोना वायरस की चपेट में आने की आशंका है। कहीं भी ले जाओ, पर यहां दाहसंस्कार नहीं होने दिया जाएगा।

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