चीन ने कड़ाई और प्लानिंग के जरिए पाया कोरोना पर काबू, ये था पूरा प्लान

बीमारी (Disease) की गंभीरता समझ कर चीन ने इमरजेंसी मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी (Emergency Medical Response Strategy) बनाई लेकिन ये कामयाब नहीं रही. जिसके बाद चीन (China) ने मिलिट्री मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी (MMRS) बनाई.

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नई दिल्ली. चीन (China) में COVID 19 का पहला केस 20 दिसंबर, 2019 को वुहान (Wuhan) में डिटेक्ट किया गया था. हालांकि शुरुआत में इसे सामान्य रोग या बुखार माना गया और रोगियों को तीन दिन तक एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दी गई. लेकिन जब इस बीमारी से हुई पहली मौत का पोस्टमार्टम किया गया तो उसकी रिपोर्ट से एक नए वायरस (Novel Virus) से फैलने वाली इस बीमारी की गंभीरता का पता चला.

चीन ने जब ये समझ लिया कि COVID- 19 नाम के इस नए कोरोना वायरस (Novel Corona Virus) से हुए संक्रमण के इलाज के लिए कोई मेडिकल प्रोटोकॉल नही है तो उसने पूरी दुनिया इस बीमारी के फैलने की सूचना दे दी और उनसे सहयोग मांगा. 160 देश फिलहाल चीन (China) के साथ कोरोना को रोकने के लिए अलग अलग तरीकों से सहयोग कर रहे हैं.

कोरोना वायरस को रोकने के लिए चीन ने उठाए ये जरूरी कदम
बीमारी (Disease) की गंभीरता समझ कर चीन से जो एहतियाती कदम शुरुआत में उठाए, वे थे-

1000 बेड का हॉस्पिटल वुहान में बनाया गया. इसके बाद 1000 बेड के ऐसे 13 और हॉस्पिटल (Hospital) बनाये गए. इसके साथ ही 50 मिलियन लोगों को वुहान में क्वारंटाइन किया गया यानि उन्हें बाकी दुनिया और लोगों से अलग रख दिया गया.

चीन ने इमरजेंसी मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी बनाई लेकिन ये कामयाब नहीं रही. जिसके बाद चीन ने मिलिट्री मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी (MMRS) बनाई.

सुरक्षा और चाक-चौबंद करने के लिए चीन ने लागू की MMRS
इसके तहत कोरोना को फैलने से रोकने के लिए मल्टी प्रॉन्ग्ड स्ट्रेटेजी बनाई गई. इसमें कई बिंदुओं पर एक साथ काम किया जाता है. इसलिए अब क्वारंटाइन (Quarantine) को भी कई कैटेगरी में बांट दिया गया. ये अलग-अलग तरीके हैं-

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चीन ने कड़ाई और प्लानिंग के जरिए पाया कोरोना पर काबू, ये था पूरा प्लान

बीमारी (Disease) की गंभीरता समझ कर चीन ने इमरजेंसी मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी (Emergency Medical Response Strategy) बनाई लेकिन ये कामयाब नहीं रही. जिसके बाद चीन (China) ने मिलिट्री मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी (MMRS) बनाई.

चीन ने कड़ाई और प्लानिंग के जरिए पाया कोरोना पर काबू, ये था पूरा प्लान
नई दिल्ली. चीन (China) में COVID 19 का पहला केस 20 दिसंबर, 2019 को वुहान (Wuhan) में डिटेक्ट किया गया था. हालांकि शुरुआत में इसे सामान्य रोग या बुखार माना गया और रोगियों को तीन दिन तक एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दी गई. लेकिन जब इस बीमारी से हुई पहली मौत का पोस्टमार्टम किया गया तो उसकी रिपोर्ट से एक नए वायरस (Novel Virus) से फैलने वाली इस बीमारी की गंभीरता का पता चला.

चीन ने जब ये समझ लिया कि COVID- 19 नाम के इस नए कोरोना वायरस (Novel Corona Virus) से हुए संक्रमण के इलाज के लिए कोई मेडिकल प्रोटोकॉल नही है तो उसने पूरी दुनिया इस बीमारी के फैलने की सूचना दे दी और उनसे सहयोग मांगा. 160 देश फिलहाल चीन (China) के साथ कोरोना को रोकने के लिए अलग अलग तरीकों से सहयोग कर रहे हैं.

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कोरोना वायरस को रोकने के लिए चीन ने उठाए ये जरूरी कदम
बीमारी (Disease) की गंभीरता समझ कर चीन से जो एहतियाती कदम शुरुआत में उठाए, वे थे-

1000 बेड का हॉस्पिटल वुहान में बनाया गया. इसके बाद 1000 बेड के ऐसे 13 और हॉस्पिटल (Hospital) बनाये गए. इसके साथ ही 50 मिलियन लोगों को वुहान में क्वारंटाइन किया गया यानि उन्हें बाकी दुनिया और लोगों से अलग रख दिया गया.

