ग्लोबल बिजनेस समिट / सवाल- क्या भारत अपने मित्र देश खो रहा है? विदेश मंत्री का जवाब- अब सच्चे दोस्तों की पहचान हो रही

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- सीएए से हमारा आंतरिक मसला, किसी देश को लेना-देना नहीं होना चाहिए सीएए पर यूएन मानवाधिकार परिषद की निदेशक की असहमति पर विदेश मंत्री ने कहा- वे पहले भी कई मुद्दों पर गलत थीं

नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस. जयशंकर शनिवार को दिल्ली में ग्लोबल बिजनेस समिट में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और विदेश नीति के मुद्दे पर खुलकर जवाब दिए। जयशंकर ने सीएए की आलोचना करने वाले देशों से दो टूक कहा- मुझे दुनिया में एक देश बताएं, जो हर किसी का स्वागत करता हो, कोई नहीं है। सीएए हमारा आंतरिक मसला है। इससे किसी देश का कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। सरकार की विदेश नीति पर उन्होंने कहा कि अब हम दुनिया में अपने सच्चे दोस्तों की पहचान हो रही है।

जयशंकर से सवाल- अगर भारत दुनिया को सीएए पर अपना पक्ष नहीं समझा पाया तो क्या होगा? इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया से हटकर भी दुनिया है। मैं दुनिया के देशों की सरकारों के साथ जुड़ा हुआ हूं। ब्रसेल्स में मैने 27 विदेश मंत्रियों से सीएए पर बातचीत की थी। सरकार और संसद के पास अधिकार हैं कि वे देश में नागरिकता की शर्तें निर्धारित कर सकें। हमने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को शरण दी है, जिनके पास कोई नागरिकता नहीं थी।’’

इस दौरान उनसे सीएए पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की निदेशक के असहमति जताने पर सवाल पूछा गया। जयशंकर ने कहा, “वे पहले भी कई मुद्दों पर गलत रही हैं। मैनें जम्मू-कश्मीर पर भी उनकी रिपोर्ट देखी है। कितनी आसानी से वे सीमा पार आतंकवाद की बात से किनारा कर लेते हैं। ऐसा लगता है जैसे पड़ोसी देश में क्या हो रहा है, उससे उनका कुछ लेना देना ही नहीं है।”

‘दुनिया को मैनेज करने की नीति अपनाई थी, आगे ऐसा नहीं करेंगे’

जयशंकर से पूछा गया- क्या भारत अपने मित्र देश खो रहा है? इस पर विदेश मंत्री बोले, “शायद, अब भारत को अपने सच्चे दोस्तों की पहचान हो रही है। एक वक्त जोखिम बहुत थे, हमारी क्षमताएं कम थीं। तब हमने दुनिया को मैनेज करने की रणनीति अपनाई। लेकिन आगे ये नहीं किया जा सकता। भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। एक दिन तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। दुनिया बदल रही है। अब हमें दुनिया को दूसरी तरह से संभालना होगा।”

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