- पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को कोर्ट से राहत
- स्वीकार की जांच एजेंसी की क्लीन चिट वाली रिपोर्ट
नई दिल्ली। सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के लिए शनिवार का दिन राहत देने वाला रहा. सीबीआई की विशेष अदालत ने जांच एजेंसी द्वारा जमा की गई रिपोर्ट स्वीकार कर ली है. दरअसल सीबीआई ने पूर्व स्पेशल डायरेक्टर को घूस और रंगदारी वाले केस में क्लीन चिट दिया है. इससे पहले पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना ने घूस और रंगदारी मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया था.
राकेश अस्थाना का आरोप है कि यह शिकायत तब के सीबीआई डायरेक्टर आलोक कुमार के कहने पर दर्ज कराई गई थी.
सीबीआई कोर्ट ने चार्जशीट स्वीकार करते हुए कहा कि जांच एजेंसी को उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. हालांकि अब ट्रायल मनोज प्रसाद के भाई सोमेश्वर प्रसाद और उनके ससुर, सुनील मित्तल पर भी चलेगा. इससे पहले सीबीआई चार्जशीट सिर्फ मनोज प्रसाद के खिलाफ ही दाखिल हुई थी. लेकिन कोर्ट का मानना है कि सोमेश्वर प्रसाद और उनके ससुर, सुनील मित्तल पर ट्रायल चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद है.
डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी राहत
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जहां तक इन दोनों अफसरों की बात है- तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और तत्कालीन डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ घूस या रंगदारी के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं. इसलिए जांच एजेंसी की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए उन्हें क्लीन चिट दिया जाता है. हालांकि अभी केस की जांच चल रही है, इसलिए अगर एजेंसी को कभी भी पूछताछ की जरूरत महसूस हुई तो दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.
बता दें, इस केस में डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद राकेश अस्थाना को गिरफ्तारी से राहत मिल गई थी.
वहीं मनोज प्रसाद, सोमेश्वर प्रसाद और उनके ससुर, सुनील मित्तल पर आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 7(a) और 8 के तहत धोखाधड़ी (420), आपराधिक षड्यंत्र (120-B) और रंगदारी (385) के तहत मामला दर्ज किया है.
बता दें, सीबीआई ने हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत के आधार पर अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया था. उन्होंने कथित तौर पर प्रवर्तन निदेशालय को अपना स्टेटमेंट दर्ज कराया है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने कभी भी राकेश अस्थाना का नाम नहीं लिया था. लेकिन तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के कहने पर उन्हें नंबर वन आरोपी बनाया गया था.