नई दिल्ली. चीन के वुहान (Wuhan) में तबाही मचाने के बाद सीमाओं को लांघकर बाहर निकले कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. अब तक दुनिया भर में 277,056 लोग इस वैश्विक महामारी (Pandemic) से संक्रमित हो चुके हैं. इनमें 11,424 लोगों की गंभीर संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है. वहीं 91,986 लोग संक्रमण से उबरने के बाद स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. ये वायरस भारत में भी हर दिन पैर पसार रहा है. भारत में अब तक 275 लोगों में संक्रमण (Infection) की पुष्टि हुई है. इनमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें भी एक की मौत स्वस्थ होने के तीन बाद हुई.
भारत में जहां कल यानी शुक्रवार को 63 मामलों की पुष्टि की गई थी. वहीं, आज अब तक संक्रमण के 26 नए मामले (New Cases) ही सामने आए हैं. संकट के इस दौर में 19 मार्च की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश के नाम संबोधन में लोगों से घर-घर दूध, अखबार, राशन पहुंचाने वालों, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्य कर्मी और पत्रकारों का आभार जताने की अपील की. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का आभार जताने के लिए 22 मार्च की शाम 5 बजे घर की बालकनी या गेट पर आकर शंख, ताली, घंटा-थाली बजाएं. हमने कुछ डॉक्टरों, योग और आयुर्वेद के जानकारों से इस तरह आभार जताने के पीछे की वैज्ञानिकता और फायदे जानने की कोशिश की.
ताली बजाने के दौरान प्रेशर प्वाइंट्स दबने से लंग्स को होता है फायदा’
इंडियन योगा एसोसिएशन और इंटरनेशनल नेचुरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन की मेंबर डॉ. चारू शर्मा का कहना है कि हमारे हाथों में एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स (Acupressure Points) अधिक होते हैं. ताली बजाने के दौरान हथेलियों के एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर अच्छा दबाव पड़ता है, जिससे हृदय (Heart) और फेफड़ों (Lungs) की बीमारियां में फायदा पहुंचता है. हमारे शरीर के 30 से ज्यादा एक्यूप्रेशर पॉइंटस हथेलियों में ही होते हैं. प्रेशर पॉइंट को दबाने से उससे कनेक्टेड अंग तक रक्त (Blood) और ऑक्सीजन (Oxygen) का संचार अच्छे से होने लगता है. इन सभी दबाव बिंदु को सही तरीके से दबाने का सबसे आसान तरीका ताली बजाना ही है.
क्लैपिंग से नर्वस सिस्टम पर होता है इफेक्ट, इम्युनिटी में होगा इजाफा’
डॉ. शर्मा के मुताबिक, हथेली पर दबाव तभी अच्छा माना जाता है जब ताली बजाते-बजाते (Clapping) हथेलियां लाल हो जाएं और शरीर से पसीना आने लगे. ताली बजाने से हमारे नर्वस सिस्टम (Nervous System) पर असर पडता है और इम्युनिटी (Immunity) बेहतर होती है. वहीं, घंटा-घंटी, थाली बजाने से मंत्र के उच्चारण (Chanting) जैसा प्रभाव होता है. ये भी हमारे नर्वस सिस्टम को अच्छा महसूस कराकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. वहीं, शंख (Conch) बजाने से हमारे रिसेपिरेटरी सिस्टम (Respiratory System) की एक्सरसाइज होती है. ये सभी चीजें कोरोना वायरस से मुकाबले में मददगार साबित हो सकती हैं.
‘घंटा और थाली बजाने से फायदों के वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं’
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के आयुर्वेद विभाग के हेड प्रोफेसर चंद्रभूषण यामिनी ने बताया कि घंटा और थाली बजाने से शरीर को होने वाले फायदों के वैज्ञानिक प्रमाण तो मौजूद नहीं हैं, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण हैं. हालांकि, इसका फायदा लेने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति एक ही समय पर एक ही आकार के घंटे और थाली बजाए, जो संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि ऊं के उच्चारण से मानव शरीर को होने वाले फायदों को विज्ञान भी स्वीकार कर चुका है. हालांकि, इसमें भी समूह में उच्चारण करने पर सभी का आरोह-अवरोह यानी एक जैसा उच्चारण होना चाहिए.
शंख बजाने से श्वसन तंत्र और फेफड़ों को मिलता है काफी फायदा
आयुर्वेदाचार्य डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने बताया कि आयुर्वेद (Ayurveda) में ताली, घंटी, घंटा बजाने के महत्व की जानकारी दी गई है. शंख की ध्वनि से हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले वायुमंडल में फैले अति सूक्ष्म किटाणु नष्ट हो जाते हैं,. वहीं, इससे सांस की बीमारियों में भी फायदा मिलता है. शंख बजाने से योग में बताए गए पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक साथ हो जाते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि पूरक सांस लेने, कुंभक सांस रोकने और रेचक सांस छोडऩे की प्रक्रिया है. वह कहते हैं कि कोरोना वायरस हमारे श्वसन तंत्र को ही नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसे में शंख बजाने से आप संक्रमण से मुकाबले के लिए तैयारी कर लेते हैं.
आयुर्वेद के मुताबिक अगर आपको खांसी, दमा, ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो शंख बजाकर कुछ हद तक इससे छुटकरा पाया जा सकता है. वहीं, शंख में प्राकृतिक कैल्शियम और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है. रोज शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं हो सकते. शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र और फेफड़ों का व्यायाम भी हो जाता है. इससे आप वायरस से बच जाएंगे इसकी तो कोई गारंटी नहीं है, लेकिन मुकाबले के लिए तैयार हो सकते हैं.