Coronavirus: 21 दिन के लॉकडाउन से टूटेगी ट्रांसमिशन चेन, सरकार उठा सकती है ये बड़े कदम

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि इसे 21 दिन ही क्‍यों रखा गया. इसके वैज्ञानिक कारण क्‍यों? इस दौरान सरकार क्‍या करेगी? आइए विशेषज्ञों और डॉक्‍टरों से समझते हैं कि इसके क्‍या हैं मायने...

0 1,000,506

दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) को फैलने से रोकने के तमाम उपायों में सबसे कारगर तरीका लॉकडाउन (Lockdown) को माना जा रहा है. इसी को ध्‍यान में रखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार रात 12 बजे से अगले 21 दिन यानी 14 फरवरी तक के टोटल लॉकडाउन की घोषणा कर दी. इस दौरान उन्‍होंने कहा कि इस लॉकडाउन को कर्फ्यू मानकर घर में ही रहें. इस समय भारत की 130 करोड आबादी अपने घरों में रहकर संक्रमण के खिलाफ जंग लड़ रही है. हालांकि, कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि लॉकडाउन 21 दिन का ही क्‍यों रखा? पीएम मोदी ने खुद इसका जवाब दे दिया था. फिर भी आइए डॉक्‍टर्स से समझते हैं 21 दिन के लॉकडाउन के क्‍या हैं मायने…

‘लॉकडाउन में एपिडेमिक डिजीज एक्ट के तहत उठा रहे कदम’

कोरोना वायरस ने चीन (China) से निकलने के बाद दुनिया भर में तबाही मचा रखी है. अब तक पूरी दुनिया में 4,88,091 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इनमें 22,058 लोगों की मौत हो चुकी है. भारत (Coronavirus in India) में भी अब तक 695 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें 13 लोगों की मौत हो गई है. इस बीच लोगों ने लॉकडाउन शब्‍द बार-बार सुना है. अब तक लोगों को इसके मायने भी समझ आ गए हैं. फिर भी हम बता दें कि इस दौरान इमरजेंसी सर्विसेस और रोजमर्रा की जरूरत के सामान की दुकानें खुली रहेंगी. लोग सब्‍जी, फल, राशन या दवाई लेने के लिए घर से निकल सकते हैं. फिर भी बेहतर होगा कि आप घर से न निकलें. बेवजह बाहर निकले हुए लोगों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई भी कर सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने पहले ही स्‍पष्‍ट कर दिया है कि लॉकडाउन के दौरान उठाए जा रहे कदम एपिडेमिक डिजीज एक्ट, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, आईपीसी और सीआरपीसी के तहत हैं.

21 दिन का ही लॉकडाउन रखने के पीछे का ये है वैज्ञानिक कारण
अब समझते हैं कि लॉकडाउन 21 दिन ही क्‍यों रखा गया. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं. दुनिया भर में कोरोना वायरस पर किए गए शोध में साफ हुआ है कि इस वायरस का इनक्‍यूबेशन पीरियड 14 दिन का है यानी संक्रमित व्‍यक्ति में इस दौरान लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं. हालांकि, कुछ लोगों में ये जल्‍दी भी दिखाई दे सकते हैं. रियूमाटोलॉजिस्‍ट एंड इम्‍यूनोलॉजिस्‍ट डॉ. स्‍कंद शुक्‍ल ने कहा कि इस अवधि में लक्षण सामने आने पर संक्रमित व्‍यक्ति को आइसोलेट कर इलाज शुरू किया जा सकता है. इसके बाद उसके संपर्क में आए लोगों की जानकारी जुटाकर उन्‍हें क्‍वारंटीन कर निगरानी की जा सकती है. वहीं, पहले से संक्रमित लोग अगले 14 दिन में स्‍वस्‍थ्‍य हो जाएंगे. चीन के वैज्ञानिकों के शोध में पता चला था कि संक्रमण से उबर चुका व्‍यक्ति अगले 5 से 7 दिन तक अन्‍य लोगों को संक्रमित कर सकता है. सरकार ने इन सभी वैज्ञानिक तथ्‍यों को ध्‍यान में रखकर 21 दिन का लॉकडाउन रखा है.

corona virus, india, COVID-19, COVID-19 in india, bihar, coronavirus in bihar, कोरोना वायरस, कोविड—19, बिहार में कोरोना वायरस, बिहार में कोविड—19

लॉकडाउन के दौरान संक्रमित लोगों का इलाज और उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान कर क्‍वारंटीन कर संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने में मदद मिलेगी.

