-
फिलहाल सभी विधायक भोपाल में ही रुकेंगे
-
एयरपोर्ट के अंदर जाकर बाहर लौटे विधायक
भोपाल। मध्य प्रदेश में सियासी घमासान जारी है. सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने पर खींचतान के बीच एक ऐसा भी मौका आया जब बीजेपी विधायकों को एयरपोर्ट से वापस लौटना पड़ा.
दरअसल, सुबह के वक्त राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण के साथ मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र शुरू हुआ. बीजेपी की मांग थी कि कमलनाथ सरकार अपना बहुमत साबित करे, लेकिन स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए टाल दी.
राज्यपाल ने दी 17 मार्च की डेडलाइन
इसके बाद राज्यपाल ने एक बार फिर मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा और 17 मार्च तक बहुमत साबित करने के लिए कहा. राज्यपाल का यह पत्र जिस वक्त चर्चा में आया उस वक्त बीजेपी के विधायक एक बार फिर भोपाल से मानेसर लौटने का प्रोग्राम बना रहे थे. लेकिन आखिरी वक्त में बीजेपी को यू-टर्न लेना पड़ा.
पार्टी ने अपने विधायकों को दिल्ली भेजने का प्रोग्राम रद्द कर दिया. विधायक एयरपोर्ट के अंदर पहुंच गए थे, लेकिन अंतिम समय में उन्हें वापस बुलाया गया. अब यह विधायक भोपाल में ही हैं, लेकिन क्या 17 मार्च (मंगलवार) को बहुमत पर कोई नया घटनाक्रम सामने आएगा, इस पर सबकी नजर है.
अंकगणित पर रुकी सत्ता
मध्य प्रदेश की सियासत विधायकों के अंकगणित पर आकर रुक गई है. जिसने यह गणित अपने पक्ष में कर लिया सत्ता उसके हाथ में होगी और जो चूक गया, सत्ता उससे दूर ही रहेगी. इस अंकगणित को मजबूत करने में कांग्रेस के बागी 16 विधायकों की बड़ी भूमिका है और सत्ता की चाबी उन्हीं के हाथ नजर आ रही है.
बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 विधायकों ने बगावत कर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इनमें से 6 का इस्तीफा मंजूर किया जा चुका है, इस तरह 16 विधायकों का इस्तीफा अब भी मंजूर या नामंजूर नहीं हुआ है. ये 16 विधायक अपना इस्तीफा मंजूर करने का विधानसभाध्यक्ष एनपी प्रजापति से अनुरोध कर चुके हैं.
विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो 230 सदस्यों मे से दो स्थान रिक्त हैं, छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए जा चुके हैं. अब सदन में कांग्रेस के 108, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और निर्दलीय चार विधायक हैं. कांग्रेस के कुल 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसमें छह का इस्तीफा मंजूर हो चुका है अगर 16 विधायकों का भी इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो कांग्रेस के पास 92 विधायक बचेंगे. अगर कांग्रेस को सपा, बसपा व निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल भी रहता है तो विधायक संख्या 99 ही हो पाती है.
17 मार्च को साबित करना है बहुमत
इधर, राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ को कल (17 मार्च) बहुमत साबित करने को कहा है. इस बाबत एक पत्र जारी किया गया है और कहा गया है कि अगर कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं करेगी तो उसे अल्पमत में माना जाएगा. हालांकि, कमलनाथ ने सोमवार देर शाम राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात भी की. इसके बाद कमलनाथ ने फिर कहा कि अभी उनके पास बहुमत है, ऐसे में उन्हें साबित करने की कोई जरूरत नहीं है.
अब देखना ये है कि मंगलवार को मध्य प्रदेश की राजनीति क्या रूप लेती है, क्योंकि स्पीकर ने विधानसभा सत्र स्थगित कर दिया है और राज्यपाल ने कहा है कि 17 मार्च तक बहुमत साबित नहीं किया तो सरकार को अल्पमत में माना जाएगा. ऐसे में बीजेपी ने अपने विधायकों को आखिरी वक्त में भोपाल में ही रोककर क्या कोई बड़ी रणनीति अपनाई है, इस पर सबकी नजर है.