क्या है कोरोना वायरस संक्रमण का तीसरा स्टेज, जिससे भारत को बचाने की कोशिश हो रही है?

कई जगह इसके चार स्टेज यानी चरण बताए गए हैं. चौथे स्टेज में बीमारी महामारी का रूप ले लेती है फिफ्र वो किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहती. COVID 19 को WHO ने वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है. कैसे पहुंचती है कोई भी बीमारी इस स्तर तक, यहां पढ़िए.

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कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी COVID-19 को लेकर इंटरनेट पर काफी जानकारियां लगातार सामने आ रही हैं. कुछ खबरों में ये बताया जा रहा है कि भारत इस वक़्त सेकंड स्टेज पर है. स्टेज यानी चरण. कोरोना वायरस के फैलने के तीन चरण हैं. किसी भी देश में. क्या मतलब है इसका और ये चरण कैसे तय किए जाते हैं? कौन बताता है कि बीमारी किस लेवल तक फैली है? सब आसान भाषा में, यहां समझ लीजिए.

स्टेज 1

बाहर से आए मामले

इस स्टेज में ये मालूम होता है कि वायरस से संक्रमित होने वाले लोग कौन हो सकते हैं. उनकी पहचान करके उन्हें क्वारंटीन किया जाना और ट्रीटमेंट देना आसान होता है.
वायरस है. कहीं से तो आएगा. अचानक अपने आप तो फूट पड़ेगा नहीं कहीं भी. COVID-19 भी चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ. उसके बाद बाकी जगहों पर फैला. तो किसी भी ऐसे क्षेत्र में, जहां वायरस पहले से मौजूद न हो, वहां पर पहली बार इसे कैरी करके ले जाने वाले लोग पहले स्टेज की शुरुआत करते हैं.

जैसे केरल में हुआ. वहां के स्टूडेंट चीन के वुहान में पढ़ रहे थे. वो लोग वहां से लौटे. सिर्फ उनमें इन्फेक्शन की आशंका थी. लक्षण दिखते ही उन्होंने डॉक्टर से सम्पर्क किया. जांच-पड़ताल के बाद उनमें से कुछ पॉजिटिव निकले. उन्हें क्वारंटीन किया गया. इलाज किया गया. शुरुआती जो तीन केस थे, वो ठीक हो गए. इस चरण में इन्फेक्शन कैरी करने वालों की पहचान हो जाती है. क्योंकि वो बाहर से आए होते हैं. अगर उन सबकी पहचान करके उन्हें छांट लिया जाए, तो वायरस इस स्टेज से आगे बढ़ ही नहीं पाएगा.

स्टेज 2

इन्फेक्टेड लोगों के संपर्क में आए लोकल लोग

बाहर से लौटे और संक्रमण कीआशंका वाले लोगों के संपर्क में न आए लोग भी इन्फेक्ट हो सकते हैं. ये स्टेज लोकल ट्रांसमिशन कहलाती है. चलिए, जिनकी जांच हुई, जो पॉजिटिव निकले, वो तो ठीक हो गए. लेकिन इनके अलावा कई ऐसे लोग थे, जो वुहान से या आस-पास के क्षेत्रों से लौटे थे. उन्हें ये भी नहीं पता था कि वो इन्फेक्टेड हैं. वो नहीं गए क्वारंटीन में. मजे से आए, घर बैठे. घूमते-फिरते रहे. लोगों से मिले. अपने साथ वायरस लिए हुए. इनके संपर्क में जो आए, वो भी वायरस के कैरियर बन गए. कुछ में लक्षण दिखे, कुछ में नहीं. इस तरह ये वायरस लोकल स्तर पर फ़ैल गया. ये हुआ चरण 2.