बड़ी समस्‍या को छोटा कर जंग जीतने की कोशिशों में जुटी सरकार
डॉ. शुक्‍ल कहते हैं कि हम मिटिगेशन पीरियड से गुजर रहे हैं. उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि इस 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान संक्रमित लोगों को ठीक कर और उनके संपर्क में आए लोगों को क्‍वारंटीन कर संक्रमण के फैलने की चेन को ब्रेक किया जा सकेगा. मिटीगेशन पीरियड पर बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि इसके तहत हालात को बदतर होने से रोककर और घटाकर समस्‍या को छोटा कर दिया जाता है. कोरोना वायरस बहुत बड़ी समस्‍या है, जबकि इससे निपटने के संसाधन बहुत ही कम हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि संक्रमण को फैलने से रोककर समस्‍या को छोटा कर दिया जाए ताकि उपलब्‍ध संसाधनों के जरिये ही इससे निपटा जा सके. साथ ही इस दौरान सरकार को मुकाबले के लिए संसाधनों में इजाफा करने को 3 हफ्तों का समय मिल जाएगा. इस दौरान सरकार बड़ी मात्रा में टेस्‍ट किट, मास्‍क और दूसरे उपकरण तैयार करा लेगी.

सरकार लॉकडाउन के बीच कर रही है लड़ने की हर तरह की तैयारी
पुणे की एक कंपनी ने कोरोना टेस्‍ट किट बनाने की रफ्तार बढा दी है. इस कंपनी का कहना है कि एक हफ्ते में 1,00,000 टेस्‍ट किट तैयार हो जाएंगी. अभी तक उपलब्‍ध एक टेस्‍ट किट से 100 लोगों की कोरोना जांच की जा सकती है, जबकि भारत में बन रही एक किट से ज्‍यादा लोगों का परीक्षण हो सकेगा. वहीं, केंद्र सरकार ने वेंटिलेटर, स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के सुरक्षा कपड़े, मास्‍क, ग्‍लब्‍स जैसे जरूरी उपकरणों की व्‍यवस्‍था के लिए अलग से 15,000 करोड रुपये का प्रावधान कर दिया है. इसके अलावा सरकार ने खाली हो चुके जवाहर नवोदय विद्यालय के हॉस्‍टल्‍स में आइसोलेशन सेंटर्स बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके अलावा आज फैसला लिया गया है कि स्‍टेशनों पर खड़ी ट्रेनों की 20 हजार बोगियों को सैनेटाइज कर आइसोलेशन वार्ड में तब्‍दील कर दिया जाएगा. इसके तहत बोगियों को सैनेटाइज करने का काम शुरू भी हो चुका है.

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार लॉकडाउन को हटाने की जल्‍दबाजी न करे. लॉकडाउन हटते ही फिर फैलेगा कोरोना वायरस.

लॉकडाउन हटाने की न करें जल्‍दबाजी, बढ़ सकती है संक्रमितों की संख्‍या
लॉकडाउन को बढ़ाने या खत्‍म करने का फैसला ये देखकर लिया जाएगा कि पूरे भारत में हर दिन नए मरीजों की संख्‍या कितनी है. सरकार की कोशिश है कि भारत में कोरोना संक्रमण को तीसरे चरण (Third Stage of Coronavirus) में जाने से रोक दिया जाए. अगर इस लॉकडाउन के जरिये संक्रमण के कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन को रोका जा सका तो हो सकता है कि पांबदी ज्यादा दिन तक ना रहे. हालांकि, डॉ. स्‍कंद शुक्‍ल कहते हैं कि अगर सरकार ने लॉकडाउन खत्‍म करने की जल्‍दबाजी की तो संक्रमण फैलने की रफ्तार फिर तेज हो सकती है. बेहतर होगा कि सरकार इसे 30 अप्रैल तक करे. इससे चेन ऑफ ट्रांसमिशन को ब्रेक करने के साथ ही मुकाबले की बड़ी तैयारियों का ज्‍यादा समय सरकार को मिल जाएगा. अगर ये बीमारी तीसरे चरण में पहुंची तो सरकार को महीनों तक लॉकडाउन रखना पड़ सकता है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस समय खाली पड़े मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग समेत दूसरे कॉलेज और विश्‍वविद्यालयों के हॉस्‍टल्‍स को भी आइसोलेशन सेंटर्स में तब्‍दील कर पुख्‍ता तैयारी कर लेनी चाहिए. हर बड़े जिले में ऐसे कई कॉलेज होंगे, जिनमें ऐसा किया जा सकता है.

ज्‍यादा से ज्‍यादा टेस्टिंग, आइसोलेशन, ट्रीटमेंट कर दी जा सकती है मात
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के एग्जिक्‍यूटिव डायरेक्‍टर माइक रायन ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा था कि सिर्फ लॉकडाउन से कोरोना वायरस को हराना बहुत मुश्किल है. इसके साथ ही सभी देशों को कोरोना वायरस की सही तरह से टेस्टिंग भी करनी होगी. सरकार लॉकडाउन के दौरान ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों का कोरोना टेस्‍ट कर संक्रमित लोगों को अलग कर उनका इलाज करे. साथ ही उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उन्‍हें अलग-थलग करने का काम भी किया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो लॉकडाउन खत्‍म होने पर संक्रमण फैलता चला जाएगा. डॉ. स्‍कंद शुक्‍ल का कहना है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने की दिशा में भारत सरकार के अब तक उठाए कदम बहुत अच्‍छे हैं. आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक आइसोलेशन, लॉकडाउन जैसे कदमों से भारत कोविड-19 के मरीजों की संख्या 62 से 89 फीसदी कम रख सकता है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.