नई दिल्ली. वस्तु एवं सेवा कर काउंसिल (GST Council) की आज बैठक होने वाली है. इस बार GST काउंसिल की यह बैठक कई मायनों में अहम है. अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक, ऑटोमोबाइल्स्ट पर लगने वाले सेस को नहीं हटाया जाएगा, लेकिन इसके टैक्स स्ट्रक्चर में विसंगतियों को दूर करने पर चर्चा होगी. संभव है कि GST काउंसिल की बैठक में मोबाइल फोन्स, फुटवियर और टेक्स्टाइल जैसे आइटम्स पर लगने वाले GST को घटा दिया जाए.
कार, टोबैको और ऐरेटेड ड्रिंक्स पर लगने वाले सेस को बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, यह बढ़ोतरी इस पर निर्भर करेगी कि राज्यों में इस पर सहमति बने. यह सेस राज्यों को GST से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए लगाया जाता है.
सेस बढ़ने से रेवेन्यू घटने का डर
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, ‘सेस में बढ़ोतरी की गुंजाइश बेहद कम है. आर्थिक सुस्ती का दौर चल रहा है. अगर सेस बढ़ाया जाता है तो इस बात का आशंका है कि जो भी रेवेन्यू वर्तमान में आ रहा है, वह भी बंद हो जाएगा. साथ ही, जिन आइटम पर सेस लगाया गया है, उनपर टैक्स दर बढ़ाने का भी कोई ठोस कारण नहीं है.’
कच्चे माल पर लगने वाले इनपुट टैक्स पर भी चर्चा
GST काउंसिल की बैठक में जिस अहम बात पर चर्चा होगी, वो ये है कि कच्चे माल की खरीदने पर कंपनियों द्वारा देय टैक्स अंतिम प्रोडक्ट की तुलना में बेहद अधिक है. मोबाइल फोन्स, फुटवियर और रेडीमेड गार्मेंट्स के मामले में यह अंतर बहुत अधिक है.
इनपुट टैक्स क्रेडिट पर चर्चा
उन्होंने यह भी बताया कि फिटमेंट कमेटी ने इसमें बदलाव करने का सुझाव दिया है. इन इंडस्ट्रीज के बिजनेस इनपुट बहुत अधिक है. ऐसे में राज्यों के लिए मुश्किल होगा कि वो अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट दें. एक अन्य अधिकारी के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले बढ़ सकते हैं. बता दें कि फेक इनपुट क्रेडिट भी केन्द्र और राज्य स्तर पर टैक्स डिपार्टमेंट के लिए चुनौती बना हुआ है. हाल के दिनों में इसे लेकर कई जरूरी कदम भी उठाए गए हैं.
राज्य उठा सकते हैं नुकसान से भरपाई करने का मुद्दा
काउंसिल की इस बैठक में राज्यों को GST से होने वाले नुकसान की भरपाई पर भी चर्चा होगी. पिछले कुछ महीनों में कई राज्यों ने केंद्र सरकार से सही समय पर इस रकम के नहीं मिलने पर शिकायत भी की है. राज्य सरकारों को इस बात को भी समझना होगा कि GST नियमों के तहत सेस के जरिए जमा होने वाले रकम से ही उनके नुकसान की भरपाई होनी है. ऐसा नहीं होगा कि केंद्र सरकार नुकसान की भरपाई के लिए अलग फंड बनाए.