चीन ने इमरजेंसी मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी बनाई लेकिन ये कामयाब नहीं रही. जिसके बाद चीन ने मिलिट्री मेडिकल रिस्पांस स्ट्रेटेजी (MMRS) बनाई.

सुरक्षा और चाक-चौबंद करने के लिए चीन ने लागू की MMRS
इसके तहत कोरोना को फैलने से रोकने के लिए मल्टी प्रॉन्ग्ड स्ट्रेटेजी बनाई गई. इसमें कई बिंदुओं पर एक साथ काम किया जाता है. इसलिए अब क्वारंटाइन (Quarantine) को भी कई कैटेगरी में बांट दिया गया. ये अलग-अलग तरीके हैं-

1. कम्युनिटी क्वारंटाइन
2. मेडिकल क्वारंटाइन
3. इंटेंसिव केअर क्वारंटाइन
4. क्रिटिकल केअर क्वारंटाइन

MMRS के तहत अपनाए गए नए सुरक्षा उपायों के लिए चीन ने बीस लाख डॉक्टरों (Doctors) को रखा.

इस उपाय के बाद चीन में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण हुआ सही
इसके बाद 93 % लोग जिन्हें इंटेंसिव केअर क्वारंटाइन (Intensive Care Quarantine) के अंदर रखकर इलाज किया जा रहा था, दो हफ्तों के बाद उन्हें लोअर कैटेगरी के क्वारंटाइन में भेज दिया गया.

चीन में सिंगल पार्टी रूल (Single Party Rule) के तहत वहां के हरेक नागरिक को कम्युनिस्ट पार्टी और मिलिट्री ट्रेनिंग 30 दिनों तक लेनी पड़ती है. इस वजह से वहां के नागरिक इन हालात में SOP यानी स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को मानने के लिए बाध्य हैं.

इसी वजह से चीन कोरोना के ट्रेंड को बदलने में कामयाब रहा. मेडिकल क्वारंटाइन कैटेगरी के तहत 93% लोग ठीक होकर (Cured) घर चले गए.

इलाज के दौरान बड़ी संख्या में संक्रमण का शिकार हुआ मेडिकल स्टाफ

इसमें 22 फीसदी लोग सही होने लगे तो उन्हें लोअर लेवल मेडिकल क्वारंटाइन (Lower Level Medical Quarantine) में भेज दिया गया.

संदिग्ध रोगियों में से 68.5% को मेडिकल क्वारंटाइन के तहत रखा गया था, उनका टेस्ट नेगेटिव निकला और उन्हें डिस्चार्ज (Discharge) कर दिया गया.

SOP के तहत सर्जिकल मास्क, पैथोजेन्स को काउंटर करने के लिए डॉक्टर्स और पैरामेडिक (Paramedic) को खास तरह के कपड़े दिए गए थे. फिर भी रोगियों का इलाज करते वक़्त 10% मेडिकल स्टाफ कोरोना की चपेट में आ गए थे.

बीमारी न फैले इसलिए बनाई गई टीमों ने किया बेहतरीन तरह से काम
पूरे देश को रोग से पीड़ितों की संख्या और उसके असर के आधार पर बांट दिया गया और उसी के मुताबिक रिसोर्स (Resource) उपलब्ध कराए गए.

रोगियों को योग और दूसरे इंडोर गेम्स (Indoor Games) के जरिये व्यस्त रखा गया.

व्यवस्थित रिस्पांस सिस्टम की वजह चीन (China) को ट्रेंड को बदलने में कामयाबी मिली.

MMRS के तहत एक-एक प्रशासनिक इकाई और कम्युनिस्ट पार्टी की जिम्मेदारी तय की गई. और केवल 3-4 % लोग CCU/ICU क्वारंटाइन में भेजे गए.

चीन ने हाथ मिलाने को घोषित कर रखा है दंडनीय अपराध
3 मार्च, 2020 तक चीन में 206 कोरोना के फ्रेश केसेस थे जबकि यूरोप (Europe) और एशिया के दूसरे देशों में 386 केस थे.

हाथ मिलाने को चीन ने दंडनीय अपराध (Penal Offence) घोषित कर दिया है. हालांकि इस पर क्या और कितनी सज़ा दी जाएगी इसका ऐलान अब तक नहीं किया गया है.

चीन ने अपने यंग कैडेट कॉर्पस (Young Cadet Corps) को भी इसकी रोकथाम में लगाया है. इसी आधार पर लोग यह सुझाव दे रहे हैं कि भारत को भी नेशनल कैडेट कोर (NCC) को बेसिक ट्रेनिंग देकर इसकी रोकथाम के कार्यों में लगाना चाहिए.

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