Coronavirus: लॉकडाउन और कर्फ़्यू के बीच फ़र्क़ को समझिए

इस महामारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें बड़े पैमाने पर कदम उठा रही हैं और इसी कड़ी में देश के कई राज्यों और करीब 75 शहरों में लॉकडाउन यानी तालाबंदी का एलान किया गया है. कोरोना को रोकने के लिए दिल्ली समेत देश के 23 राज्यों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन का एलान किया गया है और इसमें सिर्फ आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी.

नई दिल्ली: कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में कई जगहों पर लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है. इसके बावजूद लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. इसीलिए पूरे पंजाब में आज अमरेन्द्र सरकार ने कर्फ़्यू लगाने का फ़ैसला किया है. राजस्थान के भीलवाड़ा में पिछले ही हफ़्ते कर्फ़्यू लगा दिया गया था. आने वाले दिनों में कई और जगहों पर कर्फ़्यू लगाने की तैयारी है. अब समझिए लॉकडाउन और कर्फ़्यू में क्या फ़र्क़ है. लॉकडाउन से बात नहीं बनी तो फिर कर्फ़्यू लगाने से हालात कैसे बदल जायेंगे.

क्या होता है लॉकडाउन
सच तो ये है कि देश के लोग पहली बार लॉकडाउन देख और सुन रहे हैं. लेकिन कर्फ़्यू का मतलब आम तौर पर लोग पूरा बंद समझते और मानते हैं. 1893 में एपिडेमिक यानी महामारी एक्ट बना था. इस नियम के तहत ज़िले के डीएम और चीफ़ मेडिकल अफ़सर को अपने इलाक़े में लॉकडाउन करने का अधिकार मिलता है. इसको लागू करने पर 5 लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर रोक लग जाती है.

लॉकडाउन के दौरान हालांकि ज़रूरी सेवायें चालू रहती हैं. जैसे राशन और किराना की दुकानें खुली रहती हैं. बैंक और एटीएम खुला रहता है. रेस्टोंरेंट खुला रह सकता है. दूध और सब्ज़ी की दुकानें खुली रहेंगी. मीडिया संस्थान भी खुले रह सकते हैं. पत्रकारों के आने जाने पर किसी तरह की रोक टोक नहीं होगी. लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने पर आईपीसी की धारायें 269 और 270 लागू होती है. जिसमें अधिकतम 6 महीने की जेल होती है. क्वॉरंटीन से भागने वाले पर आईपीसी की धारा 271 में कार्रवाई होती है. लेकिन ये सारे क़ानून असंज्ञेय अपराध में आते है और पुलिस अदालत की इजाज़त बिना किसी को गिरफ़्तार नहीं कर सकती है.

क्या होता है कर्फ़्यू

कर्फ़्यू लगते ही सारे अधिकार ज़िले के डीएम या फिर इलाक़े के पुलिस कमिश्नर के पास आ जाते हैं. आईपीसी की धारा 144 में कर्फ़्यू लगाने का प्रावधान है. इसे तोड़ने पर आईपीसी 188 के तहत कार्रवाई होती है. नियम तोड़ने पर पुलिस को किसी को भी गिरफ़्तार करने की छूट होती है. लेकिन लॉकडाउन में ऐसा नहीं हो सकता है. कर्फ़्यू लगते ही ज़िला प्रशासन को कार्रवाई करने की पूरी छूट मिल जाती है. बिना कर्फ़्यू पास के कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता है. बैंक बंद रहते हैं. राशन की दुकानें भी बंद करा दी जाती हैं. दूध और सब्ज़ी बेचने पर रोक होती है. रेस्टोरेंट भी बंद रखना पड़ता है. कर्फ़्यू का मतलब ही होता है सब कुछ बंद. सड़क पर सिर्फ़ प्रशासन और पुलिस के लोग ही नज़र आते हैं. अस्पताल छोड़ कर सभी ज़रूरी सुविधायें बंद करा दी जाती हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि लॉकडाउन न मानने वालों के ख़िलाफ़ प्रशासन के हाथ बंधे होते हैं. लेकिन कर्फ़्यू तोड़ने पर पुलिस के पास कार्रवाई की पूरी छूट होती है.

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