इस स्टेज में वो लोग इन्फेक्ट होते हैं या पॉजिटिव पाए जाते हैं, जो इन्फेक्टेड जगहों से लौटे व्यक्ति के संपर्क में आए हों. जैसे अभी सिंगर कनिका कपूर ख़बरों में आई थीं. लंदन से लौटीं, फिर पार्टी करने चली गईं. फिर पता चला कि वो कोरोना पॉजिटिव हैं. अब पार्टी वगैरह में जो भी उनके संपर्क में आया, उसे खुद को क्वारंटीन करना होगा. वसुंधरा राजे, अनुप्रिया पटेल जैसे नेता भी उस पार्टी में थे. ये लोग हाई प्रोफाइल पॉलिटिशियन हैं. दिन में सैकड़ों लोगों से मिलते हैं. इनसे इन्फेक्शन फैलने की आशंका बहुत ज्यादा होती है.

स्टेज 3

इन्फेक्ट हो चुके लोकल लोगों से समूहों में फैलता इन्फेक्शन

बड़े समूहों में एक साथ फैलता इन्फेक्शन उन लोगों तक भी पहुंच जाता है, जो कभी विदेश नहीं गए या उनकी जान पहचान का कोई व्यक्ति विदेश नहीं गया. फिर भी वो पॉजिटिव पाए गए. उस स्तर पर आने के बाद बीमारी को कंट्रोल करना बेहद मुश्किल हो जाता है.

ये मुश्किल स्टेज होती है. इसमें वो लोग भी पॉजिटिव निकलने शुरू हो जाते हैं, जिनका फॉरेन ट्रेवल या बाहर से लौटे किसी व्यक्ति से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता. ये होता है कम्युनिटी स्प्रेड. यानी एक के साथ एक ये पूरे समुदाय में फैलना शुरू हो जाता है. किसी को पता नहीं होता कि वायरस आया कहां से. ताबड़तोड़ बड़े इलाके एकसाथ इन्फेक्ट होते हैं. भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च इस बात की जांच कर रही है कि भारत में कहीं तीसरा स्टेज तो शुरू नहीं हुआ.

इसे ऐसे समझिए.  

आभा विदेश गई. इटली. वहां पर उसे कोरोना वायरस का इन्फेक्शन हुआ. वो देश लौटी, तब एकदम ठीक थी. फिर भी उसने खुद को सबसे अलग रखा. भीड़भाड़ से दूर. हफ्ते भर में उसे खांसी-बुखार शुरू हुआ. जांच में वो पॉजिटिव निकली. उसे अस्पताल में क्वारंटीन किया गया. अगले एक हफ्ते, दस दिन में वो ठीक होकर घर लौट आई. बीमारी आगे नहीं बढ़ी.

सीन-2

आभा लौटी. लेकिन आते ही एक ट्रिप पर दोस्तों के साथ निकल गई. ये दोस्त जहां गए, वहां पर एक बहुत बड़ी पूल पार्टी हुई. उसके बाद एक शादी. कुल डेढ़-दो हजार लोग थे. सब आभा के सम्पर्क में आए. उनमें से कुछ को इन्फेक्शन हुआ, कुछ को नहीं. जैसे ही आभा के पॉजिटिव होने की बात पता चली, लोग जांच करवाने दौड़े. उन डेढ़ हजार लोगों को ट्रैक करने की कोशिश की गई. लेकिन सारे लोग फिर भी ट्रैक नहीं किए जा सके.

अब जिनका कुछ अता-पता नहीं. वो लोग देश के किन कोनों में गए, कैसी भीड़ का हिस्सा बने, कितने लोगों से मिले, किसी को कुछ पता नहीं. इनमें से कोई विदेश भी नहीं गया. अपनी जानकारी में किसी ऐसे व्यक्ति से भी नहीं मिला, जो विदेश गया हो और संक्रमित हो सकता हो. फिर भी केस पॉजिटिव निकले.

ये होता है तीसरा चरण. इसके बाद ही कोई भी बीमारी महामारी बन जाती है. जब एक के बाद एक बड़े समूह इससे संक्रमित होते जाएं, और संक्रमण खत्म होने का नाम ही न ले रहा हो, फिर इसके केस काफी समय तक लगातार मिलते हैं.

कोरोना वायरस को लेकर अफवाहें भी लगातार फ़ैल रही हैं. इसे लेकर फेक न्यूज भी चलाई जा रही है. कुछ भी पढ़ें, तो उसका स्रोत जांच लें. पैनिक मोड में न आएं.

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