मई में हो सकती है 1 लाख और वेंटिलेटर की जरूरत, बना रही हैं ये कंपनियां

देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कुछ मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर स्पोर्ट पर रखना पड़ता है. फिलहाल देश में करीब 40000 वेंटिलेटर हैं, और अगर कोरोना वायरस के मामले और बढ़ते हैं तो फिर डॉक्टरों के मुताबिक मध्य मई तक 1 लाख वेंटिलेटर की और आवश्यकता पड़ेगी.

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देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कुछ मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर स्पोर्ट पर रखना पड़ता है. फिलहाल देश में करीब 40000 वेंटिलेटर हैं, और अगर कोरोना वायरस के मामले और बढ़ते हैं तो फिर डॉक्टरों के मुताबिक मध्य मई तक 1 लाख वेंटिलेटर की और आवश्यकता पड़ेगी.

दरअसल, एक अनुमान के अनुसार भारत में 5 से 10 फीसदी कोविड-19 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट जैसे क्रिटिकल केयर की जरूरत पड़ सकती है. वेटिंलेटर की कमी को देखते हुए कई दिग्गज सरकारी और निजी कंपनियों ने वेंटिलेटर बनाने का ऐलान किया है.

M&M कंपनी बना रही है वेंटिलेटर
ऑटो कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने दो बड़ी सरकारी कंपनियों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया है, ताकि वेंटिलेटर के डिजाइन को सरल किया जा सके और इनका उत्पादन तेज किया जा सके. इसके अलावा बैग वाल्व मास्क वेंटिलेटर के ऑटोमेटेड वर्जन बनाने पर भी काम हो रहा है, जिसे आमतौर पर एम्बू बैग के नाम से जाना जाता है.

मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स ने भी वेंटिलेटर उत्पादन में मदद की पेशकश की है. सार्वजनिक कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने वेंटिलेटर कंपनियों से टेक्निकल डिटेल मांगी है, ताकि वेंटिलेटर के उत्पादन को तेज करने में उनकी मदद कर सके.

इसके अलावा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) 30000 वेंटिलेटर बना रही है. जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन सरकारी कंपनी HLL Lifecare 10000 वेंटिलेटर का निर्माण कर रही है.

कर्नाटक की मेडिकल उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनी Skanray Technologies और बीईएल मिलकर वेंटिलेटर की डिजाइन को सरल बनाने पर काम कर रही हैं. भेल के सभी इलेक्ट्रॉनिक डिविजन काम कर रहे हैं.

Reliance रोज बनाएगी 1 लाख मास्क
रिलायंस कंपनी ने वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनियों की मदद की है. इसके अलावा रिलायंस कंपनी हर रोज 1 लाख फेस मास्क बना रही है. इसके अलावा ये बड़े पैमाने पर PPE भी बना रही है.

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