रंजन गोगोई के अलावा इन सदस्यों को राज्यसभा के लिए नामित कर चुके हैं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

भारत के राष्ट्रपति द्वारा 12 सदस्यों को नॉमिनेट किया जाता है. राष्ट्रपति कोविंद ने 11 अन्य सदस्यों को 2016 और 2018 में नामित किया था. 12 सदस्यों में से केटीएस तुलसी का कार्यकाल इसी साल 24 फरवरी को खत्म हो गया. जिसके बाद पूर्व सीजेआई गोगोई को इस सूची में जगह दी गई है.

नई दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई (Former CJI Ranjan Gogoi) को राज्यसभा (Rajyasabha) के लिए नामित किया है. केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को जारी की गई अधिसूचना में पूर्व सीजेआई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है. बता दें भारत के 46वें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई नवंबर 2019 में रिटायर हुए थे.

राष्ट्रपति द्वारा नामित किए गए हैं ये सांसद

भारत के राष्ट्रपति द्वारा 12 सदस्यों को नॉमिनेट किया जाता है. राष्ट्रपति कोविंद ने 11 अन्य सदस्यों को 2016 और 2018 में नामित किया था. 12 सदस्यों में से केटीएस तुलसी का कार्यकाल 24.02.2020 को खत्म हो गया जिसके बाद पूर्व सीजेआई गोगोई को इस सूची में जगह दी गई है. फिलहाल इन सूची में जो 11 सांसद हैं उनका कार्यकाल 2022 और 2024 में खत्म होगा. इन सदस्यों में स्वपन दास गुप्ता, सुब्रमण्यम स्वामी, नरेंद्र जाधव, सुरेश गोपी, एमसी मैरी कॉम, संभाजीराजे छत्रपति, रूपा गांगुली, राम शकल, राकेश सिन्हा, सोनल मानसिंह और रघुनाथ मोहपात्रा शामिल हैं.

पहली बार 2001 में बने थे हाईकोर्ट के जज
रंजन गोगोई 2001 में पहली बार गुवाहाटी हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए थे. इसके बाद साल 2010 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था. साल 2011 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में बतौर मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. जहां से प्रमोशन पाकर वह 23 अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट आ गए. तीन अक्टूबर 2018 को गोगोई को सुप्रीम कोर्ट के 46वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया.

अपने कार्यकाल में दिए कई ऐतिहासिक फैसले
रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए थे. इसमें अयोध्या का ऐतिहासिक फैसला, राफेल डील से जुड़ा मामला, सबरीमाला मंदिर, तीन तलाक, चीफ जस्टिस ऑफिस को आरटीआई के दायरे में लाने का फैसला जैसे कई अहम फैसले शामिल थे.

चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई के ऊपर उनके कार्यालय में काम करने वाली एक महिला ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच समिति ने गोगोई को इस मामले में क्लीन चिट दी थी. पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के पिता केसब चंद्र गोगोई दो महीने के लिए असम के मुख्यमंत्री रहे थे. वह डिब्रूगढ़ विधानसभा से विधायक भी रहे थे.

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