लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन एक ऐसा टूल है, जिसके तहत रिज़र्व बैंक मौजूदा रेपो रेट (Repo Rate) पर बैंकों को 1 से 3 साल के लिए पूंजी देता है. इसके बदले बैंक समान ब्याज दर पर कोलेटरल के तौर पर सरकारी सिक्योरिटीज खरीदते हैं.
फरवरी 2019 के बाद से ही RBI ने लगातार ब्याज दरों में कटौती की है. हालांकि, दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 की बैठक में RBI MPC ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया था. इस दौरान बैंकों ने पिछले रेपो रेट में कटौती का कुछ लाभ ही ग्राहकों को दिया था. आरबीआई ने पिछले 6 बैठकों में ब्याज दरों में 135 आधार अंक यानी 1.35 फीसदी की कटौती की है. लेकिन SBI की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, देश के सबसे बड़े बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक ने ग्राहकों के लिए MCLR में केवल 65 आधार अंक यानी 0.65 फीसदी का ही लाभ दिया है.ग्राहकों तक रेट का लाभ पहुंचाने के लिए RBI फरवरी 2020 में LTRO लेकर आया. LTRO सिस्टम के तहत, RBI का मानना है कि मौजूदा ब्याज दर पर बैंकों को लंबे समय तक लिक्विडिटी ऑफर करने पर वो ग्राहकों को ब्याज दर कटौती का लाभ देंगे. बैंक रिटेल और इंडस्ट्रियल लोन देते वक्त अपने मार्जिन को मेंटेन रखेंगे.
अब रिटेल लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उनकी EMI कम होगी? उनकी ये उम्मीद इसलिए भी है कि क्योंकि ब्याज दरों में लगातार कटौती का पूरा लाभ उन्हें अभी तक नहीं मिला है. इस मामले से जुड़े जानकारों का कहना है LTRO सिस्टम के आने के बाद बैंकों के पास पर्याप्त लिक्विडिटी उपलब्ध होगी. ऐसे में बैंक अपने ग्राहकों को कार या होम लोन के लिए ऑफर पेश कर सकेंगे. ये दोनों MCLR से लिंक्ड है. उम्मीद की जा रही है कि RBI के LTRO से बैंकों के लो-कॉस्ट फंड्स में इजाफा होगा और इसके बदले वो ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देना शुरू करेंगे. इस प्रकार रिटेल लोन लेने वाले ग्राहकों की EMI कम हो जाएगी.