सत्यपाल मलिक बोले- राज्यपाल के पास नहीं होता कोई काम, कश्मीर का गवर्नर दारू पीता है
बिहार और जम्मू कश्मीर में राज्यपाल की भूमिका संभाल चुके सत्यपाल मलिक ने कहा कि गवर्नर का कोई काम नहीं होता है, कश्मीर में जो गवर्नर होता है अक्सर वो दारू पीता है और गोल्फ खेलता है, बाकी जगह जो गवर्नर होते हैं वो आराम से रहते हैं, किसी झगड़े में नहीं पड़ते हैं.
- राज्यपाल के पास कोई काम नहीं होता- मलिक
- ‘अक्सर शराब पीता है कश्मीर का गवर्नर’
- ‘झगड़े में नहीं पड़ते हैं राज्यपाल’
गोवा के मौजूदा और जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने एक बयान में कहा है कि गवर्नर के पास कोई काम नहीं होता है. जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया उस वक्त वहां के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया कि कश्मीर में जो गवर्नर होता है अक्सर वो दारू पीता है और गोल्फ खेलता है.
दारू पीते हैं और गोल्फ खेलते हैं गवर्नर
गोवा में राज्यपाल का संवैधानिक पद संभाल रहे सत्यपाल मलिक उत्तर प्रदेश में अपने गृहनगर बागपत के दौरे पर थे. यहां पर एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ये टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि राज्यपाल आराम से रहते हैं और वे किसी झगड़े में नहीं पड़ते हैं.
बिहार और जम्मू कश्मीर में राज्यपाल की भूमिका संभाल चुके सत्यपाल मलिक ने कहा, “गवर्नर का कोई काम नहीं होता है, कश्मीर में जो गवर्नर होता है अक्सर वो दारू पीता है और गोल्फ खेलता है, बाकी जगह जो गवर्नर होते हैं वो आराम से रहते हैं, किसी झगड़े में नहीं पड़ते हैं.”
अहम मौके पर रहे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल
बता दें कि जब 5 अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को प्रभावहीन बनाने का फैसला किया तो उस वक्त सत्यपाल मलिक वहां के राज्यपाल थे. इस दौरान राज्य की प्रशासनिक मशीनरी और सुरक्षा का जिम्मा उनकी के हाथ में था. उन्हीं के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लदाख में बांटा गया.
3 नवंबर 2019 को सत्यपाल मलिक को गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. गोवा के राज्यपाल पद की शपथ लेते हुए उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को बेहद समस्याग्रस्त माना जाता रहा है लेकिन उन्होंने यहां की परेशानियों का सामना सफलतापूर्वक किया और राज्य की सभी समस्याएं दूर कर दी.
बागपत में उन्होंने बिहार में बतौर राज्यपाल शिक्षा के क्षेत्र में उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब वे बिहार के राज्यपाल थे तो राज्य में 100 कॉलेज ऐसे थे जो राजनेताओं के थे. उनके यहां एक टीचर तक नहीं था, वहां हर साल बीएड में एडमिशन करवाया जाता और पैसे देकर परीक्षा होती और डिग्रियां बांटी जाती थी. मैंने सारे कॉलेज खत्म किए और एक केंद्रीयकृत परीक्षा प्रणाली विकसित की.