- यस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक ने की है सख्ती
- बैंक से निकासी की 50 हजार की सीमा तय की गई
- इससे ग्राहकों में घबराहट का माहौल देखा गया
- सरकार ने की है ग्राहकों को राहत देने की व्यवस्था
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यस बैंक पर सख्ती बरतते हुए इससे 50 हजार रुपये निकासी की सीमा तय की है. आरबीआई का ये आदेश अगले एक महीने के लिए है. इसकी वजह से देश भर के यस बैंक ग्राहकों में डर कायम हो गया है और गुरुवार रात कई शहरों में यस बैंक के एटीएम में ग्राहकों की कतारें देखी गईं.
हालांकि इस संकट के बावजूद यस बैंक के ग्राहकों को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि सरकार ने एक ऐसा प्रावधान किया है जिससे बैंक के डूबने पर ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रहता है.
एसबीआई के पूर्व सीएफओ प्रशांत कुमार को यस बैंक का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया गया है. आरबीआई ने ये कार्रवाई बैंक की आर्थिक हालत को देखते हुए की है. यस बैंक काफी समय से फंड जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है. इससे पहले गुरुवार को ये खबर आई थी कि सरकार ने देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI को यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कहा है.
ये है सरकार की व्यवस्था
असल में पीएमसी बैंक घोटाले के सामने आने के बाद से बैंकों में ग्राहकों की जमा राशि के भविष्य को लेकर बहस छिड़ गई थी. इस बहस के बीच वित्त वर्ष 2020-21 आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम लोगों को बड़ी राहत दी है. दरअसल, बैंक खातों में जमा रकम पर इंश्योरेंस गारंटी की सीमा बढ़ा दी गई है.
27 साल बाद बदला नियम
PMC घोटाले के बाद एक बार फिर इस मांग ने जोर पकड़ा था कि बीमा राशि को बढ़ाया जाए. अब इस कानून में 27 साल बाद बदलाव किया गया है. इसके पहले साल 1993 में बैंकिंग डिपॉजिट्स पर इंश्योरेंस की रकम बढ़ाकर 1 लाख रुपये की गई थी.
पहले के प्रावधान के तहत अगर कोई बैंक डूब जाता है तो उसके जमाकर्ताओं को अधिकतम 1 लाख रुपये की राशि सरकार देती. लेकिन आम बजट में ऐलान के बाद अब बैंकों में जमा रकम पर अब 5 लाख रुपये की इंश्योरेंस गारंटी मिलेगी. यानी अगर कोई बैंक डूबता है तो ग्राहकों को अधिकतम 5 लाख रुपये वापस करने की गारंटी है.
वित्तीय सेवा विभाग की मंजूरी
वित्त मंत्री के ऐलान के कुछ दिनों बाद ही वित्तीय सेवा विभाग ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. तब वित्त सचिव राजीव कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि बैंक डिपॉजिट्स पर 27 साल बाद बीमा कवर बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के लिए वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने मंजूरी दे दी है. राजीव कुमार ने बताया कि वर्तमान में हर 100 रुपये पर 10 पैसे की जगह अब 12 पैसे प्रीमियम बैंक देंगे.
कौन देता है बीमा
भारतीय रिजर्व बैंक के जमा पर बीमा ‘डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन’ (DICGC) के द्वारा किया जाता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात को लेकर अपने बजट में कहा है कि DICGC को ‘प्रति अकाउंट’ डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने की अनुमति है.
31 मार्च 2019 तक DICGC के पास डिपॉजिट इंश्योरेंस के तौर पर 97,350 करोड़ रुपये था, जिसमें 87,890 करोड़ रुपये सरप्लस भी शामिल है. DICGC ने 1962 से लेकर अब तक कुल क्लेम सेटलमेंट पर 5,120 करोड़ रुपये खर्च किया है जो कि सहकारी बैंकों के लिए था. डीआईसीजीसी के अंतर्गत कुल 2,098 बैंक आते हैं, जिनमें से 1,941 सहकारी बैंक हैं.
बैंक का डूबना मुश्किल
ग्राहकों को घबराने की जरूरत इसलिए भी नहीं है कि सरकार किसी बैंक को डूबने नहीं देती है. पहले के उदाहरण देखें तो सरकार ने सहकारी और सरकारी बैंकों को तो डूबने से बचाया ही है, निजी क्षेत्र के बैंक को भी बचाने की कोशिश की है.
इसके पहले निजी क्षेत्र का ग्लोबल ट्रस्ट बैंक (GTB) जब डूबने वाला था तो सरकार ने उसे भी बचाया था. 2001 के केतन पारेख शेयर घोटाले के सामने आने पर रिजर्व बैंक ने जब जीटीबी के खाते की जांच की तो उसका नेटवर्थ नेगेटिव पाया गया. लेकिन सरकार ने जमाधारकों का कोई नुकसान नहीं होने दिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने इस बैंक का अधिग्रहण कर लिया.
रिजर्व बैंक ने भी कहा है कि ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है और अगले कुछ दिनों में बैंक के रीस्ट्रक्चरिंग प्लान पर काम होगा.