पटियाला (Bhaskar.com) . काेरोना वायरस को लेकर जहां जिला प्रशासन द्वारा सख्ती से आदेश लागू किए गए हैं और लोगों को घरों में रहने की अपील की जा रही है इसके बावजूद भी लोग नियमों का पालन करने में सहयोग देने में आनाकानी कर रहे हैं जिसके चलते पुलिस को सख्ती से पेश आना पड़ रहा है वहीं एसएसटी नगर इलाके में स्थित एसएसटी हाइट्स वेलफेयर सोसायटी के मेंबरों ने फ्लैट्स में रहने वाले 40 परिवारों के बनाए हुए ग्रुप में मंगलवार काे आदेश जारी किए कि अगर कोई भी व्यक्ति फ्लैटस से बेवजह सोसाइटी में निकलता है तो उसे 5 हजार रुपए जुर्माना देना होगा।
40 परिवार रहते हैं सोसायटी में...सोसायटी प्रधान दविंदरपाल सिंह ने बताया कि 3 दिन से सोसायटी में रहने वाले 40 परिवार अपने अपने फ्लैट में रहकर सहयोग दे रहे हैं लेकिन कुछ लोग घूम रहे थे इसी के बाद यह फैसला लिया गया है। दविंदरपाल सिंह ने बताया कि गार्ड को हिदायत दी गई है कि दूध वाला और कचरे वाला जैसे पहुंचेगा उसकी सूचना सोसाइटी के व्हाट्सएप ग्रुप में दी जाएगी इसके बाद लोग अपना दूध एक-एक करके डलवा सकेंगे इसके अलावा कचरे के लिए बाहर ड्रम लगाया गया है जिसमें लोग कचरा डाल सकते हैं।
पटियाला के अगेता गांव ने खुद को किया क्वारंटाइन
नाभा. पंजाब के पटियाला जिले के अगेता गांव के लोगों ने खुद को 21 दिन के लिए क्वारंटाइन करने का निर्णय लिया। गांव के एक किसान नेता और महिला प्रधान ने इसके लिए गांव को तैयार किया और यह भी यकीन दिलाया कि उन्हें कोई परेशानी नहीं आने देंगे। नाभा में स्थित पंजाब की सबसे हाई सिक्युरिटी जेल की तरफ से जाते रास्ते पर अगेता गांव पड़ता है, इसमें सिर्फ 750 लोग रहते हैं। इस गांव में दो रिटायर्ड फौजी, तीन हालिया भर्ती जवान और एक सरकारी शिक्षक हैं। गांव के लोग भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, सिर्फ 10 प्रतिशत ही यहां शिक्षित हैं। इस गांव को तीन सड़कें (वाया अगेती, कलामाजरा और मेहस से होकर निकलने वाली) नाभा से जोड़ती हैं।
इन्होंने बनाई आम सहमति
किसान यूनियन ब्लॉक प्रधान हरविंदर सिंह अगेता, गांव की महिला सरपंच हरप्रीत कौर, गांव निवासी बहादर सिंह, हरजीत सिंह नंबरदार, सतगुर सिंह, बिंदर सिंह, परगट सिंह, दलजीत सिंह, बलजिंदर सिंह और बलवंत सिंह के मुताबिक पूरे गांव की आम सहमति के बाद सभी ने अपने आप को गांव में लॉक करने का फैसला किया है। ग्रामीणों की मानें तो इन्होंने जनता कर्फ्यू में ही अपने गांव को बचाने की ठान ली थी। तय किया गया कि न कोई गांव से बाहर जाएगा और न ही कोई गांव के अंदर घुसने दिया जाएगा।
गांव को सील और सैनिटाइज किया
सबसे पहले बाजार से छिड़काव को दवाओं से भरी केन लाई गई और पूरी तरह खुद की बैरिकेड्स लगाकर हालात बदलने की शुरुआत की। गांव की हर गली, मंदिर, गुरुद्वारा चौक-चौराहे व तमाम रास्तों पर संक्रमण से बचाव को दवा का छिड़काव इंजन पंप से किया। यह हालात ठीक होने तक रोज किया जाया करेगा।
हर जरूरत गांव में होगी पूरी, निकलना भी पड़े तो पहले एंट्री करें
अगर किसी भी इमरजेंसी में कोई गांव से जाएगा तो जाने और वापसी के वक्त सैनिटाइजेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा, जाने से पहले से और वापसी की रजिस्टर में एंट्री करनी होगी। तीन पब्लिक नाकों पर ग्रामीण शिफ्ट के हिसाब से पहरा देंगे। इन सभी के अलग शिफ्ट में काम कर रहे सेवादार लंगर मुहैया कराएंगे। गांव के बाहर मजदूरी को जाने वाले परिवारों के मवेशियों के लिए हरा चारा जरूरतमंद परिवारों को खाना और दवाएं गांव में ही मुहैया कराई जाएंगी। गांव के किसी भी परिवार को कोई भी जरूरी सामान, नकदी या दूसरी सेवा चाहिए तो वह भी गांव की सीमा के अंदर ही मुहैया कराई जाएगी।