जहां लोग घरों से बाहर निकलने से बाज नहीं आ रहे वही पंजाब के कई गांवों खुद हुए ‘सेल्फ क्वारंटाइन’, उठाए कई बड़े कदम

पंजाब में कोराेना के खिलाफ जंग के बीच तीन गांवों ने राज्‍य के लाेगों को बड़ा संदेश दिया है और राह दिखाई है। राज्‍य के तीन गांवों के लोग सेल्‍फ क्‍वारंटाइन पर चले गए हैं।

चंडीगढ़ । पंजाब में एक तरफ जहां लोग खासकर नौजवान घरों से बाहर निकलने से बाज नहीं आ रहे हैं व थोड़ा सख्ती कम होते ही वाहनों पर सवार होकर घूमने निकल जाते हैं वही पंजाब के कई गांव ऐसे हैं जो दूसरों के लिए मिशाल बन रहे है। इन लोगों का एक ही मंत्र है-  किसी का क्यों करें इंतजार जब हम खुद हैं दमदार। यह बानगी है उन चार गांवों की जिन्होंने कोरोना के खिलाफ विश्वव्यापी जंग में खुद मोर्चा संभालने का बीड़ा उठाया है। दैनिक जागरण में छपी खबर में बताया गया है कि कोरोनो वायरस की गांव में एंट्री न हो सके इसलिए गांव वालों ने खुद ही पहरा लगना शुरू कर दिया है। गांव में कोई बाहर का व्यक्ति आ नहीं सकता। गांव वाला बाहर जा नहीं सकता। यानी पूूूूरा का पूरा गांव क्वारंटाइन। किसी का क्यों करें इंतजार जब हम खुद हैं तैयार।

अगेता, रंगेड़ा खुर्द, अलीपुर व अकालगढ़ गांवों ने किया ऐलान- काेराेना यहां नहीं आना

पंजाब के पटियाला के अगेता, फतेहगढ़ साहिब में रंगेड़ा खुर्द, संगरूर में अलीपुर व श्री मुक्तसर साहिब में अकालगढ़ ने खुद को सील कर लिया है। इस तरह गांव अगेता, रंगेड़ा खुर्द, अलीपुर व अकालगढ़ के लोगों ने कर्फ्यू का पालन नहीं करने वालों को बड़ा संदेश दिया है। प्रदेश में कर्फ्यू का पालन करवाने के लिए जहां कई जिलों में सख्ती बरतनी पड़ रही है वहीं, पंजाब के तीन गांवों में लोग इतने जाकरूक हैं कि उन्होंने खुद को घरों में कैद कर गांव को सील कर दिया है।

लोग पहरे पर ताकि बाहर से कोई अंदर न जा सके, अंदर से कोई बाहर न जा सके

कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए ग्रामीणों ने कमर कस ली है और गांव में आने-जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। एंट्री प्वाइंट पर पहरा लगा दिया है जिससे न तो गांव में आ सके और न ही बाहर जा सके। यानी पूूरा का पूरा गांव क्वारंटाइन। गांव अगेता मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृह जिले पटियाला में है, जबकि रंगेड़ा खुर्द फतेहगढ़ साहिब व अलीपुर संगरूर जिले में। इन गांवों की पंचायतों ने मुनादी करवा दी है कि गांव के लोग किसी भी रिश्तेदार को अपने यहां न आने दें और न ही वे गांव के बाहर किसी के यहां जाएं।

पटियाला के अगेता में गांव जाने वाले रास्‍ता पर ग्रामीणों का पहरा।

हर रास्ते पर पहरा, न कोई बाहर जाएगा न आने की इजाजत

अगेता गांव के रास्तों पर गांव के लोगों ने नाका लगा रखा है। चार-चार घंटे की ड्यूटी ग्रामीण निभा रहे हैं। गांव में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव वालों ने खुद ही पैसे इकट्ठा कर गांव को सैनिटाइज करवाया है। इसके बाद गांव को सील किया गया है। गांव में प्रवेश के रास्तों पर लिख दिया गया है गांव अगेता में आपका प्रवेश वर्जित है। 14 अप्रैल तक ग्रामीणों ने गांव में आने-जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं, ताकि कोरोना से बचाव हो सके।

मास्क व साबुन उपलब्ध करवाया, राशन भी पहुंचाया जा रहा घर-घर

गांव की सरपंच हरदीप कौर के पति बलजिंदर सिंह कहते हैं कि हरेक नाके पर रजिस्टर लगाया गया है। अगर गांव के किसी भी व्यक्ति को इमरजेंसी में गांव से बाहर जाना पड़ रहा है तो बाकायदा एंट्री की जाती है कि किस काम से कहां कौन जा रहा है। गांव में अगर किसी को राशन या अन्य वस्तुओं की जरूरत होती है तो बाकायदा उसके घर पर सामान पहुंचाने के लिए कमेटी बनाई गई है जो सामान की सप्लाई करती है। श्री मुक्तसर साहिब जिले के गांव अकालगढ़ की पंचायत ने भी ऐसा ही फैसला किया है।

घर से बाहर निकलने पर जुर्माना

फतेहगढ़ साहिब में पड़ने वाले रंगेड़ा खुर्द के सरपंच दविंदर सिंह ने तो लॉकडाउन के दौरान लोगों को घर के अंदर रखने का एक अनूठा ही तरीका निकाला। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि जो कोई भी घर से बाहर निकलेगा उससे जुर्माना वसूला जाएगा। इससे लोग डर गए। यह अलग बात है कि न तो जुर्माने की राशि तय हुई और न ही पंचायत ने इस पर कोई राय रखी। ट्रैक्टर ट्रालियां लगाकर सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। दविंदर कहते हैं कि भले ही गांव में कोई एनआरआइ नहीं आया है, लेकिन एहतियात जरूरी है। फोन पर सूचना देने पर राशन की सप्लाई भी होती है ताकि गांव वासियों को घर से बाहर न निकलना पड़े।

14 अप्रैल तक कोई नहीं जा सकेगा बाहर

संगरूर में गांव अलीपुर की पंचायत ने भी गांव के सभी रास्तों को 14 अप्रैल तक सील कर दिया है। सरपंच अमरदीप कौर ने कहा कि इस दौरान गांव में जरूरतमंदों के लिए राशन, आपात स्थिति में किसी भी मरीज को अस्पताल लेकर जाने के लिए गाड़ी का प्रबंध किया गया है। मास्क, साबुन व सैनिटाइजर की भी व्यवस्था की गई है। सरपंच समेत चार-चार ग्रामीण हर रास्ते पर आठ-आठ घंटे पहरा दे रहे हैं। गांव में से ही सब्जी, दूध, राशन इकट्ठा करके हर घर में बांटा जा रहा है, ताकि कोई भी घर इस आपात स्थिति में दो वक्त की रोटी से वंचित न रहे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.